सन्नाटे की गूंज सुनाई देती है
और गर्जन का मौन दिखाई देता है
अंधकार के बीच उजाले का बिन्दू
अंधकार को चीर दिखाई देता है ।
दोपहरी सी तपती इस रेत पर भी
छाया का आभास हुआ सा लगता है
वर्षा के घनघोर बरसते बादल में
किसी किरण का ठौर दिखाई देता है ।
दुख के इस घने घने अंधियारे में
सुख की बांसुरी सुनाई देती है
और सुखों के बीच न जाने अंदर तक
ये मन क्यूं बेचैन दिखाई देता है ।
प्रेम ताल में डूबते उतराते हुए
बेरुखी का छेद दिखाई देता है ।
और प्रिया की झुकी झुकी सी आँखों में
जाने क्यूं कुछ भेद दिखाई देता है ।
उनकी ना ना करनें की आदत में भी
हाँ हां की आवाज सुनाई देती है
और मेरे लिखने रुकने के झूले में
लिखने का ही विचार दिखाई देता है ।
21 टिप्पणियां:
आशा का संचार हो रहा |
अब बढ़िया व्यवहार हो रहा ||
आभार दीदी ||
तमसो माँ सदगमय ....
ये अंतर्विरोध ही हमें सतत खींच लेता है ...अच्छाई ही और ...!!बहुत सुन्दर रचना ...!!
बहुत बेहतरीन रचना,,,
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
ऐसा विरोधाभास जीवन भर चलता है .... सुंदर अभिव्यक्ति
इन्हें तो क्षितिज पर जाकर मिलना होता है।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 13-09 -2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शब्द रह ज्ञे अनकहे .
यह दुनिया ही परस्पर विरोधों का पुलिन्दा है -
संयोजन करते हमें चलना है!
वाह: बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति..
सन्नाटे की गूंज सुनाई देती है
और गर्जन का मौन दिखाई देता है
अंधकार के बीच उजाले का बिन्दू
अंधकार को चीर दिखाई देता है ..
प्रभावी .. बहुत ही भावपूर्ण रचना ... उजाले की एक किरण ही काफी है अन्धकार में ..
बहुत सुन्दर.
घुघूतीबासूती
इन अंतर्विरोधों से पार पाना भी एक कला ही है।
bahot sunder.......
"इस गम की बांसुरी में कोई तो गीत होगा "
बरबस ये पंक्तिया याद हो आई ,आपकी सुंदर कविता पढ़कर |
अपने मुझे याद किया अभिभूत हूँ मै आपका स्नेह पाकर |
वाह!
अंतर्विरोध को बेहद खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने।..बधाई।
बहुत सुन्दर..
भावपूर्ण रचना आशा जी..
सादर
अनु
बहुत सुन्दर रचना -
और प्रिया की झुकी झुकी सी आँखों में
जाने क्यूं कुछ भेद दिखाई देता है ।
यह छायावाद के बाद का संशयवाद है :-)
शुरू के तीन पैरे अच्छे लगे क्योंकि उनमें आध्यात्मिकता का बोध झलकता है।
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..
:-)
दुख के इस घने घने अंधियारे में
सुख की बांसुरी सुनाई देती है
और सुखों के बीच न जाने अंदर तक
ये मन क्यूं बेचैन दिखाई देता है ।
sundar taai ....
बेहतरीन सुन्दर रचना
sunder abhivyakti ashaji,
aap kaisi hai?
main thik hun.
main apne blog par login nahi kar paa rahi hun,isliye kuch post nahi kar paati wahan,pata nahi kya adchan hai. vaise aaj kal main facebook par jyada likhti hun.
wish u have great time, tk cr,regards mehek.
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