चांद भी आज जाने क्यूं कुछ मुरझाया सा है,
इसे भी मै तुम्हारे बिन, कुछ अच्छा नही लगता ।
सांस आती भारी सी है, तनहाई में उदासी है,
रूह भी प्यासी प्यासी है और कुछ अच्छा नही लगता ।
तुम वहां खंबे से टिक कर शून्य में तक रही होगी,
सोचती तुम भी तो होगी कि कुछ अच्छा नही लगता ।
तुम्हारी यादों का चेहेरा तुम्हारी खिलखिलाती हंसी
मुझे कितना सताती है और कुछ अच्छा नही लगता ।
बहुत कुछ सोच कर हमने किया था फैसला ये फिर,
क्यूं तुमसे बिछड कर अब, कुछ अच्छा नही लगता ।
अब दूरी और ये मुझसे सही बिलकुल नही जाती
चली आओ तुम्हारे बिन अब अच्छा नही लगता ।
चित्र गूगल से साभार ।
31 टिप्पणियां:
चाँद सदियों से इन भावों का वाहक रहा है।
जब खुद का मन उदास हो तो सभी कुछ मुरझाया सा लगता है ...
तुम्हारी यादों का चेहेरा तुम्हारी खिलखिलाती हंसी
मुझे कितना सताती है और कुछ अच्छा नही लगता ।
aisa hi lagta hai
बेहतरीन लिखा है भावों को ।
बहुत सुन्दर भाव समन्वय्।
doori ka dard......ekdam samne aa gaya.
गज़ल में दूरी का दर्द है... दर्द है फिर भी उम्दा कहने की गुस्ताखी करुँगी..
चांद भी आज जाने क्यूं कुछ मुरझाया सा है,
इसे भी मै तुम्हारे बिन, कुछ अच्छा नही लगता ।
......वाह! आशा जी वाह!
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
वाह बहुत खूब ...शब्द शब्द बोलता है आपकी ग़ज़ल का
आशा ताई मुझे तो हर पंक्ति सुंदर लगी !
बधाई अच्छी रचना के लिये !
चली आओ तुम्हारे बिन अब अच्छा नही लगता ।
बहुत भावभीना सा ,,चली आओ के बजाय चले आओ हो तो कैसा रहेगा ?
चाँद अकसर भावनाओं को प्रगट कर देता है ... लाजवाब रचना है ...
बहुत कुछ सोच कर हमने किया था फैसला ये फिर,
क्यूं तुमसे बिछड कर अब, कुछ अच्छा नही लगता ।
..बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ..मन के भावों को चाँद के प्रतीक से सुन्दर भाव से प्रस्तुत करती कब्यांजलि....सादर !!!
चाँद को भी अपने दुख में लपेट लिया...बहुत दुखी-दुखी लगा...चाँद...
कई बार कुछ अच्छा नहीं लगता , जबकि स्वयं अपना चुना होता है ...
चाँद की साक्षी में सुन्दर भाव सजाये !
bichoh ki udasi sara sama udas karti hai aur chand gavahi deta hai.
bhaut hi pyari rachna....
सुन्दर रचना...
सादर बधाई...
दर्द की मासूम भावनाएँ
शब्द शब्द बन कर
जैसे खुद ही गुनगुना रही हों ....
वाह ,,, बहुत प्रभावशाली रचना !
very touching...
तुम्हारी यादों का चेहेरा तुम्हारी खिलखिलाती हंसी
मुझे कितना सताती है और कुछ अच्छा नही लगता
मन के सुंदर कोमल भाव......
आपका ब्लॉग भी बहुत ख़ूबसूरत और आकर्षक लगा । अभिव्यक्ति भी मन को छू गई । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद . ।
आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
यादें ऐसी ही होती हैं। जब जकड़ लें तो कुछ अच्छा नहीं लगता।
मौसम और परिवेश धरे रह जाते हैं।
बहुत खूब। आज यूं ही पढ लिया। सच कहूं तो मजा आ गया।
बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आपने।
शुभकामनाएं।
bahut sundar bhaav, badhai.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
very nicely written.
nice imagination :-)
loved reading it out.
यादें तो विचलित करते ही रहते हैं
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