शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

चलते चलते मोड पर

चलते चलते मोड पर
कैसे बदल गये रस्ते
तुम चले गये उधर
ठगे से हम रहे इधर ।

कहां तो पिरोये थे
बकुल पुष्प हार
कहा था खुशबू इनकी
रहेगी साल हजार

वे भी कहीं पडे होंगे
बकुल वृक्ष के नीचे
या कूडे के ढेर में
सोये हों अखियां मीचें ।

मेरी किताबों में दबे
वे खत तुम्हारे लिख्खे
वे प्रेम रस में पगे
अक्षर सारे पक्के ।

कैसे मै भूलूं उनको
कैसे मिटाऊँ दिल से
पलक की कलम से
उतारे जो गये दिल पे ।

ये क्या हुआ सोचूं
सोचूं ये क्यूं हुआ
वो प्यारा सा सपना
क्यूं हुआ धुआं धुआं ।

कभी राह में अब
जो मिल गये हम से
नज़र बचा कर जाना
न तकना, कसम से ।

सह न पाऊँगी तुम्हारी
वह बनावट की हंसी
गले की अटकी फांस
हाय ह्रदय में फंसी ।

21 टिप्‍पणियां:

mridula pradhan ने कहा…

कहां तो पिरोये थे
बकुल पुष्प हार
कहा था खुशबू इनकी
रहेगी साल हजार
bhaw bahut pyare lage......

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत कुछ छूट जाता है पीछे ... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बहुत बढ़िया।

Suman ने कहा…

कभी राह में अब
जो मिल गए हमसे
नजर बचा कर जाना
न तकना, कसमसे !
सुंदर ........

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आशाओं के महल बनने के पहले झरने लगें तो पीड़ा होती है।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कभी राह में अब
जो मिल गये हम से
नज़र बचा कर जाना
न तकना, कसम से ।
... chalte chalte ab umra hui , ajnabi hi rahen to behtar hai

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

कैसे मै भूलूं उनको
कैसे मिटाऊँ दिल से
पलक की कलम से
उतारे जो गये दिल पे ।

bahut badhiya kavita !!
sundar bhavabhivyakti !!!

Arvind Mishra ने कहा…

यह किसकी याद हो आयी आज ? :)
मगर यहाँ तो कोई और मंजर है -
वे कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिये
रात भर सूरत को देखा कीजिये

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

कैसे मै भूलूं उनको
कैसे मिटाऊँ दिल से
पलक की कलम से
उतारे जो गये दिल पे

सटीक शब्दों और सजीव भावों का सुंदर समन्वय।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जीवन में जो गुजार जाता है अगर सच्चा न हो तो विषाद आ जाता है ... अच्छा लिखा है इस लेखे जोखे को ...

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

समय बदलता है और अब लगता है कि बहुत जल्दी बदलने लगा है समय!
पुष्प हार जल्दी ही मलिन हो जाते हैं अब तो!

Rajesh Kumari ने कहा…

pahli baar aapko padh rahi hoon.bahut achchi prastuti hai chalte chalte mod par.aapki shrankhla se jud rahi hoon.milte rahenge.

Vaanbhatt ने कहा…

खूबसूरत रचना...

Rakesh Kumar ने कहा…

सह न पाऊँगी तुम्हारी
वह बनावट की हंसी
गले की अटकी फांस
हाय ह्रदय में फंसी ।

आप बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण लिखतीं हैं. आपको पढकर कर मन मग्न हो जाता है.

मेरे ब्लॉग पर आपने 'नाम जप' पर जो अपने
अमूल्य विचार और अनुभव प्रकट किये,उसके
लिए बहुत आभारी हूँ मैं. अच्छे काम में शुरू शुरू में विघ्न आ सकते हैं,पर निरंतर प्रयास से
सफलता की ओर अग्रसर होते है हम.आपकी 'आशा' बहुत ही अच्छी लगी,आशा जी.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर शब्दों पिरोई अच्छी रचना,बढ़िया पोस्ट
मेरे पोस्ट पर स्वागत है ....

बेनामी ने कहा…

श्रृंगार रस में सराबोर यह सुंदर कविता मन मोह गयी।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

अच्छा लिखा है .

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

एक अच्छी चीज पढ़ने को मिली,
आभार आपका।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर सार्थक रचना अच्छी लगी,बधाई
मेरे नये पोस्ट में स्वागत है,...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्यारी अभिव्यक्ति ..प्रेम के भी कितने रंग ......
भ्रमर ५

कहां तो पिरोये थे
बकुल पुष्प हार
कहा था खुशबू इनकी
रहेगी साल हजार

वे भी कहीं पडे होंगे
बकुल वृक्ष के नीचे
या कूडे के ढेर में
सोये हों अखियां मीचें ।

mehek ने कहा…

bahut hi bhavpurn rachana,jaise kuch apna hokar bhi apna nahi.