सोमवार, 2 नवंबर 2009

अब तुमसे दूर



अब तुमसे दूर बहुत दूर चला जाता हूँ
रोकना अब न, यहां से मै कहां जाता हूँ ।
जो अपने बीच घटा था कभी कुछ नाजुक सा
वो तेरे पास अमानत सा रखे जाता हूँ ।
न पूछो मुझसे सवाल, जवाबों को न सह पाओगी
उलझे उलझे से इन सवालों को लिये जाता हूँ ।
जो कुछ था दिल में हमारे, कब किसने जाना
न उसको चौपाल पे लाओ, मै चला जाता हूँ ।
जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।
होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिख्खी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।

21 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

जो अपने बीच घटा था कभी कुछ नाजुक सा
वो तेरे पास अमानत सा रखे जाता हूँ ।
न पूछो मुझसे सवाल, जवाबों को न सह पाओगी
उलझे उलझे से इन सवालों को लिये जाता हूँ ।

बहुत खूब, बहुत सुन्दर !!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।
होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिख्खी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।

yeh panktiyan dil ko choo gayin.........

bahut hi sunder kavita........

Unknown ने कहा…

मेरी दुआयें आपके साथ हैं, बहुत अच्छा लिखा है आपने.

Abhishek Ojha ने कहा…

"होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिख्खी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।"
ओह !

शरद कोकास ने कहा…

बहुत सौम्य सी कविता है । अच्छी है ।

M VERMA ने कहा…

जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।
बहुत करीबी और भावपूर्ण रचना

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है.
---

महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुट सुंदर कविता. धन्यवाद

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत दिनो अस्वस्थ रहने से आपके ब्लोग पर नहीं आ पाई मगर फिर भी आप मेरे ब्लोग पर आती रही इतनी सुखद अनुभूति हुइ कि केवल ब्लोग के माध्यम से भी रिश्ते इतने स्नेहमयी हो जाते हैं धन्यवाद। आपकी रचना बहुत सुन्दर है बधै और शुभकामनयें

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

वाह!
बहुत खूब!!
बधाई!!!
''होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिखी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।''

इसी विषय पर मेरा नज़रिया कुछ यूं रहा_
चलो तकदीर दोनों आज़माकर देख लेते हैं,
मिलाता है, हमें किसका मुकद्दर, देख लेते हैं....
शाहिद मिर्ज़ा 'शाहिद'

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।
होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिख्खी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।

बहुत खूब....!!

शोभना चौरे ने कहा…

vah ashaji
pyari si komal kavita man ko choo gai
जो अपने बीच घटा था कभी कुछ नाजुक सा
वो तेरे पास अमानत सा रखे जाता हूँ ।
vah kya khyal hai bahut khoob

Rajeysha ने कहा…

तुलसी पर लगाया दि‍या
, है मेरी आस
कि‍ तू कुशल से रहे, रहे दूर या पास

Arshia Ali ने कहा…

दिल के जज्बों को बहुत खूबसूरती से अपने पिरोया है।
------------------
और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

"न पूछो मुझसे सवाल, जवाबों को न सह पाओगी
उलझे उलझे से इन सवालों को लिये जाता हूँ ।"

waah ashaa ji aur ye wali to bas ghzab hain...

जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।

daanish ने कहा…

एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।

ab iske baad aur bahalaa kyaa reh jaata hai...kehne ko....
ulajhe-ilajhe swaaloN ke
naazuq-se jawaab deti hui
khoobsurat rachnaa

Anuja ने कहा…

नमस्कार आशा ताई,
आज पहिल्यांदाच प्रतिक्रिया देते. खूप संवेदनशील, भावूक, कविता आहे. खूप आवडली.
माझ्या हि भावना.....
रोप तुळशी चे सासरी पण बहरले,
मंजिऱ्या रुपी, नातवंडी रमले,
दीप अजूनही वृन्दावनी लावते,
उजळून राहू दे अक्षय हे नाते.
माझा ब्लॉग.......www.anukshre.wordpress.com/
असा आहे. वेळ मिळाला तर भेट द्या.मला खूप आवडेल आपले नाते जोडायला.

padmja sharma ने कहा…

आशा जी
दिल को छू लेने वाले इस मासूम से भाव के आगे झुकने का मन करता है . इसे जानने के लिए थोड़ा रुकने का मन करता है .

रविंद्र "रवी" ने कहा…

न पूछो मुझसे सवाल, जवाबों को न सह पाओगी
आशाजी बहुत दर्द छिपा है इन लब्जो मे.

mehek ने कहा…

जो कुछ था दिल में हमारे, कब किसने जाना
न उसको चौपाल पे लाओ, मै चला जाता हूँ ।
जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।
kuch diye khamosh jalte hai,unki roushani dil tak pahun jati hai.sunder bhavuk rachana.

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह!
बहुत खूब!!
बधाई!!!
''होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिखी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।''