मिलते रहिये मिलाते रहिये
लोगों से बतियाते रहिये
शायद बात कोई बन जाये !
देखते रहिये दिखाते रहिये
सपनों को चमकाते रहिये
शायद कोई सच हो जाये !
राह को एक पकड के रहिये
चलते रहिये चलते रहिये
शायद मंजिल ही मिल जाये !
बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !
मेरे करने से क्या होगा
ना सोचें, बस करते रहिये
काम कोई पूरा हो जाये !
हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
28 टिप्पणियां:
राह को एक पकड के रहिये
चलते रहिये चलते रहिये
शायद मंजिल ही मिल जाये !
bahut hi meaningful aur saarthak kavita.......
सकारात्मक सोच और आशा का सन्चार करती रचना
हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
बौत सिन्दर सम्देश देती कविता बधाई
बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !
मेरे करने से क्या होगा
ना सोचें, बस करते रहिये
काम कोई पूरा हो जाये !
waah bahut sahi kaha,choti choti baaton mein hi badi baat ho jaati hai,sunder prernadayi rachana.
बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !
मेरे करने से क्या होगा
ना सोचें, बस करते रहिये
काम कोई पूरा हो जाये
bahut sundar sandesh kavitaa ke maadhyam se !
सकारात्मक सोंच युक्त रचना .. बहुत अच्छी है !!
बढ़िया
सच कहा आपने...सोच अगर पोजिटिव हो तो सारे बिगड़े काम भी बन जाते हैं...बहुत प्रेरक रचना है ये आपकी...
नीरज
बढ़िया!
घुघूती बासूती
हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
सार्थक सोच की कविता. सुन्दर भाव
हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
सही बात है ऐसे ही तो जीवन जीया जाता है...बढ़िया प्रस्तुति
लिखते रहिये
पढ़ाते रहिये.
चलते रहने से मंजिल मिलती है ..अच्छा कहा आपने इस रचना में ..शुक्रिया
आशा जी,
आपके नाम के अनुरूप ही आशायें बंधाती कविता बहुत अच्छी लगी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
काम कोई पूरा हो जाये !...इस पंक्ति में' शायद 'नही है इसका मतलब आप बहुत आशावादी हैं ...अरे आप तो हैं ही आशा !!
बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
-- hum padte rahenge,aap padhate rahiye :)
www.sandesh.co.nr
जी जरुर कोशिश रहेगी क्या पता काम कोई हो जाये ......!!
ये महफूज़ साहब को देख हैरानी होती है ...जहां भी जाती हूँ पहली टिप्पणी इन्ही की नज़र आती है ......!!
राह को एक पकड के रहिये
चलते रहिये चलते रहिये
शायद मंजिल ही मिल जाये ..
bahut aasha liye hai aapki rachna ... achaa likha hai aapne ..
sankalp aur vishwaas ki
sumudhur kehariyoN ko
trangit kartee huee
kaamyaab rachnaa...
bhaav-paksh bahut prabhaavit kartaa hai .
abhivaadan swikaareiN .
आपकी आज्ञा सर आंखो पार मेडम.
Kya Baat hai.........bahut khoob hai..
Kya Baat hai.........bahut khoob hai..
बूंदो पर भरोसा रखिये
बूंद बूंद जमाते रहिये
शायद गागर भी भर जाये !
बहुत अच्छे.. आप कभी नियमो मे नही बन्धती और हमेशा कुछ नया हमारे सामने होता है...
बधाई..
हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
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आपके ब्लाग पर आकर खुशी मिली
सभी गीत प्रेरक हैं
त्रिदल भी अच्छे बने हैं
खासकर यह--
घास पर ओस
धरती के आँसू
छलके छलके ।
आशा जी
परस्पर संवाद,सपना ,लगन, मंज़िल और भरोसा इन सारी बातों से ही सचमुच बात बनती है .बड़े सलीके से आपने विचारों को गूँथा है .
आशा, बेहद आशा लिये कविता. साधुवाद.
हंसते रहिये हंसाते रहिये
काम किसी के आते रहिये
शायद जीवन फल पा जायें ।
acchi rachna acche bhaav ke sath..
bahut sundar sandesh kavitaa ke maadhyam se !
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