मंगलवार, 16 सितंबर 2008

मौसम की पायल


ये कौन गुनगुनाया
हवा पे गीत आया
लहर बन के छाया
डालियाँ भी देखो लरजने लगीं
मौसम की पायल बजने लगी

पानी में तरंगे
आकाश में पतंगे
मन में उमंगे
उमड उमड कैसे मचलने लगीं
मौसम की पायल बजने लगी

कलियाँ लगीं खिलने
फूल मुस्कुराने
बुल बुल तराने
में, प्यार के फसाने सुनाने लगी
मौसम की पायल बजने लगी

अलसाई दुपहरी
धूप खूब गहरी
शाम ठहरी ठहरी
सहेलियाँ ठिठोली देखो करने लगीं
मौसम की पायल बजने लगी

चांद और बादल
नैना और काजल
चुनरी शामल शामल
तारों भरी रात देखो सजने लगी
मौसम की पायल बजने लगी


आज का विचार
अगर हम हर कार्य खुशी से करेंगे तो
हमें कोई भी कार्य कठिन नही लगेगा ।

स्वास्थ्य सुझाव

दांत को कीडे से बचाने के लिये १ चम्मच गुलाब जल में
१/४ चम्मच काला नमक, १/४ चम्मच पिसी काली मिर्च, १/4 चम्मच हल्दी
मिला कर मालिश करें ।

18 टिप्‍पणियां:

Harshad Jangla ने कहा…

Nice poem with wonderful wordings.
What is the meaning of Alsai?

-Harshad Jangla
Atlanta, USA

Udan Tashtari ने कहा…

क्या बात है!!!

स्वास्थय सुझाव भी बेहतरीन है.

GULMOHAR ने कहा…

...... अति सुंदर ह्रदय स्पर्शी कविता...... अंतर्मन की गहराइयों में उतर आया.... एक -एक शब्द बेसुधगी सी पैदा करने को काफी है...... आपके नये पोस्ट की बेसब्री से प्रतीक्षा में....

siddheshwar singh ने कहा…

अच्छी कविता
अच्छा विचार
और
अच्छा सुझाव!!

रंजू भाटिया ने कहा…

चांद और बादल
नैना और काजल
चुनरी शामल शामल
तारों भरी रात देखो सजने लगी
मौसम की पायल बजने लगी

बेहतरीन कविता के साथ ..जो आपने आज का विचार दिया है वह ..बहुत ही अच्छा लगा ..शुक्रिया

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

कविता कुछ समय के लिये तो प्रकृति की गोद में ले गयी!
फिर याद आया कि टिप्पणी भी लिख दें!

शोभा ने कहा…

वाह! अति सुंदर.

Abhishek Ojha ने कहा…

बेहतरीन कविता के साथ विचार भी उत्तम !

Asha Joglekar ने कहा…

Harshad ji Alsai ka matalab hai romantically lazy.
Aap sabka hausala afjaee ke liye shukriya

makrand ने कहा…

beautiful lines
edited with sense and experience
regards

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

Very good suggestions Ashaji ..
& the poem is very nice too ! :)
Enjoyed your Alaska cruise also ~` Good writing all in all.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता साथ मे एक अच्छा सुझाव भी, धन्यवाद

Unknown ने कहा…

तारों भरी रात देखो सजने लगी
मौसम की पायल बजने लगी...

मौसम की मस्ती में पायल की रुनझुन, क्या बात है...साधुवाद स्वीकार करें..

-पंकज शुक्ल

BrijmohanShrivastava ने कहा…

मैडम ,आज का विचार और स्वस्थ्य सुझाव तो खैर ठीक ही हैं ,कई जगह पढने को मिल जाते हैं मगर , साहित्य में प्रकृति का चित्रण जैसा आपने किया है ,बहुत बहुत कम देखने को मिलता है आपकी रचना में प्रयुक्त शव्द "गुनगुनाना "" लरजना -मचलना -पायल बजना , तारों भरी रात बहुत ही सुंदर बन पड़े हैं /मैं समझता हूँ कि आज की जनरेशन तो इन शब्दों से बंचित होगी ही कहाँ तो बेचारों ने तारों भरी रात देखी होगी क्लबों में गुनगुनाना नहीं होता शोर होता है ,चांदनी रात नहीं होती चकाचोंध करदेने वाला प्रकाश होता है /डिस्को में पायल का महत्त्व ही कहाँ रह जाता है -रचना बहुत ही सुंदर बन पडी है

गौतम राजऋषि ने कहा…

बहुत मनभावन रचना है मैम....और शेर की तारिफ़ का शुक्रिया.मेहरबानी

Ravish ने कहा…

kafi aacha likha hai apne. Anubhav ke sath kalpanasheelta ka acha mishran taiyara kia hai..

aur mere blog pe comment ke lie bahut bahut shukria...

बेनामी ने कहा…

Aasha ji,
Bahut achchhi kavi, sath me.n vichar evm swasth salah free :).

RAJ SINH ने कहा…

mausam kee payal.........

bahut mohak