सोमवार, 7 जनवरी 2008

तकलीफें

तकलीफें तो सदा रहेंगी
तकलीफें जीवन का हिस्सा
आँसू और हँसी से लिख्खा
जाता हर जीवन का किस्सा

दिन के बाद रात आती है
वैसे सुख और दुख आता है
गहराता अंधियारा जितना
ऊषाकाल पास आता है

एक सिक्के के ये दो पहलू
गिरे कभी चित और कभी पट
अनुपात बराबर ही रहता है
जितनी भी हम करलें खटपट

तकलीफें हम को निखारती
अग्नि-तप्त ज्यूँ चमके सोना
ये तो बेहतरी का मौका
तकलीफों पर फिर क्य़ू रोना

खुशियों की ही तरह कष्ट को
सहज भाव से हम स्वीकारें
दोनो के ऊपर उठनें की
कोशिश में जीवन को सँवारे


आज का विचार
संदेह सच्ची मित्रता का विष है ।

स्वास्थ्य सुझाव

बाल झड रहे हों तो तुलसी के पत्ते सुखा कर उसका पाउडर बना लें
और जहाँ से बाल झड रहे हों उस जगह मलें।

9 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ek dam sahi kaha ashaji apne,taklife tho sab ko hoti hai,khushiyon ki tarh enhe bhi apnaye aur jeevan sawaren,behad aasha dayi kavita.mehek.
http://mehhekk.wordpress.com/

tumhi marathi aahat ka,majhi pan matrubhasha mrathi aahe.actualy maza orignal blog wordpress madhe aahe.tumchya kavita vachun sudha comment navhate karu shakat .aata me rangkarmi blogger jion kelay.yet rahin ,aathavn aasavi.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

सत्यवचन!!

मीनाक्षी ने कहा…

सच कहा ..जीवन में दुख सुख है तो हँसना रोना भी स्वाभाविक हैं.

ghughutibasuti ने कहा…

कविता अच्छी लगी ।
घुघूती बासूती

रंजू भाटिया ने कहा…

खुशियों की ही तरह कष्ट को
सहज भाव से हम स्वीकारें
दोनो के ऊपर उय़नें की
कोशिश में जीवन को सँवारे


यही जीवन का सत्य है ..बहुत ही सुंदर लगी आपकी यह कविता ..और जानकारी तुलसी के पत्तों की भी शुक्रिया :)

sachin patil ने कहा…

आशाजी
“तकलीफें"कविता अच्छी है
बहोत खूब.
आपके स्लाईड शोके जरीए मैने फोटो देखे.काफ़ी अच्छॆ है.
प्रा.सचिन पाटील

हास्यमेव जयते.
http://sachinpatil123.blogspot.com

अजित वडनेरकर ने कहा…

सुंदर बात ।

पूर्णिमा वर्मन ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है, जीवन का दर्शन भी और काव्य का सौंदर्य भी। बधाई ही बधाई

singh ने कहा…

पीडा पथिक पन्थ में न हो, वह पथ गमन नियर्थक जाता.......जीवन के सच को प्रस्तुति करती सुन्दर रचना..बधाई
विक्रम