प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।
वेदना में है निहित उसका का हरण
वेदना की धार से तुम मत डरो ।
संतुलन ही, नियम है इस प्रकृती का
क्रिया-प्रतिक्रिया ये सदा घर्षण है होता
संतुलन को ही निजी जीवन में लाओ
कमी जो जो है जहां पर वह भरो ।।
दुःख औ उसके बाद सुख, चलता ही जाता
उपरान्त कटनी के कृषक फिर बीज बोता,
तपती धरती, तब ही तो वर्षा है
होती
अमिय की इस धार को हिय में धरो ।।
आज आँसू, कल खुशी की जगमगाहट
आज पीडा है तो कल फिर मुस्कुराहट
दोनों ही के परे जा तुम जी सको तो
जीत के, जीवन के अपयश को हरो ।
कर्म के अनुसार सबको फल है मिलता
जो यहां जैसा है करता वैसा भरता
बात को इस मान के आगे बढो तुम
और अपना कर्म सुख पूर्वक करो ।
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।।
17 टिप्पणियां:
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।।
सुंदर ...सार्थक ....प्रेरक पंक्तियाँ ...!!
बहुत अच्छी रचना ...आशा जी ....!!
सृजन का स्वागत होगा ...
हर विनाश में सृजन के बीज छिपे हैं।
बहुत ही सुन्दर आशावादी गीत !
Behad achha sandesh! Lekin kahin to vedna ka ant ho....kaheen to srijan kee shuruat ho! Anant kaal tak vedna kaise sahe koyee?
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।
वेदना में है निहित उसका का हरण
वेदना की धार से तुम मत डरो ।
....निडरता में ही आधार है
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो....bahot khoobsurat pangtiyan.....
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।
sahi sarthak ...
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।।
सार्थक प्रेरक पंक्तियाँ \,,,,,,
RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
प्रेरणादायक रचना .... विनाश के बाद फिर सृजन होता है ... सुंदर रचना
कर्म के अनुसार सबको फल है मिलता
जो यहां जैसा है करता वैसा भरता
बात को इस मान के आगे बढो तुम
और अपना कर्म सुख पूर्वक करो ।
वाह बहुत सुन्दर ..रचना .
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।।
बहुत ही प्रेरक रचना है बधाई।
बहुत सुन्दर रचना आशा जी...
जीवन से ओतप्रोत...
सादर
अनु
ये जो संतुलन है,इसी को बुद्ध ने सम्यक् कहा है। यह मार्ग संतों का है। इस मार्ग पर चलने वाला गृहस्थ भी संत ही है।
बेहद सुन्दर रचना. "संतुलन" में ही सार है.
प्रलय के उपरान्त होता है सृजन
तुम प्रलय की वेदना से मत डरो ।।
वाह! आपकी प्रस्तुति बहुत ही प्रेरक
और आशा का संचार करती हुई है.
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