हम बोले तो बडबोले
वे बोले, वाह, क्या बोले !
कौन किसी की सुनता है,
सब अपनी अपनी बोले ।
उनसे कल क्या बात हुई,
जो तेरा तन मन डोले ।
काम गती पकडे कैसे,
गाडी खाये हिचकोले.
रानी हुकुम चलाये तो,
मंत्री प्रधान क्या बोले ।
महंगाई ऊपर चढती
रुपया नीचे को होले ।
टिप्पणियां जो कम आयें,
ब्लॉगर यूँ मन को खोले ।
लिक्खूं या फिर ना लिख्खूं
मन इस दुविधा में डोले ।
समय से सब सही होगा,
धीरे धीरे हौले हौले ।
चित्र गूगल से साभार ।
19 टिप्पणियां:
समय से सब सही होगा,
धीरे धीरे हौले हौले ।
बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति है ...!!
शुभकामनायें...!!
वाह क्या खूब बोले!
कम शब्दों में,
अचरज है,
कितना कुछ बोले।
बड़ बोलों की वाह है, मम बोली बड़बोल |
यही दोगलापन चले, झेलूँ नित भू-डोल |
झेलूँ नित भू-डोल , खोल दूँ पोल सभी की |
मंहगाई से त्रस्त, शिकायत नहीं कभी की |
रविकर अब अभ्यस्त, किन्तु मोहन मुंह खोलो |
सत्ता कित्ता मस्त, तनिक बोलो बड़-बोलों ||
रानी हुकुम चलाये तो,
मंत्री प्रधान क्या बोले ।
महंगाई ऊपर चढती
रुपया नीचे को होले ।
राजनीति से ले कर ब्लॉग नीति तक सब कुछ बोले ... बहुत खूब
टिप्पणियों की परवाह क्या है
कहो तो,बक्सा खोलें
हम तो आपको सदा सुनेंगे
चाहे जग कुछ बोले !
वाह ... बहुत खूब।
कविता भी क्या खूब हौले हौले ......
लिक्खूं या फिर ना लिख्खूं
मन इस दुविधा में डोले ।
समय से सब सही होगा,
धीरे धीरे हौले हौले ।
vaah bahut sundar ....
Saaaamaaajhme nahee aata kya likha jaye!
बहुत बेहतरीन कविता..
सुपर्ब.....
:-) :-)
मस्त लिखा है आपने। बहुत अच्छा लगा।..बधाई।
aap likhte rahiye.....kisi duvidha men mat padiye.
हम बोले तो बडबोले
वे बोले, वाह, क्या बोले !
बहुत खूब लिखा है, आशा जी !
एकदम सटीक बातों को रेखांकित किया है आपने।
वाह...बहुत सुन्दर
हम बोले तो बडबोले
वे बोले, वाह, क्या बोले !
कौन किसी की सुनता है,
सब अपनी अपनी बोले ।
sahi kaha aapne aaj aesa hi hai
rachana
छोटी छोटी पंक्तियों में बड़ी बड़ी बातें यूँ कह गये कि हम सोच में पड़ गये -
हम बोलें तो क्या बोलें.....
समय से सब सही होगा, धीरे धीरे हौले हौले ।
आपने बहुत सुन्दर बोला आशा जी.
मन को खोल ऐसा सुन्दर लेखन हो
जो पाठक का मन भी खोले,
तो टिप्पणियाँ टप टप आ ही
जायेंगीं.
kum shabdon mein bahut bol diya:):)
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