खुली खिडकी से आती रोशनी
तुम्हारे चेहरे को सहलाती
है
सवेरा कितना प्यारा ।
ये खुली हवा, ये आसमाँ ,
ये छन छन कर आती धूप,
माँ के आंचल सी ।
कितना निश्छल, कोमल
विश्वास भरा, प्यारा प्यारा
तुम्हारा ये चेहेरा ।
आई है ये सुबह
कितनी जहमतों के बाद.
मेरे जीवन में ।
साथ पा कर
इक नई शुरुवात
तो कर दी है हमने ।
तो लगता है कि
सब अच्छा होगा ।
अब रब की मर्जी है ।
19 टिप्पणियां:
त्रिदल मचल,
शब्दों का जल,
बहता कल कल।
सुन्दर त्रिदल ।
बधाई ।।
सब अच्छा होगा ।
बेजोड़ भावाभियक्ति....
Zindagee me aapka wishwas toota nahee....bana raha,ye sabse badee baat hai.....bhagwan aapko aisehee banaye rakhe!
मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.
आई है ये सुबह
कितनी जहमतों के बाद.
दुआ hai ab ye subah zindagi sanjh tak kayam rahe .....
आई है ये सुबह
कितनी जहमतों के बाद.
दुआ hai ab ye subah zindagi sanjh tak kayam rahe .....
आमीन ... सब कुछ अच्छा ही हो ... सुबह की किरण आशा और ऊर्जा का सन्देश ले के आए तो जीवन ऊर्जित हो जाता है ... सुन्दर काव्य ...
आई है ये सुबह
कितनी जहमतों के बाद.
मेरे जीवन में ।
sundar tridal...
माँ के आँचल की तरह सूरज की किरनें.....
वाह!!
बहुत प्यारी रचना है आशा जी..
सादर
अनु
ekdam taazi......
कितना निश्छल, कोमल
विश्वास भरा, प्यारा प्यारा
तुम्हारा ये चेहेरा ।
आदरणीया आशा जी ...सब अच्छा ही होगा ...स्नेह छलके जिस मन से सब अच्छा ही मिलता है ..आनन्द ही आनन्द ..प्यारी रचना
चेहरा
भ्रमर ५
बहुत ही भावमय करती प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर कविता
'रब कि मर्जी' नैराश्य को दूर कर आशा का संचार
करती है.ईश्वर जो भी करेंगें अच्छा ही
करेंगें ऐसा पक्का विश्वास हृदय में होना ही चाहिये.
शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार ,आशा जी.
बहुत सुंदर रचना..
नयी शुरुआत ..आगे सब अच्छा ही होगा..
सकारात्मक भाव लिए अच्छी कविता.
Sundar bhaavpoorn rachna. abhar.
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