अयोध्या आज हुई है धन्य
दशरथ घर गूंजे मंगल गान,
उपजे पुत्र चार कुल दीपक
अतीत का शाप बना वरदान ।
हर्षित तीनों ही मातायें
सुतमुख देख तृप्त मन-काम
राम, लक्ष्मण, भरत शत्रुघन
आज अवध आनंद को धाम ।
कौशल्या, चकित और विस्मित
प्रगट भये करुणा निधान,
धन्य हुई है कोख आज लगि,
सतजन्म पुण्य का ये वरदान ।
पुत्र जन्म उत्सव नगरी में
जन जन हरषे, मन अभिमान
कौशल्या घर प्रभू प्रगट भये
बालक अति सुंदर अभिराम ।
चर्चा करे नगर नर नारी
नंदन, मनमोहक घन-शाम
देखत मन आनंद से डोलत
तन-मन पुलक, अश्रु अविराम ।
मुदित भये महल भीतर सब
नगर भयो आनंद को धाम
सूरज भी रुक गये दो पहर
क्या ऐसा घटगया अनाम ।
23 टिप्पणियां:
behad achchhi kavita se aapne ram navmi ki shubhkaamnayen di hain. dhanyavaad.
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !
प्रभू के जनम दिन की गाथा बहुत ही सुन्दर वर्णित की है ... आपको रामनवमी के मंगल बधाई ...
श्री रामनवमी की शुभ कामनाएं ।
आपके ब्लॉग पर आकर मन तृप्त हो जाता है ।।
बहुत बढ़िया ....रामनवमी की शुभ कामनाएं !!!
Wah! Kya kamal ka likha hai!
रामनवमी की शुभकामनाएं...आज ही पाप के अंत का बीज पड़ गया था...
रामनवमी पर यह सुन्दर काव्य प्रस्तुति !शुभकामनाएं!
राम नाम मधुरम् मधुरम्।
राम जन्म ... हर्षित मन उपवन - राम जन्म की बधाई आपको भी
बहुत सुंदर रचना....
राम नवमी की हार्दिक बधाईया
सादर.
राम रमेती रामेति..
सुन्दर काव्य!!
बहुत सुंदर रचना....
wah kya kahen bahut hi sunder kavita hai prabhi janm ki sunder gatha
badhai
rachana
bahut achcha likhin.....
भगवान राम के महान चरित्र का अति सुंदर चित्रण, बधाई । समय अनुमति दे तो मेरे ब्लॉग शिवमेवम् सकलम् जगत पर अवश्य पधारियेगा ।
बहुत सुन्दर!
बहुत सुंदर रचना
maaf kijiye bahut der se padhi aapki yeh rachna jitni bhi tareef ki jaaye kam hi hogi is chhand badh kavita ki.
बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है आपने राम जन्म का.मन मुदित हो गया है पढकर.
१ अप्रैल २०१२ को जी न्यूज के मंथन प्रोग्राम
(सुबह ६ से ७ बजे) में राम नवमी के सुअवसर
मैंने भी भाग लेकर राम जी की व्यक्तिगत,
परिवारिक और समाजिक सन्दर्भ में चर्चा प्रस्तुत
की थी.
आशा जी,आप मेरे ब्लॉग पर आईं बहुत अच्छा लगा.अबकी बार पोस्ट लिखने में देरी हो गयी है,इसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ.कुछ मजबूरी के
कारण ऐसा हुआ.शीघ्र ही कोशिश करता हूँ.
मेरी कमी को आप अच्छे से पूरा कर रही हैं.
आपकी पोस्टें पढकर हृदय में आनन्द का संचार होता है.बहुत बहुत आभार जी.
बहुत ही सुन्दर रचना!...कुछ देर से पहुँची हूँ...क्षमस्व!
बहुत सुन्दर रचना. मेरे पिताश्री भी रामनवमी के दिन ही जन्म लिए थे और वही सब कुछ भुगतना भी पड़ा था. दंडकअरण्य में!
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