शनिवार, 14 मई 2011

जिंदगी



लहर में बहती
बिना पतवार
एक नांव

हिचकोले खाती
उछलती
ठांव ठांव

एक माझी
एक चप्पू
जोरों की हवा

हवा से लडती
और उखडती
एक नाव

जिंदगी क्या इसीका नाम है ?
कभी उलटती
फिर सम्हलती
एक नाव ।

जिंदगी-२

पानी में बहते
पत्ते सी
मेरी जिंदगी
कभी तेज
तो कभी धीमें चलती
जिंदगी ।

हवा के झोंके , पत्थर
पेडों के तने
इनके असर पर
डगमगाती जिंदगी ।

एक लहर साथी को
कर देती अलग
अफसोस में फिर
आह भरती जिंदगी

अपना नही चलता
जब कोई जोर है
तो घुटन में
कसमसाती जिंदगी

कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूं ही
कटेगी जिंदगी ?

27 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

ओह, यहां गंगा में तेज लहरें नहीं होती&। आराम से चलती है नाव। तभी शायद जद्दोजहद का माद्दा कम है।
नाव कुछ तो डगमगानी चाहिये न!

संजय भास्‍कर ने कहा…

अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नाव हिचोले खायेगी,
जीवन यही बतायेगी।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

यही है जिन्दगी...

Vaanbhatt ने कहा…

जिंदगी का दरिया ऐसे ही चलता है...दिशा तय है...सागर में मिलना है...कैसे भी...थपेड़े सफ़र को रोक नहीं सकते...
बकौल गुलज़ार...
उम्र के खेल में इक तरफ़ा है ये रस्साकशी...
इक सिरा मुझको दिया होतो तो कुछ बात भी थी...
मुझसे तगड़ा भी है...और सामने आता भी नहीं...

mridula pradhan ने कहा…

bahut sunder.....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अपना नही चलता
जब कोई जोर है
तो घुटन में
कसमसाती जिंदगी

कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूं ही
कटेगी जिंदगी ?... bas yun hi chalti hai zindagi

ishq sultanpuri ने कहा…

एक माझी
एक चप्पू
जोरों की हवा


jabardast .............bahut hi sundar gahare bhavon se bhari kavita..............vakt na milane se durbhagya se aapaka sanidhya nahi milata........aashirvad ki apeksha hai ...........pranam

Khare A ने कहा…

जिंदगी क्या इसीका नाम है ?
कभी उलटती
फिर सम्हलती
एक नाव ।

Behsaq Jindgi isi ka hi naam he!

sundar kavita!

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

अहसासों से सजी बहुत ही प्यारी रचना...

वीना श्रीवास्तव ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूं ही
कटेगी जिंदगी ?

बहुत सुंदर ......जीवन की जद्दोज़हद लिए है यह प्रश्न ..... बड़े अर्थपूर्ण विचार उकेरे आपने...

Abhishek Ojha ने कहा…

जीवन पता नहीं क्या-क्या है :) बड़ा कठिन है समेट पाना उपमाओं में !

Suman ने कहा…

कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूँ ही
कटेगी जिन्दगी ?
बस ऐसेही परवश बहने का नाम
जिन्दगी है शायद ! अच्छी रचना !

mehek ने कहा…

पानी में बहते
पत्ते सी
मेरी जिंदगी
कभी तेज
तो कभी धीमें चलती
जिंदगी
aise hi zindagi chalti behti hai,apne unche niche raston par hame bhi le jaati hai,jeevan ke har roop ka sunder varnan.

सदा ने कहा…

एक माझी
एक चप्पू
जोरों की हवा

बहुत खूब कहा है आपने ... ।

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

शायद दिशाहीनता ही दिशा बना जायेगी :-)
......आभार !

रचना दीक्षित ने कहा…

लहर में बहती
बिना पतवार
एक नांव.

जीवन की नैय्या यूँ ही हिचकोले खाती रहती है. बहुत सही परिभाषित किया है जिंदगी को. बहुत सुंदर कविता, बधाई.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

जिंदगी...भावपूर्ण शब्दांकन

मीनाक्षी ने कहा…

ज़िन्दगी की खूबसूरत परिभाषा रच दी आपने...ज़िन्दगी यूँ ही चलती रहेगी...हिचकोले खाती तो कभी शांत होती...

Satish Saxena ने कहा…

सत्य यही है ...यही जीवन है ! शुभकामनायें आपको !!

SANDEEP PANWAR ने कहा…

नमस्कार जी,
कविता के बहाने जीवन की सच्चाई,

Jyoti Mishra ने कहा…

in sweet and simple words you have expressed a lot !!

Patali-The-Village ने कहा…

अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है|

Coral ने कहा…

जिंदगी क्या इसीका नाम है ?
कभी उलटती
फिर सम्हलती
एक नाव ।

बेहत खूबसूरत

daanish ने कहा…

dariyaa mei hichkole khaati naav
aur zindgi ka falasfaa
sabhi kuchh bkhoobi bayaan ho rahaa hai aapke iss kaavya mei...
bahut khoob !!

Udan Tashtari ने कहा…

यही जीवन है...अच्छी रचना.

आप कहाँ हैं आजकल?