लहर में बहती
बिना पतवार
एक नांव
हिचकोले खाती
उछलती
ठांव ठांव
एक माझी
एक चप्पू
जोरों की हवा
हवा से लडती
और उखडती
एक नाव
जिंदगी क्या इसीका नाम है ?
कभी उलटती
फिर सम्हलती
एक नाव ।
जिंदगी-२
पानी में बहते
पत्ते सी
मेरी जिंदगी
कभी तेज
तो कभी धीमें चलती
जिंदगी ।
हवा के झोंके , पत्थर
पेडों के तने
इनके असर पर
डगमगाती जिंदगी ।
एक लहर साथी को
कर देती अलग
अफसोस में फिर
आह भरती जिंदगी
अपना नही चलता
जब कोई जोर है
तो घुटन में
कसमसाती जिंदगी
कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूं ही
कटेगी जिंदगी ?
27 टिप्पणियां:
ओह, यहां गंगा में तेज लहरें नहीं होती&। आराम से चलती है नाव। तभी शायद जद्दोजहद का माद्दा कम है।
नाव कुछ तो डगमगानी चाहिये न!
अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
नाव हिचोले खायेगी,
जीवन यही बतायेगी।
यही है जिन्दगी...
जिंदगी का दरिया ऐसे ही चलता है...दिशा तय है...सागर में मिलना है...कैसे भी...थपेड़े सफ़र को रोक नहीं सकते...
बकौल गुलज़ार...
उम्र के खेल में इक तरफ़ा है ये रस्साकशी...
इक सिरा मुझको दिया होतो तो कुछ बात भी थी...
मुझसे तगड़ा भी है...और सामने आता भी नहीं...
bahut sunder.....
अपना नही चलता
जब कोई जोर है
तो घुटन में
कसमसाती जिंदगी
कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूं ही
कटेगी जिंदगी ?... bas yun hi chalti hai zindagi
एक माझी
एक चप्पू
जोरों की हवा
jabardast .............bahut hi sundar gahare bhavon se bhari kavita..............vakt na milane se durbhagya se aapaka sanidhya nahi milata........aashirvad ki apeksha hai ...........pranam
जिंदगी क्या इसीका नाम है ?
कभी उलटती
फिर सम्हलती
एक नाव ।
Behsaq Jindgi isi ka hi naam he!
sundar kavita!
अहसासों से सजी बहुत ही प्यारी रचना...
कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूं ही
कटेगी जिंदगी ?
बहुत सुंदर ......जीवन की जद्दोज़हद लिए है यह प्रश्न ..... बड़े अर्थपूर्ण विचार उकेरे आपने...
जीवन पता नहीं क्या-क्या है :) बड़ा कठिन है समेट पाना उपमाओं में !
कोई दिशा
मिलेगी क्या
इसको कभी
या फिर यूँ ही
कटेगी जिन्दगी ?
बस ऐसेही परवश बहने का नाम
जिन्दगी है शायद ! अच्छी रचना !
पानी में बहते
पत्ते सी
मेरी जिंदगी
कभी तेज
तो कभी धीमें चलती
जिंदगी
aise hi zindagi chalti behti hai,apne unche niche raston par hame bhi le jaati hai,jeevan ke har roop ka sunder varnan.
एक माझी
एक चप्पू
जोरों की हवा
बहुत खूब कहा है आपने ... ।
शायद दिशाहीनता ही दिशा बना जायेगी :-)
......आभार !
लहर में बहती
बिना पतवार
एक नांव.
जीवन की नैय्या यूँ ही हिचकोले खाती रहती है. बहुत सही परिभाषित किया है जिंदगी को. बहुत सुंदर कविता, बधाई.
जिंदगी...भावपूर्ण शब्दांकन
ज़िन्दगी की खूबसूरत परिभाषा रच दी आपने...ज़िन्दगी यूँ ही चलती रहेगी...हिचकोले खाती तो कभी शांत होती...
सत्य यही है ...यही जीवन है ! शुभकामनायें आपको !!
नमस्कार जी,
कविता के बहाने जीवन की सच्चाई,
in sweet and simple words you have expressed a lot !!
अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है|
जिंदगी क्या इसीका नाम है ?
कभी उलटती
फिर सम्हलती
एक नाव ।
बेहत खूबसूरत
dariyaa mei hichkole khaati naav
aur zindgi ka falasfaa
sabhi kuchh bkhoobi bayaan ho rahaa hai aapke iss kaavya mei...
bahut khoob !!
यही जीवन है...अच्छी रचना.
आप कहाँ हैं आजकल?
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