शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

घुमक्कडी-३



सुबह जल्दी ही नींद खुल गई । चाय पीने के बाद बालकनी में से ऑकलैन्ड की खूबसूरत सुबह का नजारा देखा बादलों को चीर कर धीरे धीरे बाहर आता सूरज जैसे लिहाफ में से निकल रहा हो । हमारे इस बालकनी में से सामने ही हार्बर का दृश्य नजर आता था । खूब सारी सेल-बोटस् । काफी गप्पें लगाईं शाम के खाने के लिये भी कुछ बना लिया फिर भी हम सुबह ८ -८:30 तक घर से निकल गये ।(विडिओ )

और युनिवर्सिटि से फ्री बस लेकर पहुंचे स्काय टॉवर के टूरिस्ट ऑफिस । आज हमारा प्रोग्राम था ऑकलैन्ड सही माने में देखने का, तो ३५-३५ डॉलर के टिकिट लिये और कंडक्टेड साइट सीइंग के लिये निकल पडे । पहला ही पडाव था स्काय टॉवर पर वहीं बस को वापिस आना था तो हमने सोचा क्यूं न पहले म्यूज़ियम देखा जाये । तो वहीं उतरे । म्यूज़ियम की इमारत ही बडी भव्य
थी । अंदर जाकर देखा ५ -५ डॉलर के टिकिट थे पर हम सब सीनियर सिटिझन थे तो हमें वही टिकिट ३-३ डॉलर में मिल गये । म्यूज़ियम में बहुत अचरज वाली चीजें देखी (जाहिर है, म्यूजियम में और क्या देखेंगे ?) । पहला सेक्शन तो दुनिया भर से इकठ्ठी की गई खूबसूरत चीजों का था । माइकेल एन्जेलो के शिल्प, चीन की पॉटरी, कई चीजें भारत से भी थीं और जापान से भी जिन्हे ये लोग साउथ पेसिफिक आर्टिफेक्टस कहते हैं । माओरी लोगों( यहाँ के मूल निवासी) की बनायी चीज़ें भी । (विडिओ देखें)
दूसरा सेक्शन यहाँ के लोकल लोगों (माओरी ) के इतिहास का था तथा उनकी संस्कृति ओर शिल्प भी प्रदर्शित किये गये थे । जब अंग्रेज यहाँ पर आये तो यहाँ माओरी लोग रहते थे । वे पॉलिनेशियन मूल के थे ओर हवाई के लोगों की तरह ही फिजी से यहाँ आकर बस गये थे । माओरी लोग काफी शूर-वीर और लडाके थे । अंग्रेज़ों को उन्होने काफी टक्कर दी परंतु अंग्रेज़ अपनी टेक्नॉलॉजी की वजह से उन पर भारी पडे और अंत में न्यूज़ीलैन्ड उनका हो गया पर फिर भी पॉलिनेशियन मूल के लोग आज न्यूज़ीलैन्ड में काफी संख्या में से दिखते हैं । भारतीय भी काफी हैं ।
इस विभाग में हमने देखीं लकडी की तरह तरह की मानवीय आकृतियां घर, दरवाजे, नावें, औजार और सब उकेरे हुए शिल्प।
फिर पशु-पक्षी और पौधों का सेक्शन था । यहाँ हमने तरह तरह के पक्षी देखे । एमू और किवी यहाँ के प्रसिध्द पक्षी है । यह न उडने वाले पक्षी है । एमू आकार में बहुत बडा है और अब संख्या में कम हो गये हैं । यहां उस समय में इन्हीं की बहुतायात थी जब अन्न बहुत उपलब्ध था और न ही कोई बडे दुष्मन ही, इसीसे उडने की जरूरत ही नही थी । इससे इनके पंखों की क्षमता जाती रही और आकार बडा हो गया । किवि इसके मुकावले आकार प्रकार मेंछोटा है, और भी बहुतसे पक्षी थे । अलबेट्रॉस तथा सी-गल्स और छोटी बडी अलग लग तरह की बहुत सी चिडियाँ । (विडिओ )

आखरी में था ज्वालामुखी सेक्शन । ऑकलैन्ड में रंगीटोटो नामक ज्वालामुखी है जो अस्सी साल पहले जागृत हुआ था कई लोग उसकी चपेट में आ गये थे और जानवर भी । इसकी एक पूरी फिल्म देखी जहां ज्वाला मुखी के विस्फोट के समय हमारी कुर्सियों के नीचे की भी जमीन हिलती है तो उससे काफी कुछ वास्तविक सा लगता है । रंगीटोटो पर्वत हमारे अपार्मेन्ट के बालकनी से भी दिखता था । इसी सेक्शन में लावा से पेट्रिफाइड एक आदमी भी रखा था । एक हाथी भी । न्यूजीलैन्ड पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया से जुडा हुआ था । इसीसे यहाँ के कुछ पोधे और पशु भारत जैसे हैं हाथी,चीता,शेर,हिप्पो और बहुत से प्रायमेट्स, बाद में अलगाव की वज़ह से इनमें काफी परिवर्तन आगया । म्यूजिंयम के अंदर ही स्वागत कक्ष के पास एक सुंदर सा रेस्तराँ भी है । फिर बाहर आकर हम ने अपनी एक्प्लोरर बस पकडी, हमारा अगला पडाव था स्काय टॉवर ।
स्काय-टॉवर दुनिया के सबसे ऊँचे टावरों में से एक है । इसे ऑकलैन्ड टॉवर भी कहते हैं । इसकी ऊँचाई आयफेल टॉवर से भी ज्यादा है ३०९ मीटर (यहाँ किसने देखा है आइफेल टॉवर !)। यहाँ मीटर ओर किलो ही चलते हैं अमेरिका की तरह मील ओर पाउंड नही । यहाँ नीचे एक खूबसूरत होटल भी है स्काय सिटी । इसका परिसर बहुत ही खूबसूरत है, और ऊपर से नीचे के नजारे का तो कहना ही क्या ? (विडिओ देखें)

तो हमने यहाँ २८ -२८ डॉलर के टिकिट खरीदे और लिफ्ट से ऊपर गये । इतनी उँचाई से सारा ऑकलैन्ड शहर बेहद खूबसूरत दिखा । खूब तसवीरें खींची और एक चक्कर लगाया । गैलरी के फ्लोर के कुछ हिस्से कांच के बने थे तो वहाँ से नीचे देखने में थोडा थोडा डर भी लगा । वहाँ से स्काय डायविंग भी कुछ लोग कर रहे थो तो उसकी तसवीरें खींची । उन्हें देख कर ही थ्रिल महसूस हो रही थी । खुद तो करने की हिम्मत थी नही तो देख कर ही खुश हो गये । फिर नीचे आये वहां नीचे के स्टोर से कुछ पिक्चर पोस्टकार्ड खरीदे । और तुरंत ही पते लिख कर पोस्ट भी कर दिये सबने अपने अपने नाती-नातिनों, पोते पोतियों को । फिर थकान हो रही थी तो एक टैक्सी पकडी और मकाम पर वापिस । इस ट्रिप पर हम खूब एहतियात बरत रहे थे दुनिया भर में एच१ एन १ कै हौवा फैला हुआ था तो बाहर सिर्फ गरम चाय या कॉफी ही पीना खाना घर पर ही कुछ बना लेना आदि । तो सुबह ही कुछ बना कर रख लेते और शाम को माइक्रोवेव में गरम करके खाते । इससे सेहत के साथ साथ बचत भी तो हो रही थी । इसीसे चुपचाप टैक्सी ली और मकाम पर । फ्री बस लेते तो युनिवर्सिटी से तो आगे पैदल ही जाना पडता ।
रास्ते इस तरह ऊँचे नीचे हैं कि सैनफ्रानसिस्को का क्रुकेड स्ट्रीट याद आ गया । और हम सब तो ठहरे आर्थ्राइटिस वाले या सीनीयर सिटीझन, तो टैक्सी में जाने में ही खैर थी । शाम को खाना खाने के बाद दिन भर की शूटिंग कैमरे से टीवी पर देखी और गपशप हँसी मज़ाक कर के सो गये । यहाँ नींद बहुत जल्दी आती थी, “खा के गिलौरी शाम से ऊँघे वाला हाल था” । और खुलती भी बहुत जल्दी थी ।
(क्रमश:)

12 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सुन्दर यात्रा वृत्तांत ! वीडियो देख कर तो लगा मैं अपने ही देश का नजारा देख रहा हूँ ! मैं तो सोचता था कि न्यूजीलैंड में भी लेफ्ट हैण्ड ड्राइव होती होगी

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह मजेदार रहा यह यात्रा वृत्तांत तो ..दुनिया वाकई बहुत सुन्दर है

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

सारगर्भित, वीडियो चित्र युक्त, यह यात्रा ब्रतंत भी पहले की ही तरह अत्यधिक रोचक रहा.
सदर आभार ऐसी अनूठी जानकारियों के लिए.

vikram7 ने कहा…

सुन्दर यात्रा वृत्तांत, रोचक व अनूठी जानकारियों से युक्त

Arshia Ali ने कहा…

Aisa laga jaise aapke sath ham bhi ghoom rahe hon.
( Treasurer-S. T. )

शरद कोकास ने कहा…

आशा जी, नमस्कार आपकी इस पोस्ट पर तो बाद में बात करेंगे । आज इतना ही कि पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ । हिन्दी और मराठी दोनो मे लिखता हूँ । आपकी प्रोफाईल पढ़ी अच्छा लगा लेकिन आपकी इस बात से सहमत नही हूँ कि कविता आलसियों के लिये है । कविता तो मेहनतकशों के लिये है । बहुत कष्ट उठाना पड़ता है तब एक कविता जन्म लेती है । चलिये अब आप अपने को "आळ्शी" यानि आलसी कहना छोड़ दीजिये । बरं पुन्हा भेटूं -शरद कोकास

mehek ने कहा…

tumchya sobaat aamchi pan ghumakkadi hote aahe.sunde video khas karun pehla.waah.

बेनामी ने कहा…

Is ghumakkadee ko pranaam.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपके साथ आक्लेंड घूमने में आनंद आ गया...हम जब आकलैंड गए थे तो स्काई टावर के एक दम सामने ठहरे थे...अपने होटल के कमरे से टावर के ऊपर से डाईव लगाते लोगों को देख रोमांचित होते रहते थे...वहां पर जो केसिनो है उसमें जो दस डालर हम हारे थे वो याद आ गए...:))
नीरज

Khushdeep Sehgal ने कहा…

आशाजी. आपने तो हमें घर बैठे ही न्यूजीलैंड की सैर करा दी. वो भी बिना कोई टिकेट लिए...वैसे आपके नाम आशा से ही जिंदगी जीने का पूरा फलसफा झलकता है..मेरा हौसला बढाने के लिए शुक्रिया

शोभना चौरे ने कहा…

ashaji
apki yatra vrtant bhut hi rochk aur vyvsthit prstut kar rhi hai aap .
bdhai abhar

Unknown ने कहा…

What a fantstic discription of your tour. I read all 8 of your blogs and each one is good. in the last one the video pictures were a kind of fuzzy for some reason but overall I loved it . Keep up the good work.
Vandana gupte.USA