मार्च की बात है रात को ऐसे ही लेट कर एक किताब पढ रही थी कि फोन की घंटी बज उठी फोन उठाया तो सुहास (मेरी छोटी ननद) थी लाइन पर । न दुआ न सलाम बस छूटते ही बोली, “इस बार पक्का अलास्का जा रहे हैं भाभी, और तुम लोग भी आ रहे हो” ।
“क्या अलास्का, पता है कितनी ठंड होगी वहाँ और मेरा आरथ्राइटिस, मेरे घुटने जाम करवाने हैं क्या”, मेरा जवाब । अरे क्रूझ पर जा रहे हैं, शिप में, पैदल नही । और हर बार तेरे लिये तापमान देख कर जगह चुनेंगे तो बढिया बढिया जगह कैसे देख पायेंगे । तू चल तो कुछ नही होगा तेरे घुटनों को और मुझे देख मै कुछ कह रही हूँ ३ साल बडी हूँ तुझसे । और तय हो गया कि इस बार जैसे ही अप्रेल में हम यू.एस. पहुँचेंगे एक डेढ महीने बाद ही हमें बडी दीदी के यहाँ पहुँचना है जहाँ एक लंबा चौडा कार्यक्रम हमारा इंतजार कर रहा होगा ।
और इस प्लान के तहत हम राजू (हमारा बडा बेटा ) के यहाँ से १ जुलै को निकल पडे एन्डरसन (साउथ केरोलाइना) से । हमारा पहला पडाव था ब्लेक्सबर्ग (वर्जीनिया) जहाँ सुरेश की बडी दीदी कुसुम ताई रहती हैं । उनके पास ३-४ दिन रहे उनके साथ मेरी बहुत बनती है, इत्तेफाक से हम दोनों की जन्म तारीख एक ही है । कुसुम ताई को जो मूवी या जो किताब अच्छी लगती है उसे वे बार बार देखती या पढती हैं । उनके यहाँ जोधा अकबर देखी जो उन दिनों की उनकी पसंदीदा मूवी थी मुझे भी अच्छी लगी । वे हमे क्लेटर लेक की सैर कराने ले गईं जो बहुत ही सुंदर लेक है (चित्र-शो में देखें ) । वहाँ से सुहास के यहाँ पहुँचे ६ तारीख को ७ को वहाँ प्रकाश और जयश्री (सुरेश के छोटे भाई और भावज) भी आ गये ।
और फिर १३ तारीख तक हम सब सीनीयर सिटिझन्स ने बडे मजे किये । हम में जयश्री सबसे छोटी थी (५९की) उसे हम बेबी ऑफ दि ग्रूप कहते थे । तो हमने खूब खाने बनायें और खायें भी, जोक्स सुनायें घूमें फिरे और मूवीज देखीं और तो और हिन्दी सीरीयल भी देखें और जम के क्रिटिसाइज़ किया और हँसे भी खूब । सत्य नारायण जी की पूजा भी की मजे उडाते उडाते भगवान जी की याद भी आ गई (न न यह पहले से ही तय था )।
(चित्र शो में देखें )
तेरह को पहुँचे अजय (सुहास का बेटा) के यहाँ, न्यू जर्सी के ओशन सिटी । मनमें थोडी हिचक थी कि इतने सारे लोग जा रहे हैं पहली बार कैसा रहेगा पर खूब मजा आया । अजय ने केवल हम लोगों को घुमाने के लिये वीक-एन्ड फ्री रखा था । पहले दिन शाम को वह हमें ओशन सिटी बीच पर ले गया वहाँ बोर्ड वॉक किया और एक जलेबी नुमा चीज खाय़ी उसे फ्राइड केक कहते हैं जैसे जलेबी के घोल को छोटे छोटे पकोडों के आकार में एक के ऊपर एक चिपका कर एक केक सा बना दिया हो । दूसरे दिन सुबह फिर बीच पर गये पानी में घूमें और रेत का किला बनाने में आकाश (अजय का बेटा) की मदद की । रेत पर चले पर यहाँ शंख सीपी कुछ नही मिले क्यूंकि यह रीक्लेम किया हुआ बीच है । घर आये तो मीनू (अजय की पत्नी) ने पाव-भाजी और सूप तथा सेलेड का प्रोग्राम बनाया था । अमित भी अर्चना और श्रेया के साथ (हमारा छोटा बेटा, बहू, और पोती) आ गया था । खूब मजा आया श्रेया तो जैसे सब के लिये खिलौना बन गई थी (चित्र शो)। शाम को एटलान्टिक सिटी घूमें ये लास वेगास की तरह की ही जगह है सब दूर खाना पीना और कसीनो । पर हर कसीनो है बहुत सुन्दर । कोई ३ मील का बोर्ड वॉक है और कोई २५-३० अलग अलग कसीनो । एक ताज़महल नामका भी कसीनो था । (चित्र शो )
वहाँ पर खूब घूमें । काफी कसीनो देखें भी, पर जूआ नही खेला । पैसे किसके पास थे । पंधरा को सुबह वापिस मार्टिन्सबर्ग । रास्ते में एक फूड कोर्ट में खाना खाया । सतरा की सुबह हमें पोर्टलेन्ड के लिये फ्लाइट लेनी थी ।
(क्रमश:)
10 टिप्पणियां:
आपको जन्माष्टमी की बधाई
दीपक भारतदीप
आपको जन्माष्टमी पर्व की
बधाई एवं शुभकामनाएं
बहुत मजा आया आप की यात्रा का पढ कर , ऎसा लगा जेसे हम सब भी आप के साथ ही हो, वेसे इतने सारे लोग हो तो मजा सब को ओर दुगना आता हे
अपनी यात्रा में साथ लेने के लिए शुक्रिया। अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा । (जन्माष्टमी की वधाई!)
वीडियो के साथ साथ यात्रा का विवरण सुन कर अच्छा लगा। लेकिन जब ज्यादा बड़े वीडियो हों तो समय काफी लगता है। साथ ही कृष्ण जन्मोतस्व पर बधाई आपको।
अच्छा लगा आपका यात्रा वर्णन पढ़कर और देखकर!
yaatra vivaran
वहाँ पर खूब घूमें । काफी कसीनो देखें भी, पर जूआ नही खेला ।
ye paryaapt hai पैसे किसके पास थे ?
hote to...?
अच्छा सवाल है पर तो भी नही खेलती क्यूं कि
लाल मेहनत के बिना रोटी किस घर में पकी ?
हमारे तो नही पकी
aapki yatra majedaar lagi.
प्रभावी यात्रा वर्णन.
चित्र और वीडयो भी सुंदर.
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शुक्रिया
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
वाह....... आपकी यात्रा दिलचस्प है....ओर फोटो ने उसे सजीवता सी दी है.......
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