रविवार, 31 अगस्त 2008

सात राज्यों की सैर और अलास्का क्रूझ-3


इक्कीस जून की सुबह जल्दी उठ कर नहा धो कर तैयार हो गये । नाश्ता किया और सामान लेकर पहुंचे रेल्वे स्टेशन । अजित, साँन्ड्रा और कुसुम ताई सब हमें छोडने आये । कुसुमताई अब हमें माधुरी (प्रकाश-जयश्री की बेटी ) के यहाँ मिलने वाली थीं मिनियापोलिस (मिनिसोटा) में, अलास्का तो वे २-३ बार देख चुकीं थीं । अमेरिका में रेल-यात्रा का हमारा यह पहला मौका था । ट्रेन में अभी वक्त था तो पहले तो सब ने खूब गप्पें मारी ।

फिर जब
पता चला कि यहाँ रेल में भी एयर-लाइन की तरह सामान चेक-इन कराना पडेगा । तो वह किया । बाकायदा सारी सूट केसेस का वजन हुआ और उनको रेल्वे वालों ने अपने कब्जे में ले लिया । हमारी तो मौज हो गई सिर्फ हैन्ड-लगेज लेकर चढ गये डिब्बे में । राजधानी की तरह आराम-देह ट्रेन और राजधानी से कहीं ज्यादा साफसुथरी, मेरा मतलब राजधानी एक्सप्रेस से है । और लोग कम । तीन घंटे का सफर था सीएटल तक का । हम जाकर उनका केन्टीन भी देख आये । अब तक हम अमेरिका में भी खाना साथ ले कर चलने का महत्व समझ चुके थे तो इस बार भी वही किया था । (चित्र शो)

तो अपना खाना और रेल्वे से खरीदी कॉफी बस हो गई पेट पूजा । सीएटल पहुँचे, उतर कर देखा हमारा सामान स्टेशन के अन्दर बडे सलीके से रखा हुआ है । सामान लिया । और स्टेशन से बाहर आकर बैठ गये । स्टेशन का फाउन्टेन खराब था तो पानी खरीद कर पीना पडा ।
वहाँ से हमें चार बजे बस लेनी थी वेनकुअर (कनाडा ) के लिये । ठीक चार बजे बस आई हम तो वैसे ही बैठे बैठे बोर हो रहे थे तो बस के आते ही चढने को लालायित हो उठे । लेकिन ड्राइवर ने हमें अपने टाइम से ही चढने दिया । पंधरा मिनिट के बाद बस मे बैठे। बस भी हमारी वॉल्वो बसेस की तरह ही थी । मुश्किल से एक सवा घंटा बस चली होगी कि रुक गई बस । अब क्या, यह प्रश्न हमारे दिमाग में उथल पुथल मचाने लगा ।
ड्राइवर ने बताया कि यहाँ इमिग्रेशन होगा क्यूं कि बस केनडा में यानि दूसरे देश में प्रवेश करने वाली है । सारा सामान उतारा, पासपोर्ट आदि लेकर खडे हो गये छहों के छहों लाइन में । इस पूरी उठापटक में ४० मिनिट चले गये सोचा कि अब तो पहुँचने में देर हो जायेगी पर ट्रेवल टाइम में यह ४० मिनिट भी इनक्लूडेड थे । तो बस और डेढ घंटे बाद ड्राइवर ने बताया कि यह बस वेनकुअर मे ३ जगह रुकेगी । रिचमंड और डाउन टाउन वेनकुअर ।
हमारा होटल टेवल-लॉज रिचमंड में था तो हम वहीं उतरे और कहाँ तो हम सोच रहे थे कि वेनकुअर से रिचमंड ३०-३५ डालर खर्च होंगे तो यहाँ तो हमें हमारा होटल बस में से ही दिखाई दे गया । उतरने के बाद महज ४-४ डॉलर में हम अपने होटल पहुँच गय़े । बडा सुंदर होटल था और कमरे भी अच्छे थे । मैं, जयश्री और सुहास एक कमरे में तथा सुरेश, प्रकाश और विजय कमरे में तो दो ही कमरों में काम हो गया था । थकान हो गई थी तो वैनकुअर देखने का विचार रद्द कर दिया और शाम को पिज्जा मंगवा कर खाया । TV पर हमारी अब तक की शूटिंग देखी । जाकर पता किया कि होटल से port तक जहाँ से हमारी क्रूझ शुरू होनी थी कोई ट्रांसपोर्ट है या नही पता चला कि होटल से ही बस जाती है और उसका टिकिट है १० $ प्रति व्यक्ती । पर जाना तो था ही । बस सुबह ११ बजे जाने वाली थी।(चित्र शो)

तो हम जल्दी सो गये ता कि थकान अच्छी तरह उतर जाय ।
तो भाई दूसरे दिन सुबह सब लोग आराम से उठे सुहास और मैने प्राणायाम भी किया ।
तैयार हुए और नाश्ता किया फिर होटल के आसपास थोडा घूमें । एकदम से याद आया कि समीर भाई तो इसी देश में रहते हैं पर पता किसे मालूम था नही शहर का नाम तक तो पता नही , तय किया कि घर जाकर उडन तश्तरी देखनी पडेगी पते के लिये । वैसे मेरी ये सोच बिलकुल उन दादी माँ जैसी थी जो भारत में अक्सर मुझसे पूछती हैं,” हमारे दिनू से मुलाकात होती है क्या कभी, वह भी तो अमरीका में ही रहता है “।
बस ठीक ११ बजे आई, पर हमारी कुलबुलाहट ने हमें १०:३० से ही रिसेप्शन पर लाकर बैठा दिया । खैर बस अपने टाइम पर ही आई और हम चल पडे गंतव्य की और । रास्ते में खिडकी से झाँक झाँक कर देखते रहे कि थोडा सा वेनकुअर ही देख लें । करीब डेढ घंटा लगा हमें पहुंचने मे । और पहुंच गये हम पोर्ट पर । और पोर्ट के अन्दर दुकानें भी थीं और हमें वहाँ मिल गये समोसे । हम में से कुछ लोगों का संकट चतुर्थी का उपवास था तो वे तो
बस देखते ही रह गये । और हम बाकी लोगों ने मजे किये समोसा और चाय के साथ ।
फिर इंतजार करते रहे कि कब शिप पर बुलावा आये । शिप को तो ५ बजे चलना था ।
पर लगभग ३ बजे हमें बुला लिया गया और फिर वापिस इमिग्रेशन क्यूंकि शिप तो यू एस
जा रहा था अलास्का । (चित्र शो)

इमिग्रेशन के बाद हमने शिप में प्रवेश किया और चेक इन किया तो हमें हमारे कमरे की कार्ड चाभी मिल गई । अपने कमरे के सामने आकर खडे हो गय़े ( कमरा नंबर हमें पहले ही मिल चुका था), और चाभी लगाई पर यह क्या, कमरा तो खुला ही नही । हम परेशान फिर वहाँ के फ्लोर अटेंडेंट से मदद मांगी । उन्होने भी कोशिश की पर कमरा फिर भी नही खुला फिर उस अटेंडेंट ने रिसेप्शन पर जाकर पता किया तो पता चला कि हमारे कमरे बदल गये हैं यानि अपग्रेड किये गये हैं । सुहास ने क्यूंकि बुकिंग काफी जल्दी करा ली थी और बाद में और ज्यादा लोगों ने बुक कराया तो हमें कमरे, ऊपर के फ्लोर यानि पेंटहाउस फ्लोर पर मिल गये । अटेंडंट ने कहा कि हम उसके साथ चलें वह हमें कमरे तक पहुंचा भी देगा और हमारा सामान भी हमें वहीं मिल जायेगा । तो हम गये साहब और उसने कमरा खोल भी दिया और हम महिलाएं अपने कमरे में और पुरुष अपने कमरे में गये और क्या कमरे थे सुखद अनुभव था । सारी झंझट को भूल गये ।(चित्र शो)

खूबसूरत डबल बेड और तीसरे व्यक्ति के लिये सोफा कम बेड । बडे टेबल पर ताजे फूल । एक टोकरी में फल और साथ में एक शेंपेन की कॉम्लीमेंट्री बॉटल । साइड टेबल पर टेबल लैंप, हरेक के लिये २-२ केन्डी एक छोडासा सुंदर सा बाथरूम , एक क्लॉझेट और पीछे के दरवाजे के बाहर एक खूबसूरत नज़ारा दिखाती हुई बालकनी । अब आयेगा मजा क्रूज का ।

(क्रमश:)

6 टिप्‍पणियां:

mamta ने कहा…

वाह !
आपके साथ ट्रेन,बस,और शिप की यात्रा करना बहुत ही सुखद रहा ।
तो समीर जी से मिली या नही। ये जानने की उत्सुकता है।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आप ने सच में आनंद लिया और हमने चित्रों के माध्यम से...समीर भाई तो, अगर मैं ग़लत नहीं हूँ टोरेन्टो में रहते हैं...
नीरज

गौतम राजऋषि ने कहा…

aapka blog achchhaa lagaa....lekin ek baat sakht naagawaar gujari wo ye ki aap jo udghoshna si kar rahi hain ki kawitaa ham aalsiyo ke liya hi.aisa to na kahiye.main to ek aise profession se taalluk rakhta hu ki kai-kai din tak jute utaarne tak ki fursat nahi milti,kintu kawita-gazal-saahity ke liye awashy samay nikaal leta hu.anythaa na lijiyea meri baato ka....

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

Sounds like you all had a wonderful trip ..I think SAMEER Ji , lives in Toronto & you were in the west Canada & USA areas ..
Please continue ...
the nice Travelogue...

जितेन्द़ भगत ने कहा…

जानकर खुशी हुई कि‍ वहॉं समोसे भी मि‍लते हैं। सफर में मजा आ रहा है। जारी रखें।

Ashish Alexander ने कहा…

आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है। और जैसा एक अन्य पाठक ने कहा ... जारी रखें