फूल भी खिलेंगे
तारे निकलेंगे
चांद चमकेंगे
खयाल बहकेंगे
तुम आओ तो
सावन बरसेगा
बादल गरजेगा
चमकेगी बिजुरिया
जिया लहकेगा
तुम आओ तो
शरद की सुहानी
चांदनी खिलेगी
कच्ची गुनगुनी
धूप निकलेगी
अकारण ही मेरी
पायलिया बजेगी
तुम आओ तो
सरदियों की शाम
अंगीठी जलेगी
शाल ओढ कर
अम्मा मटर भूनेगी
चाय की गरम गरम
प्यालियाँ चलेंगी
तुम आओ तो
हम तुम मिलेंगे
मन महकेंगे
नदी के किनारे फिर
संग संग चलेंगे
सारे के सारे गिले
प्यार में डूबेंगे
तुम आओ तो
आज का विचार
हमारा ईमान ही हमारा सबसे अच्छा दोस्त है । उसे बार बार सुनना जरूरी है ।
स्वास्थ्य सुझाव
आधीशीशी का सरदर्द यानि माइग्रेन से राहत के लिये रोज रात को सोने से पहले बादाम तेल की २ -२ बूंदे नाक में डालें ।
तारे निकलेंगे
चांद चमकेंगे
खयाल बहकेंगे
तुम आओ तो
सावन बरसेगा
बादल गरजेगा
चमकेगी बिजुरिया
जिया लहकेगा
तुम आओ तो
शरद की सुहानी
चांदनी खिलेगी
कच्ची गुनगुनी
धूप निकलेगी
अकारण ही मेरी
पायलिया बजेगी
तुम आओ तो
सरदियों की शाम
अंगीठी जलेगी
शाल ओढ कर
अम्मा मटर भूनेगी
चाय की गरम गरम
प्यालियाँ चलेंगी
तुम आओ तो
हम तुम मिलेंगे
मन महकेंगे
नदी के किनारे फिर
संग संग चलेंगे
सारे के सारे गिले
प्यार में डूबेंगे
तुम आओ तो
आज का विचार
हमारा ईमान ही हमारा सबसे अच्छा दोस्त है । उसे बार बार सुनना जरूरी है ।
स्वास्थ्य सुझाव
आधीशीशी का सरदर्द यानि माइग्रेन से राहत के लिये रोज रात को सोने से पहले बादाम तेल की २ -२ बूंदे नाक में डालें ।
13 टिप्पणियां:
शरद की सुहानी
चांदनी खिलेगी
कच्ची गुनगुनी
धूप निकलेगी
अकारण ही मेरी
पायलिया बजेगी
तुम आओ तो
बहुत सुंदर कविता लिखी है आशा जी आपने ..और आज का सुझाव बहुत ही फायदेमंद लगा ..
सरदियों की शाम
अंगीठी जलेगी
शाल ओढ कर
अम्मा मटर भूनेगी
चाय की गरम गरम
प्यालियाँ चलेंगी
तुम आओ तो
kya bat hai ....bahut khoob...
आपने गर्मी के मौसम में अन्य मौसमों की प्रतीक्षा करने को शब्द प्रदान किये। अच्छा लगा।
ह्रदय स्पर्शी कविता. बधाई
बहुत उम्दा भावपूर्ण रचना. स्वास्थय सुझाव भी पसंद आया.
"तुम आओ तो" को आपके शब्दों ने जीवंत कर दिया है, रचना मन को छूती है।
***राजीव रंजन प्रसाद
wah wah mannatle bhav khup sundar vasle aahet shabdat,khup surekh kavita.
ह्रदय स्पर्शी, सीधी, सच्ची और अच्छी कविता.
बधाई.
अम्मा मटर भूनेगी
चाय की गरम गरम
प्यालियाँ चलेंगी
तुम आओ तो
bahut achchi kavita...sachmuch bhuni matar yaad aa gayi.
marmsprshee rachana.....
please mera margdarshan
karen aapaka sujhav meree
kavita ko jeevant kar deta hai
बहुत ही सुंदर वर्णन...वो आएँगे ही आएँगे.. :)
आप 'कचनार' पर कुछ शब्द लिखकर 'अनुभूति' के लिए भेजें. इंतज़ार रहेगा. १६ जून से 'कचनार' महोत्सव अनुभूति में शुरू होने जा रहा है.
http://www.anubhuti-hindi.org/
दीपिका जोशी 'संध्या'
आज का विचार बहुत उपयोगी है।
kavita ke ek ek shabd me ras hai..tum aao to..waah bahut badhiyaan.
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