थोडी सी मस्ती थोडी शरारत
थोडीसी सर्दी थोडी हरारत
झूटी लडाई, सच्ची सी चाहत
लेकर के आई है होली..
थोडा सा रंग ज्यादा सा पानी
थोडासा लाल और थोडासा धानी
थोडे से शाम थोडी राधा रानी
लेकर के आई है होली..
थोडे गुलाबी थोडेसे लाल
बादल अबीरी और गुलाल
दिल में न रखना कोई मलाल
कहती है आकर के होली..
थोडा मृदंग और थोडीसी ढोलक
थोडीसी थिरकन थोडीसी पुलक
थोडी सी मचलन थोडीसी झिझ़क
दिल में जगाती है होली..
प्यारे से बोल और मीठा सा राग
थोडीसी प्रीत थोडा अनुराग
जी भर के खेलो री गोरी आज फाग
फिर फिर ना आये ये होली ..
आज का विचार
निराशावाद आसुरी शक्ती है और आशावाद दैवी
आशावादी बने रहिये ।
स्वास्थ्य सुझाव
कोकम शरबत सुबह पीने से आप दिनभर चुस्त
दुरुस्त बने रहेंगे ।
10 टिप्पणियां:
आज ना छोडेंगे बस हमजोली..
खेलेंगे हम होली,खेलेंगे हम होली.
होली है.............
आशा जी,
आपने तो हमें होली के रंग में रंगने की शुरुआत ही कर दी है.
धन्यवाद.
होली की मस्ती ब्लॉग पर अभी से दिखने लगी है।
थोडे गुलाबी थोडेसे लाल
बादल अबीरी और गुलाल
दिल में न रखना कोई मलाल
कहती है आकर के होली..
होली की दस्तक शुरू हो गई है :) बहुत सुंदर लगी आपकी कविता आशा जी वैसे भी मुझे असल होली से कविता के रूप में होली खेलना ज्यादा अच्छा लगता है :)
प्यारे से बोल और मीठा सा राग
थोडीसी प्रीत थोडा अनुराग
जी भर के खेलो री गोरी आज फाग
फिर फिर ना आये ये होली ..
मनमोहक रचना!
khup sundar kavita,holichya rangat rangaun takale,wah,man karte aahe,aatach holi khelavi,holichya shubhechya.
सुंदर कविता, बढ़िया
होली का सरुर पसन्द आया । कोकम का शरबत बनाना भी सीखा दीजिये।
होली वाले दिन तो कोई फुर्सत में होगा नही कि चिठ्ठा जगत पढे । आप सब का अनेक धन्यवाद
उत्साह वर्धन के लिये ।
अनुराधा जी
अगर आप महाराष्ट्र में हैं तो कोकम मिलने में कोई परोशानी नही होगी कोकण और गोवा में तो यह खूब होता है । सुखाया हुआ फल गहरे कथ्ई रंग का होता है । ४ या ५ कोकम एक गिलास पीनी में भिगो कर रखें १० मिनट बाद निचोड कर रस निकाल लीजीये, चीनी या शहद घोल कर ठंडा कर के पीजीये ।
kyaa baat hai
होली का बहुत सुन्दर चित्रण किया आपने अपनी रचना मे
विक्रम
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