बुधवार, 5 मार्च 2008

आप की शख्सियत पे

रात जब बात आपकी थी चली
दिल की जैसे चटख गई थी कली
सबने जब तारीफों के पुल बांधे
मै ही तकता रहा था सूनी गली

किसीने कहा जूही सी नाजुक
किसीने कहा, नही, गुलाब कली
आपके गेसूओं के क्या कहने
स्याह से बादलों की हो टोली
दूधिया रंग चांदनी सा है
बातें जैसे कि मिश्री की हो डली
और नाजुक मिजाज है इतना
झट से भर आये आँख की प्याली
आप की शख्सियत पे मै कुरबान
कैसे कह दूँ कि आप मेरी वली

आज का विचार
हमारे जीवन में जो भी अनुभव आते हैं अच्छे
या बुरे उन्हे हम केवल अनुभव के तौर पर लें
किसी को भी दोष न दें, ईश्वर को भी नही ।

स्वास्थ्य सुझाव
अंजीर को अपने खान पान में शामिल कीजीये
ये रक्त प्रवाह को सुधारते हैं तथा रक्त की गुणवत्ता को भी ।

9 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत अच्छी रचना !!

mamta ने कहा…

बहुत खूब!

और हाँ आशा जी आज सुबह ही हमने अंजीर खाई है ।

बेनामी ने कहा…

khup sundar,prashanse sathi shabdh apure aahet,awesome.

singh ने कहा…

सुन्दर रचना

Udan Tashtari ने कहा…

रचना के साथ साथ आज का विचार भी उम्दा है..और अंजीर सुबह खा लेंगे. :)

Anita kumar ने कहा…

bahut khoob Asha ji

अजित वडनेरकर ने कहा…

अंतिम पंक्ति जबर्दस्त है।
अंजीर कहां से लाएं ?

Batangad ने कहा…

बहुत खूबसूरत।

डॉ .अनुराग ने कहा…

bhai vah......aap to svasthya sujhav bhi sath sath de deti hai..kavita achhi lagi...vaise ek bat kahun aalsi log hi achhi kavita likhte hai.