सोमवार, 25 फ़रवरी 2008

जीने के लिये

बस एक टुकडा धरती
और एक मुठ्टी आसमान
इतना काफी है जीने के लिये
चाहिये नही तुम्हारा ये जहान

जिसमें नफरतों के ऊँचे किले
दफ्न करते हैं प्यार के मेहमान

फुरसतें है किसे मुहब्बत के लिये
वक्त महँगा है सस्ता है इन्सान

गरगराती इन मशीनों में पिसे
जा रहे हैं दिल के अरमान

और किसी अजब दौड में शामिल
हाँफते हाँफते दौडते इन्सान

जानते जो नही कहाँ मंजिल
कब पायेंगे वो अपना मकाम

बस एक टुकडा धरती
और एक मुठ्टी आसमान


आज का विचार

जीवन का उद्देश है बहते रहना सहज और स्वच्छंद ।

स्वास्थ्य सुझाव

मूली या पत्ता गोभी के पत्तों को धीरे धीरे चबा चबा कर
खाने से अवसाद ( डिप्रेशन ) से छुटकारा मिलता है ।

12 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मूली या पत्ता गोभी के पत्तों को धीरे धीरे चबा चबा कर खाने से अवसाद (डिप्रेशन) से छुटकारा मिलता है। -- अच्छा, वास्तव में। यह तो बड़े काम की बात है।

अनिल रघुराज ने कहा…

सच कहा आपने...
किसी अजब दौड में शामिल
हाँफते हाँफते दौडते इन्सान
लोग भागे ही चले जा रहे हैं। कहां जा रहे हैं किसी को सोचने की फुरसत ही नहीं है।

अजित वडनेरकर ने कहा…

ये दौड़-भाग किस लिए....
अच्छी कविता।

Reetesh Gupta ने कहा…

फुरसतें है किसे मुहब्बत के लिये
वक्त महँगा है सस्ता है इन्सान

अच्छी लगी आपकी कविता ...

Pankaj Oudhia ने कहा…

क़विता और बाकी सब कुछ अच्छा लगा पढकर। आभार।

रंजू भाटिया ने कहा…

फुरसतें है किसे मुहब्बत के लिये
वक्त महँगा है सस्ता है इन्सान
कविता तो अच्छी है ही ..स्वास्थ्य सुझाव बहुत अच्छा लगता हैं आपका ..इस बार तो बहुत ही काम का हैं यह :)शुक्रिया !!

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

जो न होगी ज़िन्दगी में दौड़ भाग
कविता में कैसे बलेगी ज़िन्दा आग

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

और चबाते जाओ मूली पत्ता गोभी
दूर होंगे सभी मवाद अवसाद बेस्वाद

Anita kumar ने कहा…

मूली या पत्ता गोभी के पत्तों को धीरे धीरे चबा चबा कर खाने से अवसाद (डिप्रेशन) से छुटकारा मिलता है।
अरे वाह ये तो हमें भी नहीं पता था।
कविता भी बहुत सुंदर बनी है, काश सभी ऐसा सोच पाते

mehek ने कहा…

khup chan chan aahe,jeene ke liye thoda sa asman thodi si jamin hi kafi hai.

singh ने कहा…

ऒर किसी अजब....
आज के सच को दर्शाती कविता

Sajeev ने कहा…

बहुत अच्छे