बस एक टुकडा धरती
और एक मुठ्टी आसमान
इतना काफी है जीने के लिये
चाहिये नही तुम्हारा ये जहान
जिसमें नफरतों के ऊँचे किले
दफ्न करते हैं प्यार के मेहमान
फुरसतें है किसे मुहब्बत के लिये
वक्त महँगा है सस्ता है इन्सान
गरगराती इन मशीनों में पिसे
जा रहे हैं दिल के अरमान
और किसी अजब दौड में शामिल
हाँफते हाँफते दौडते इन्सान
जानते जो नही कहाँ मंजिल
कब पायेंगे वो अपना मकाम
बस एक टुकडा धरती
और एक मुठ्टी आसमान
आज का विचार
जीवन का उद्देश है बहते रहना सहज और स्वच्छंद ।
स्वास्थ्य सुझाव
मूली या पत्ता गोभी के पत्तों को धीरे धीरे चबा चबा कर
खाने से अवसाद ( डिप्रेशन ) से छुटकारा मिलता है ।
12 टिप्पणियां:
मूली या पत्ता गोभी के पत्तों को धीरे धीरे चबा चबा कर खाने से अवसाद (डिप्रेशन) से छुटकारा मिलता है। -- अच्छा, वास्तव में। यह तो बड़े काम की बात है।
सच कहा आपने...
किसी अजब दौड में शामिल
हाँफते हाँफते दौडते इन्सान
लोग भागे ही चले जा रहे हैं। कहां जा रहे हैं किसी को सोचने की फुरसत ही नहीं है।
ये दौड़-भाग किस लिए....
अच्छी कविता।
फुरसतें है किसे मुहब्बत के लिये
वक्त महँगा है सस्ता है इन्सान
अच्छी लगी आपकी कविता ...
क़विता और बाकी सब कुछ अच्छा लगा पढकर। आभार।
फुरसतें है किसे मुहब्बत के लिये
वक्त महँगा है सस्ता है इन्सान
कविता तो अच्छी है ही ..स्वास्थ्य सुझाव बहुत अच्छा लगता हैं आपका ..इस बार तो बहुत ही काम का हैं यह :)शुक्रिया !!
जो न होगी ज़िन्दगी में दौड़ भाग
कविता में कैसे बलेगी ज़िन्दा आग
और चबाते जाओ मूली पत्ता गोभी
दूर होंगे सभी मवाद अवसाद बेस्वाद
मूली या पत्ता गोभी के पत्तों को धीरे धीरे चबा चबा कर खाने से अवसाद (डिप्रेशन) से छुटकारा मिलता है।
अरे वाह ये तो हमें भी नहीं पता था।
कविता भी बहुत सुंदर बनी है, काश सभी ऐसा सोच पाते
khup chan chan aahe,jeene ke liye thoda sa asman thodi si jamin hi kafi hai.
ऒर किसी अजब....
आज के सच को दर्शाती कविता
बहुत अच्छे
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