मंगलवार, 18 सितंबर 2007

हे राम




कहते हैं वो कि कौन राम बतला दो
कहाँ है नाम इतिहास में ये दिखला दो
अब कैसे समझाँयें समझदारों को हम
है हिम्मत तो राम नाम को तुम झुटला दो

सिर्फ भारत में नही और दूर बाहर भी
गूँजता नाम जिनका वे तो अपने राम ही थे
तुम्हारी हस्ती जिनके दम से है उन्ही बापू के
दिलों-जबाँ पे जो बसते थे अपने राम ही थे

ऐसे राम थे ही नही कैसे कहा जाता है
जिन्हे कबसे आदर्श जाना जाता है
जिनका आदर्श से कोई नाता नही
उन के मुँह से ही ये निकल सकता है

बिन किये राम-राम जिन का दिन नही जाता
ऐसी जनता को अब कैसे मुँह दिखाओगे
छीन कर इनसे इनकी आस्था को
क्या कभी मत बटोर पाओगे

राम किसी इतिहास के मोहताज नहीं
वे तो करोडों दिलों के स्वामी हैं
जन्म से अंत तक जो साथ रहें
वे राम स्वयं-सिध्द नामी हैं


आज का विचार
सोच कर बोलो कहीं पछताना ना पडे ।


स्वास्थ्य सुझाव
गहरे रंग की सब्जियाँ व फल खाँयें।

3 टिप्‍पणियां:

विपुल जैन ने कहा…

आज का विचार
सोच कर बोलो कहीं पछताना ना पडे ।

परेशानी यह है, सोचते भी हैं, बोलते भी हैं, फिर पछताते बी हैं, कोई उपाए बताएँ।

शैलेश भारतवासी ने कहा…

पसंद आया आपका तरीका।

Madhu ने कहा…

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