सुनो, सुन रहे हो ना
सुनो मेरा गीत जो आ जाता है होठों पर
सिर्फ दुम्हारे लिये ।
सुनो पुकार रही हूँ मै तुम्हें
दिखाना चाहती हूँ अपने हाथों में सद्य खिला गुलाब
जिसकी ताजगी आजाती है मेरे चेहरे पर
तुम्हें देखते ही।
सुनो तुम्हारे एक झलक के लिये
कितना तरसी हूँ मैं
पर इसमें भी एक तडप,
एक मज़ा है।
लगता है कि क्या ही अच्छा हो कि
हम देख सकें एक दूसरे को
सदा ही।
पर मज़ा तो कभी कभी पकवान खाने में है।
सुनो मेरा गीत जो आ जाता है होठों पर
सिर्फ दुम्हारे लिये ।
सुनो पुकार रही हूँ मै तुम्हें
दिखाना चाहती हूँ अपने हाथों में सद्य खिला गुलाब
जिसकी ताजगी आजाती है मेरे चेहरे पर
तुम्हें देखते ही।
सुनो तुम्हारे एक झलक के लिये
कितना तरसी हूँ मैं
पर इसमें भी एक तडप,
एक मज़ा है।
लगता है कि क्या ही अच्छा हो कि
हम देख सकें एक दूसरे को
सदा ही।
पर मज़ा तो कभी कभी पकवान खाने में है।
2 टिप्पणियां:
Behad khubsurat behavon se bhari Kavita. Sundar
badi hi sunder kavita likhi hai apne, Free me Download krein: Mahadev Photo
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