राह निबिड गहन वन की, हौसला रख,
रात मेहमाँ कुछ पलों की, हौसला रख।
भोर का तारा उगा है, हौसला रख
जल्द फूटेगी किरण भी, हौसला रख।
मिहनत में जब कोताही ना की, हौसला रख,
अब प्रतीक्षा नतीजों की, हौसला रख।
मदद दोस्तों से मिलेगी हौसला ऱख.
चलते रहने से ही मंजिल, हौसला रख
समय से होता है सब कुछ, हौसला रख।
कट ही जायेगा बुढापा, हौसला रख
ज्यूँ गये बचपन, जवानी, हौसला रख।
खुलेंगे अब दर सनम के, हौसला रख
वस्ले-सुबह के रंग खिलेंगे, हौसला ऱख।चित्र गूगल से साभार।
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