हर बार लगाई उम्मीद कुछ अच्छा होने की
न हुआ अब तक, अब तो कुछ हो जाये।
हरबार किया भरोसा हर शख्स के वादे पर,
अब कोई तो इन्साँ, वादा करके निभा जाये।
झूट और मक्कारी की दुनिया है बहुत देखी
अब तो दीनो-ईमान की दुनिया नजर आये।
बहुत दिन जी लिये फुटपाथ औ सडकों पर,
सर पे हमारे भी अब एक छत तो बन जाये।
रोटी कपडा मकानों के वादे सुन लिये बहुत,
दो वक्त का निवाला तो हर-एक को मिल जाये।
हमारे नौनिहाल भी इसी देश के बच्चे हैं,
उनके भी लिये पढने की व्यवस्था तो हो जाये।
चुनाव तो हो जायेंगे, नारे होंगे ठंडे,
इस देश को अब सच्ची सरकार तो मिल जाये।
8 टिप्पणियां:
देश में नए तरह की राजनीति शुरू हो चुकी हैं. उससे बहुत आशाएं हैं.
सार्थक एवं सटीक पंक्तियाँ ...
मन की कश्मकश को प्रश्न के माध्यम से उकेरा है .. अच्छी प्रस्तुति
काश
आमीन ... इस बार तो अच्छी सरकार मिलनी ही चाहिए ..
हर बार लगाई उम्मीद कुछ अच्छा होने की
न हुआ अब तक, अब तो कुछ हो जाये।
सबको यही उम्मीद है, सटीक सार्थक !
आ रही है ।
बहुत खूब :)
सच्ची सरकार
अच्छी सरकार
यह सपना,क्या कभी हो सकेगा अपना.
शानदार प्रस्तुति.
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