गुरुवार, 8 मई 2014

गर्मी के कुछ त्रिदल


तेज धूप गर्म हवा
पसीने से लथपथ काया
ग्रीष्म की माया।

मटके का ठंडा पानी,
हवा की एक लहर
लगे अमृत सी।

बिजली गुल पंखे बंद
टी. वी. नही तो क्या रंजन
कृपा सरकार की।

आम तरबूज खरबूजे
किसी के खस के परदे से
आई ठंडी हवा।

शरबत आइसक्रीम लस्सी
मलाई वाली कुल्फी
मज़े गर्मी के।

लेटकर पढो किताब
या लगालो सुलांट
अहा आई छुट्टी।

सिमला ऊटी या नैनीताल
या स्वित्झरलैंड का कमाल
हिसाब पाकिट का।

अभी कैसा घूमना
बच्चों के इम्तहां
फ्रोफेशनल कॉलिज के.




चित्र गूगल से साभार।

11 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

हा हा बढ़िया कहा :)

Alpana Verma ने कहा…

गर्मियों की छुट्टियों का महत्व बच्चों से अधिक कौन समझ सकता है ..:) कविता के साथ दी गयी तस्वीर बड़ी अच्छी लगी .

Ankur Jain ने कहा…

इस मौसम का भी अपना ही मज़ा है...सुंदर प्रस्तुति।।।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

आपने तो गर्मी की जान ही निकाल दी... बेचारा अपना रेग्युलेटर थोड़ा कम करने के चक्कर में परेशान है... लेकिन उसकी भी मजबूरी है!!

Neeraj Neer ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .. सलाद देख कर तो खाने को जी ललचा गया ... गर्मी और गर्मी की छुट्टी ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

Suman ने कहा…

बिजली गुल पंखे बंद
टी. वी. नही तो क्या रंजन
कृपा सरकार की।
बहुत सुन्दर ...

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति....
:-)

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

क्या बोलूँ ... अभी तो बस :)

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बढ़िया हैं :)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मुंह में पानी ... ठंडी हवा के झोंके सी आपकी रचना ... मज़ा आ गया गर्मी में ...

वाणी गीत ने कहा…

आजकल तो छुट्टियाँ भी छुट्टियों सी नहीं लगती .
गर्मी को साकार करते त्रिदल !