बुधवार, 30 अप्रैल 2014

सच्ची सरकार


हर बार लगाई उम्मीद कुछ अच्छा होने की

न हुआ अब तक, अब तो कुछ हो जाये।

 

हरबार किया भरोसा हर शख्स के वादे पर,

अब कोई तो इन्साँ, वादा करके निभा जाये।

 

झूट और मक्कारी की दुनिया है बहुत देखी

अब तो दीनो-ईमान की दुनिया नजर आये।

 

बहुत दिन जी लिये फुटपाथ औ सडकों पर,

सर पे हमारे भी अब एक छत तो बन जाये।

 

रोटी कपडा मकानों के वादे सुन लिये बहुत,

दो वक्त का निवाला तो हर-एक को मिल जाये।

 

हमारे नौनिहाल भी इसी देश के बच्चे हैं,

उनके भी लिये पढने की व्यवस्था तो हो जाये।

 

चुनाव तो हो जायेंगे, नारे होंगे ठंडे,

इस देश को अब सच्ची सरकार तो मिल जाये।

8 टिप्‍पणियां:

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

देश में नए तरह की राजनीति शुरू हो चुकी हैं. उससे बहुत आशाएं हैं.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सार्थक एवं सटीक पंक्तियाँ ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

मन की कश्मकश को प्रश्न के माध्यम से उकेरा है .. अच्छी प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काश

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आमीन ... इस बार तो अच्छी सरकार मिलनी ही चाहिए ..

Suman ने कहा…

हर बार लगाई उम्मीद कुछ अच्छा होने की

न हुआ अब तक, अब तो कुछ हो जाये।
सबको यही उम्मीद है, सटीक सार्थक !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आ रही है ।
बहुत खूब :)

Rakesh Kumar ने कहा…

सच्ची सरकार
अच्छी सरकार

यह सपना,क्या कभी हो सकेगा अपना.

शानदार प्रस्तुति.