अब अंधेरे भी पिघलते जा रहे हैं,
फैलती हैं सूर्य की नव रश्मियाँ,
बह रही है पवन ताजी हर दिशा में,
खिल रही बदलाव की नई कलियाँ।
धो कर के कर दो स्वच्छ, ये सारी व्यवस्था,
झाड दो जाले वे
भ्रष्टाचार के
उसको मिले वह लाभ जो जिसके लिये है,
बहने दो झरने अब सद्विचार के।
देश भक्ति के गीत अब सब मिल के गाओ
बच्चों का बचपन वो वापिस फिर से लाओ,
बंद कर दो बेशरमी के नाच गाने
प्रकृति के कुछ नये नगमें गुनगुनाओ।
नारी का सम्मान हो, न हो अपमान कोई
उसकी सुरक्षा देश सी सर्वोपरी हो
हो अगर संकट में अपनी बहन कोई
आगे बढे रक्षा को सारे पिता भाई।
देश को हम आगे आगे ले चलेंगे
हर काम अपना दिल से हम पूरा करेंगे
जो जहां पर है, रहे मुस्तैद बन कर
तब ही तो वतन का सपना सच करेंगे।
एक
पूरा माह घुमक्कडी रही । इसीसे लेखन वाचन को विराम रहा। पर अब वापिस घर आ
गई हूँ तो आप सब के ब्लॉग भी पढना है । शुरुवात लिखने से भले हो पर पढना भी
जारी रहेगा। सभी को शुभ नववर्ष।
19 टिप्पणियां:
शुभ आशा जगाती आपकी
सुन्दर प्रस्तुति के लिए
आभार आशा जी.
शुभ आशा जगाती आपकी
सुन्दर प्रस्तुति के लिए
आभार आशा जी.
स्वागत हैं !
बहुत सुंदर रचना !
अति सुंदर रचना। शुभकामनाएँ
सफल करो संभावित आशा,
समय और क्या माँग सकूँ।
काश! रचना की हर बात शीघ्र सत्य हो. नव-वर्ष की शुभकामनायें.
खुबसूरत अभिवयक्ति....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आपका-
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कहीं ठंड आप से घुटना न टिकवा दे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
रचना की हर बात अक्षरशा सच हो
शुभ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत हो !
सुन्दर सार्थक रचना है ताई !
शुभदा का आँगन यूँ ही शुभ रहे ....
देश को हम आगे आगे ले चलेंगे
हर काम अपना दिल से हम पूरा करेंगे
जो जहां पर है, रहे मुस्तैद बन कर
तब ही तो वतन का सपना सच करेंगे।
....बहुत सुन्दर और सार्थक भाव...बहुत सुन्दर...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...
नारी का सम्मान हो, न हो अपमान कोई
उसकी सुरक्षा देश सी सर्वोपरी हो
हो अगर संकट में अपनी बहन कोई
आगे बढे रक्षा को सारे पिता भाई।..
आमीन .. नव वर्ष इस संकल्प के साथ शुरू हो तो बात बन जाए ... लाजवाब भावमय प्रस्तितु .. ...
विराम के बाद मन प्रफुल्लित हो उठता है .. बहुत सुन्दर आशा जगती आपकी कविता ..
विराम के बाद मन प्रफुल्लित हो उठता है .. बहुत सुन्दर आशा जगती आपकी कविता ..
नव वर्ष का आशावादी गीत...
यूँ ही लिखती रहिए. सार्थक रचना, बधाई.
achcha laga.....kaffe dinon baad mil kar.
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