दर्द इतना बढा सम्हाला न गया,
लाख चाहा मगर छुपाया न गया।
जाम आंखों के जो छलकने को हुए,
बहते अश्कों को फिर रुकाया न गया।
जख्म इतने दिये जमाने ने,
हम से मरहम भी लगाया न गया।
कोशिशें लाख कीं मगर फिर भी,
उनको आना न था, आया न गया।
ऊपरी तौर पे सब ठीक ही लगता लेकिन,
हाल अंदर का कुछ बताया न गया।
हम चल देंगे यकायक कि खाट तोडेंगे,
किसने जाना, किसी से जाना न गया।
जिंदगी का आज ये पल सच्चा है
इससे आगे को कुछ
विचारा न गया।
चित्र गूगल से साभार
19 टिप्पणियां:
वाह क्या बात! बहुत ख़ूब!
इसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
ऊपरी तौर पे सब ठीक ही लगता लेकिन,
हाल अंदर का कुछ बताया न गया
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया-
जीवन के कुछ गारे सत्य सहज ही लिख दिए ... लाजवाब शेर ...
बहुत सुंदर !
"हम चल देंगे यकायक कि खाट तोडेंगे,
किसने जाना, किसी से जाना न गया।"...
वाह!
लाजवाब रचना...
बहुत बेहतरीन.....
:-)
हम चल देंगे यकायक कि खाट तोडेंगे, किसने जाना, किसी से जाना न गया।
जिंदगी का आज ये पल सच्चा है
....जीवन के कुछ सहज सत्य
जिंदगी का आज ये पल सच्चा है
इससे आगे को कुछ विचारा न गया।
बहुत खूब कहा है न भुत न भविष्य केवल वर्तमान यही सच है हर शेर लाजवाब है ताई,
ताई मै बहुत सम्मान करती हूँ आपका क्षमा मांगकर मुझे शर्मिंदा मत करिये ! अभी मै दस दिन घर से बाहर थी, वापिस आने पर सब कुछ कितना अस्तव्यस्त था ठीक करने में आठ दिन लग गए ! छह महीने तो बहुत समय होता है समझ सकती हू कोई बात नहीं आराम से पढ़ा कीजिये मुझे कभी किसीसे कोई शिकायत नहीं रहती है :) हाँ जिनको साहित्य की बेहतरीन पहचान है वे अगर हमारी रचना को पढ़े तो मन को अच्छा लगता है !
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ....!!
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ....!!
बेहतरीन ढंग से कई भावों को उकेरती हुई रचना. अति सुन्दर.
बहुत ही सटीक रचना.
रामराम
आज अपना, कल पराया,
यथासंभव, यथासींमित।
लाजवाब...
बहुत ही सुंदर ... हरेक शेर में गहरे भाव मन को छू रहे हैं
हम चल देंगे यकायक कि खाट तोडेंगे, किसने जाना, किसी से जाना न गया।
जिंदगी का आज ये पल सच्चा है
इससे आगे को कुछ विचारा न गया।
यह भी खूब कही आपने आशा जी.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
वाह ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .
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