बुधवार, 8 जनवरी 2014

शुभ नववर्ष




अब अंधेरे भी पिघलते जा रहे हैं,
फैलती हैं सूर्य की नव रश्मियाँ,
बह रही है पवन ताजी हर दिशा में,
खिल रही बदलाव की  नई कलियाँ।

धो कर के कर दो स्वच्छ, ये सारी व्यवस्था,
झाड दो  जाले वे भ्रष्टाचार के
उसको मिले वह लाभ जो जिसके लिये है,
बहने दो झरने अब सद्विचार के।

देश भक्ति के गीत अब सब मिल के गाओ
बच्चों का बचपन वो वापिस फिर से लाओ,
बंद कर दो बेशरमी के नाच गाने
प्रकृति के कुछ नये नगमें गुनगुनाओ।

नारी का सम्मान हो, न हो अपमान कोई
उसकी सुरक्षा देश सी सर्वोपरी हो
हो अगर संकट में अपनी बहन कोई
आगे बढे रक्षा को सारे पिता भाई।

देश को हम आगे आगे ले चलेंगे
हर काम अपना दिल से हम पूरा करेंगे
जो जहां पर है, रहे मुस्तैद बन कर 
तब ही तो वतन का सपना सच करेंगे। 


एक पूरा माह घुमक्कडी रही । इसीसे लेखन वाचन को विराम रहा। पर अब वापिस घर आ गई हूँ तो आप सब के ब्लॉग भी पढना है । शुरुवात लिखने से भले हो पर पढना भी जारी रहेगा। सभी को शुभ नववर्ष।

19 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

शुभ आशा जगाती आपकी
सुन्दर प्रस्तुति के लिए
आभार आशा जी.

Rakesh Kumar ने कहा…

शुभ आशा जगाती आपकी
सुन्दर प्रस्तुति के लिए
आभार आशा जी.

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

स्वागत हैं !
बहुत सुंदर रचना !

Amrita Tanmay ने कहा…

अति सुंदर रचना। शुभकामनाएँ

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सफल करो संभावित आशा,
समय और क्या माँग सकूँ।

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

काश! रचना की हर बात शीघ्र सत्य हो. नव-वर्ष की शुभकामनायें.

संजय भास्‍कर ने कहा…

खुबसूरत अभिवयक्ति....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आपका-

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कहीं ठंड आप से घुटना न टिकवा दे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा

Suman ने कहा…

रचना की हर बात अक्षरशा सच हो
शुभ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत हो !
सुन्दर सार्थक रचना है ताई !

सदा ने कहा…

शुभदा का आँगन यूँ ही शुभ रहे ....

Kailash Sharma ने कहा…

देश को हम आगे आगे ले चलेंगे
हर काम अपना दिल से हम पूरा करेंगे
जो जहां पर है, रहे मुस्तैद बन कर
तब ही तो वतन का सपना सच करेंगे।

....बहुत सुन्दर और सार्थक भाव...बहुत सुन्दर...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नारी का सम्मान हो, न हो अपमान कोई
उसकी सुरक्षा देश सी सर्वोपरी हो
हो अगर संकट में अपनी बहन कोई
आगे बढे रक्षा को सारे पिता भाई।..

आमीन .. नव वर्ष इस संकल्प के साथ शुरू हो तो बात बन जाए ... लाजवाब भावमय प्रस्तितु .. ...

Neeraj Neer ने कहा…

विराम के बाद मन प्रफुल्लित हो उठता है .. बहुत सुन्दर आशा जगती आपकी कविता ..

Neeraj Neer ने कहा…

विराम के बाद मन प्रफुल्लित हो उठता है .. बहुत सुन्दर आशा जगती आपकी कविता ..

Vaanbhatt ने कहा…

नव वर्ष का आशावादी गीत...

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

यूँ ही लिखती रहिए. सार्थक रचना, बधाई.

mridula pradhan ने कहा…

achcha laga.....kaffe dinon baad mil kar.