आओ जगरात करें
कोई तो बात करें
हाथ ले हाथ, करें
बैठ के साथ करें
लोगों की, अपनी भी
बात इक साथ करें
आओ जगरात करें ।
बात तारों की करें
इन बहारों की करें
अपने प्यारों की करें
जीत हारों की करें
सच्चे यारों की करें
राजदारों की करें
इक मुलाकात करें
आओ जगरात करें ।
पक्के वादों की करें
कच्चे धागों की करे
अपनी यादों की करें
कुछ इरादों की करें
बंद साजों की करे
खुले राजों की करें
भेंट सौगात करें
आओ जगरात करें ।
बात सपनों की करें
अपने अपनों की करे
धडकनों की भी करें
बचपनों की भी करें
बहते नयनों की करे
मीठे बयनों की करे
हंसी के साथ करें
आओ जगरात करें ।
भोर जो होने लगे
रात जब खोने लगे
किरणों में नहा लें हम
खुशियों को पा लें हम
मन को बस साफ करें
कही सुनी माफ करे
दोनों इक साथ करें
आओ जगरात करें ।
10 टिप्पणियां:
खुशियों को पा लें हम
मन को बस साफ करें
कही सुनी माफ करे
दोनों इक साथ करें
....................बहुत ख़ूबसूरत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
सब मिलकर आनन्द मनायें..
सुखद और सुहावनी सी रचना ...
बहुत सुंदर ....
आपकी यह सर्वतोभद्र कामना जगव्यापी बने
बहुत सुंदर कामना, शुभकामनाएं.
रामराम.
बढ़िया शब्द चित्र
उत्तम भाव
सुन्दर प्रस्तुति-
आपका आभार आदरणीया -
बेहद सुंदर ..
अपनत्व की तलाश में कविता ..!!
बधाई !
खुशियों को पा लें हम
मन को बस साफ करें
कही सुनी माफ करे
दोनों इक साथ करें
ख़ूबसूरत अहसास....!!
किरणों में नहा लें हम
खुशियों को पा लें हम
मन को बस साफ करें ..
सच कहा है .. सबसे ज्यादा जरूरत तो इसी की है आज ... भावनात्मक रचना ...
सुंदर!
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