शनिवार, 23 मार्च 2013




कमनीय छवि वाली राधे, पिचकारी से रंग उडावत है,
सखियन के संग ठिठोरी करे, कान्हा से आंख चुरावत है .

आंधी सी चली है गुलालन की, सब रंग भरे मन भावत है,
कान्हा जो करे अब बरजोरी, सखि राधे मान दिखावत है ।

सब  गोपी ग्वाल उछाह भरे,  गा नाच के रंग जमावत है
मन रंगीला, तन रंग गीला, इस होरी पे जिय कछु गावत है ।

होरी की अगिनी, जलन सभी, मन के गुस्सा भी बुझावत है
इस होरी पे जाये जिया वारी, रंग के संग प्रेम लगावत है ।

जा प्रेम सरित में डूब रहो, अब कृष्ण कृष्ण मन गावत है
सब कृष्ण रंग में नहाय लिये, कछु और कहां सुहावत है ।

12 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

होली पर बहुत ही सुंदर गीत ,,,
होली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,

Arvind Mishra ने कहा…

जा तन की झाई पड़े श्याम हरित दुति होय -राधे राधे!

Anupama Tripathi ने कहा…

जा प्रेम सरित में डूब रहो, अब कृष्ण कृष्ण मन गावत है
सब कृष्ण रंग में नहाय लिये, कछु और कहां सुहावत है ।

भक्तिमय ....रंगमय ... ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति .....!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कान्हा रंग गुलाल मचावत..

Suman ने कहा…

जा प्रेम सरित में डूब रहो, अब कृष्ण कृष्ण मन गावत है
सब कृष्ण रंग में नहाय लिये, कछु और कहां सुहावत है ।

सुन्दर दोहे ...

Rajendra kumar ने कहा…

होली के स्वागत में सुन्दर गीत,आभार.

"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल:कुछ उपयोगी नुस्खें"

Alpana Verma ने कहा…

कान्हा रंग रंगने में आनंद ही अलग है..मीठी भाषा में रची गयी बहुत सुन्दर कविता.

Vaanbhatt ने कहा…

खुबसूरत होली को समर्पित रचना...शुभ होलिकोत्सव आपको...सपरिवार...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर मनभावन अभिव्यक्ति...होली की हार्दिक शुभकामनायें!

Swapnil Shukla ने कहा…

Awesome post ...thanks for sharing ..kudos !!!!

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P.N. Subramanian ने कहा…

"सब कृष्ण रंग में नहाय लिये, कछु और कहां सुहावत है" बहुत सुंदर.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सुन्दर काव्य सरिता ... कान्हा ओर राधा जिस होली में न हों वो काव्य फीका रह जाता है ... मधुर रस लिए ...