३ फरवरी
सुबह उठे तैयार होकर नाश्ता किया और बालकनी में आये तो बाहर घना
कोहरा छाया हुआ था । गई भैंस पानी में... अब कोहरे मे क्या पंछी देखते । एडम को
बाद में फतेहपुर सीकरी भी जाना था जो कि वहां से केवल १५ कि मी दूर है । तो सोचा
क्यूं ना पहले फतहपुर सीकरी कर लिया जाये
और गाडी में बैठ कर चल पडे । कोहरा काफी घना था
तो ड्राइवर को गाडी चलाने में भी काफी परेशानी हो रही थी । वह जब भी संभव होता
किसी दूसरी गाडी के पीछे हो लेता ताकि रास्ते का पता चलता रहे । खरामा खरामा फतेहपुर
सीकरी पहुंचे तो बहुत से गाइड पीछे पड गये । उनमें से एक को लेकर हम मज़ार पहुंचे दर्शन
किये, धागे बांधे और काफी देर तक बाहर घूमते रहे । वहां दो आदमी बहुत सुंदर गायन
वादन कर रहे थे । एक तबले पर था दूसरा हारमोनियम पर, वही गज़ल गा भी रहा था । खूब
आनंद आया । (फोटो)
करीब १० साढे दस बजे जब हम वापिस जा रहे थे तो कोहरा छट चुका था । अब
तो वापसी का प्रवास भी जल्दी हो गया । हम सीधे जा पहुंचे पक्षी-उद्यान । हमारा कल
का गाइड जैसे हमारे लिये ही रुका था, गेट पर ही खडा मिल गया तो हमने उससे कहा कि
हमारे पास कुल ३ घंटे हैं तो हमे बढिया बढिया पक्षी देखना है । तो साहब रिक्षा में
बैठे और पक्षी निरीक्षण सैर शुरु ।
इस बार हम सीधे सीधे चलते गये और एक बडे से तालाब के किनारे पहुंचे
जो केवलादेव मंदिर से थोडा ही आगे था । और इतने सुंदर सफेद झक पेलिकन दिखे और वे
एक साथ इतने आराम से एक बोट की तरह तैर रहे थे । बहुत देर तक हम उन्हें देखते रहे
इतना
सुंदर दृष्य था । पेलिकन समंदर पर तथा लेक और तालाबों पर रहते हैं
। यह बडे सामाजिक पक्षी होते हैं और अधिकतर इकठ्ठे रहते और तैरते हैं । ये प्रजनन
के समय भी कॉलोनी में ही रहते हैं ।
(फोटो)
हम पेलिकन्स को देख ही रहे थे कि पानी पर उछलता हुआ एक सांप सा
दिखाई दिया ।
इसका सिर्फ सिर ही दिख रहा था । गाइड ने हमें बताया कि यह सांप नही
बल्कि स्नेक
बर्ड है । इसकी गर्दन लंबी होती है और यह तैरते समय सिर्फ अपना सिर
ही पानी के बाहर रखता है, और बहुत तेजी से आगे बढता है । इसमें नर बहुत सुंदर काले
रंग का होता है और मादा थोडे हलके रंग की । इसकी गर्दन को यह डार्ट की तरह आगे
फेंक कर अपना शिकार मछली या मेंढक पकडता है इसी लिये इसको डार्टर (इन्डियन डार्टर
या अमेरिकन डार्टर जिस भी जगह पाया जाता है ) भी कहते हैं ।
वहां से वापिस मुडे तो एक जगह रुक कर गाइड ने बताया कि यहां दूर से
ही सही लेकिन आपको स्पून बिल (चम्मच चोंच) और आयबिस दिखेंगे । तो हम उतर कर चल पडे
। गाइड अपनी दूरबीन से देखता रहा और फिर उसने अचानक दूरबीन मुझे थमा दी । देखिये
वहाँ दूर सामने उस टीलेनुमा चीज़ पर स्पूनबिल और आयबिस दोनों हैं । वाकई वहां
स्पून बिल दिखा और आयबिस भी । दोनों दोस्तों की तरह पास पास खडे धूप सेंक रहे थे ।
स्पून बिल एक लंबा बडे आकार का पक्षी है जिसकी गर्दन और पैर काले होते हैं और चोंच
भी जो चम्मच की तरह आगे से गोल होती है । (फोटो)
यहां का आयबिस बडे आकार का छिछले पानी में मछली कीटक और छोटे मेंढक
तथा उनके टेडपोल खाने वाला पक्षी है । इसके पंख सफेद तथा सिर और चोंच काली होती है
चोच सिरे पर थोडी मुडी होती है । यह चोंच से पानी को चलाता रहता है और अपना भक्ष
ढूंढता है । तब अक्सर इसका सिर भी पानी के नीचे रहता है । (फोटो)
थोडी ही दूरीपर दिखा काली गर्दन वाला स्टॉर्क । यह बडा पक्षी वैसे
तो तिब्बत के टंडे प्रदेश का रहिवासी है पर प्रजनन के लिये यह नदी या तालाबों के
किनारे आता है यह कभी कभी गेहूं या जौ के खेतों में भी दिखता है । उसने जब उडान
भरी क्या ही सुंदर दृष्य था । यहीं कुछ पीछे एक बडा सा नर नील गाय खडा था ।
व्याकरण की गलती लग रही है ना ?
यहीं पर हमने भूरे पैरों वाली बत्तखें ( ग्रे लेग्ड गीज़ ) देखीं जो
प्रजनन के लिये यहां सुदूर साइबेरिया से आती हैं । इनके पैरों में वाकई मोजे पहने
हुए लगते हैं ।
साइबेरिया से आनेवाले क्रेन्स अब नही आते इनका आखरी जोडा पिछले साल
देखा गया था पर वापसी पर वह शिकारियों का शिकार हो गया । अब वहां से आने वाले
पक्षियों को राह बताने वाला कोई पक्षी नही बचा ।
यहां अक्सर खुली चोंच वाले स्टॉर्क भी दिखते हैं पर हम तो नही देख
पाये ।
और देखे छोटे कोरमोरन्ट । ये मझोले आकार के पक्षी होते है ।इनका
शरीर प्रजनन के समय पूरा काला रहता है । अन्य समय ये भूरे रंग के होते हैं तथा गले
पर एक सपेद सा धब्बा होता है । ये पूरे
भारत में पाये जाते हैं ।
वापसी पर एक हिरण भी दिखा (स्पॉटेड डियर) पर फोटो नही ले पाये ।
सुर्खाब और गदवाल (वॉटर फाउल ) भी दिखे ।
आगे जाकर ३-४ जैकॉल (सियार) दिखे ।
मन तो बहुत था कि कुछ देर और सैर करें पर चलने का वक्त हो रहा था ।
दिल्ली अभी ४-५ घंटे दूर थी । एडम को कल काम पर भी जाना था । तो वापिस गेट पर आये
। गाइड और रिक्षावालों को धन्यवाद कहा मजदूरी और बक्षीश दी और गाडी
में बैठे वापसी के लिये । रात के साढे आठ बजे
पहुंचे घर । खाना रास्ते में महारानी पैलेस मे खा लिया था तो और कुछ करना
नही था । आप को कैसे लगी हमारी भरतपुर की
सैर ? मुझे तो बडा मज़ा आया ।
बहुतसे चित्र गूगल के सौजन्य से ।
22 टिप्पणियां:
शुभकामनायें आप दोनों को
अच्छी प्रस्तुति -
हर हर बम बम
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
Spectacular!
आपके ब्लॉग ने भरतपुर पक्षी विहार का नयनाभिराम दर्शन करा दिया, आभार!
सुंदर चित्र
पक्षियों के बड़े ही प्यारे चित्र..
हम भी आप के साथ घूम लिए ।
बहुत दिनों से इंतजार था घु मक्कड़ी पोस्ट का ।।
धन्यवाद
achchi sair kara di.....
बहुत ही प्यारे प्यारे पक्षी दिखे चित्रों में.....
बहुत अच्छा लगा..घर बैठे बैठे ही आनन्द आ गया भरतपुर पक्षी विहार का.
बहुत ही प्यारे चित्र ....
@ यहीं पर हमने भूरे पैरों वाली मुर्गियां( ग्रे लेग्ड गीज़ ) देखीं
शायद इन्हें बत्तख कहते हैं मुर्गियां नहीं ....
लगता है जाना ही पडेगा आपने तो रोचकता पैदा कर दी । वैसे भी मैने इसी खास काम के लिये नया कैमरा खरीदा है पर क्या साल में इस महीने में भी वहां पक्षी मिल जायेंगें
सही कहा हीर जी बत्तखें ही होना चाहिये था ।
मनु जी आप जा तो सकते हैं पर ये अंतिम महीना है ये पक्षी आपको सेप्चेंबर से मार्च तक दिखते हैं ।
जैसा कहते हैं कटिंग टू क्लोज.
बहुत बढ़िया आशा जी,
पक्षियों को देख कर बहुत आनन्द आया,आप दोनो भी आजकल पक्षियों की तरह मुक्त विचर रहे हैं -बधाई !
बहुत बढ़िया आशा जी,
पक्षियों को देख कर बहुत आनन्द आया,आप दोनो भी आजकल पक्षियों की तरह मुक्त विचर रहे हैं -बधाई !
बहुत रोचक प्रस्तुति...
भरतपुर पक्षी विहार,,,, आपके ब्लॉग पर तस्वीरें देखकर जाने का मन कर उठा ,,,,
सादर आभार !
बहुत सुन्दर पक्षी विहार ...
अमेरिका से भरतपुर ..
आपकी यात्रा सुखद हो !
बहुत ही सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति ...
भरतपुर पक्षी अभयारण्य की रोमांचक सैर, पक्षियों के खूबसूरत चित्र और सुंदर यात्रा वृत्तांत. घुमक्कडी जारी रखें.
हम भी यहाँ कभी नहीं जां पाये हैं. क्षति पूर्ति हो गयी.
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