मंगलवार, 14 अगस्त 2012

हम स्वतंत्र हैं



हम स्वतंत्र हैं,  कुछ भी करने के लिये ।
सडक पर थूकने के लिये,
मूंगफली के छिलके फैलाने के लिये,
हल्दीराम के ठोंगे फेंकने के लिये,
अपने घर का कूडा करकट रास्ते पर डालने के लिये,
ऑफिस की स्टेशनरी घर लाने के लिये,
प्रॉजेक्टस् के पैसे में से अपना कट लेने के लिये,
स्कूल के बच्चों से अपनी आटाचक्की चलवाने के लिये,
क्लास में ना पढाने के लिये,
ट्यूशन पढने ना आने वाले बच्चों को फेल करने के लिये,
कोर्स परीक्षा के आस पास जैसे तैसे खत्म करवाने के लिये,
मटीरियल में मिलावट करने के लिये,
सामान बेच कर रसीद ना देने के लिये,
मनमाने दाम वसूल ने के लिये,
देश के लोगों का पैसा अपनी जेब में भरने के लिये,
वादे सिर्फ करने के लिये,
काम करने के लिये घूस लेने के लिये,
घटिया सामान लोगों के गले उतारने के लिये,
अपने हक से ज्यादा पाने के लिये,
वोट पाने के लिये नोट देने के लिये,
दादागिरि करने के लिये,
अपना हक जताने के लिये,
हर दिन गलत काम करने के लिये,
कमजोर पर अत्याचार करने के लिये,
नारी को पांव की जूती समझने के लिये,
जबरन पैसा वसूलने के लिये,
किसी की जान तक लेने के लिये,
और पता नही कितना और क्या क्या करने के लिये ,
पैसा और पॉवर, है न हमारे पास ।

हम स्वतंत्र नही (?) हैं,
अपने परिवार और देश में सबको समान अधिकार देने के लिये,
अपने खिलाडियों को सुविधाएं देने के लिये,
सिपाहियों को उमदा हथियार देने के लिये,
युध्द के समय सही एक्शन का आदेश देने के लिये,
उनके परिवारों की देखभाल के लिये,
अपनी सीमाओं की रक्षा के लिये,
अपने नागरिकों के सुख सुविधा का सामान जुटाने के लिये,
उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिये,
ऩारी को भी इन्सान समझने के लिये,
पीने का साफ पानी देने के लिये,
रोशनी देने के लिये,
सबको कम से कम दो जून की रोटी उपलब्ध कराने के लिये,
सब को शिक्षा और रोजगार का समान अवसर देने के लिये,
स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिये,
आतंकवाद से निपटने के लिये,
असमानता हटाने की कोशिश करने के लिये,
अच्छे और सच्चे लोगों को बढावा देने के लिये,
ईमानदारी से अपना काम करने के लिये
नही हैं हम स्वतंत्र,
पॉवर जो नही है, और पैसा, वो कहां है हमारे पास,
सब स्विस बैंक में जो रख दिया है ।

19 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

अच्छे और सच्चे लोगों को बढावा देने के लिये, ईमानदारी से अपना काम करने के लिये नही हैं हम स्वतंत्र, पॉवर जो नही है, और पैसा, वो कहां है हमारे पास, सब स्विस बैंक में जो रख दिया है ।
...........आज़ादी आज की तारीख मे सिर्फ एक छलावा है
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सब की ओर से ६५ वे स्वतंत्रता दिवस से पहले उषा मेहता जी और उन के खुफिया कांग्रेस रेडियो को याद करते हुये आज की ब्लॉग बुलेटिन लगाई है जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ...पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

इतने ही स्वतंत्र हम रह गए हैं
और निःसंदेह इस स्वतंत्रता के लिए जान भी ले सकते हैं
भद्दी भद्दी गालियों से अपमानित कर सकते हैं
बोल के तो देखे कोई .... भारत तो महान ही है
भारतवासी बहक रहे हैं , पेग पर पेग .... नशा ही नशा
देश के लिए नशा - ? अमां तुम क्या बात करते हो !

दिनेश शर्मा ने कहा…

सही लिखा। आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।वन्दे मातरम्...

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सहमत हूँ आपकी बातो से आजादी तो केवल नाम की मिली है..
बदलेंगे देश के हालात इसी आशा के साथ
आपको भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये
:-)

Vaanbhatt ने कहा…

पूरे देश का हाल बयां कर दिया...वन्दे मातरम...

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

यहीं कहीं पढ़ा था स्व-तंत्र का अर्थ। तंत्र पर स्व का नियंत्रण ही स्वतंत्र होना है। बाकी तो पर-तंत्र हैं।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सन्नाट कटाक्ष है, काश हम सुधर जायें..

Rakesh Kumar ने कहा…

आपने हमारे 'कर्तव्य और अधिकार' का
कड़वा यथार्थ बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है.

अपनी आजादी का सही मूल्यांकन
कर उसका सदुपयोग करना हमें आना चाहिये.
वरना भ्रष्टाचार पर आधारित आजादी
एक अभिशाप ही होगी.

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ,आशा जी.

मनोज कुमार ने कहा…

समकालीन परिदृश्य को आपने स्वतंत्रता दिवस के परिप्रेक्ष्य में आकलन करने का उत्तम प्रयास किया है।

मनोज कुमार ने कहा…

समकालीन परिदृश्य को आपने स्वतंत्रता दिवस के परिप्रेक्ष्य में आकलन करने का उत्तम प्रयास किया है।

alka mishra ने कहा…

मान गए भाई,आपको हम.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

सही कहा है आपने...
वैसे इतना कहने की आज़ादी भी कम तो नहीं है :)

Arshia Ali ने कहा…

आपकी बातों से असहमत होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता।

हार्दिक शुभकामनाएं।

............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सच है हमने स्वतंत्रता को स्वछंदता के रूप में ही जिया .... सटीक व्यंगात्मक पंक्तियाँ

Satish Saxena ने कहा…

आभार आपका ...

kshama ने कहा…

Ham kahan swatantr hain? Mai aaj bhee apnee marzee kaam nahee kar saktee!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!

RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,

Alpana Verma ने कहा…

बहुत ही गंभीर बातें उठायी हैं आप ने इस कविता में.
काश !आगे आने वाली पीढियाँ कुछ बेहतर कर सके ,हम तो कुछ कर ही नहीं सकते हैं
.सिस्टम इतना खराब हो चुका है.