आधी रात
लगायें घात
चोर और प्रेमी ।
हवा और मन
बिना तन
लगायें दौड ।
किसी के आंसू,
किसी का पसीना,
दोनों पानी ।
नेता और गुंडे
दोनो मुस्टंडे
दोनो लूटें ।
सब बेईमां
बेच के ईमां
दफनाते जमीर ।
जनता बेचारी
झूठ से हारी
करे समझौता
जैसी जनता
वैसा नेता
कितना सच ।
31 टिप्पणियां:
सभी त्रिदल
प्रभावी ।।
चुप रहता हूँ,
चुप सहता हूँ,
पर कहता हूँ।
त्रिदल हों
या कविता
खूब प्रभावशाली
हवा और मन
बिना तन
लगायें दौड ।
...
हवा खामोश
मन खामोश
ये कैसी खलिश
हवा और मन
बिना तन
लगायें दौड ।
किसी के आंसू,
किसी का पसीना,
दोनों पानी ।
भाव बन हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ ।
सभी त्रिदल अपने में सक्षम ....
bahut sundar tridal arthpurn.....
सच्चाई बयाँ कर दी आपने!...सार्थक कृति!...बधाई आशा जी!
कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं.... संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...
संजय भास्कर
behad sunder.....
हाइकू शेप की रचना बहुत अच्छी लगी...
बहुत प्रभावी प्रस्तुति. आभार.
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
लाजबाब त्रिदल.
सुंदर पोस्ट । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
कमाल के त्रिदल!
किसी के आंसू,
किसी का पसीना,
दोनों पानी ।... ahhh ... kya baat hai !!
बहुत प्रभावी प्रस्तुति
बहुत बढ़िया प्रभावी प्रस्तुति, सुंदर रचना,.....
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
बहूत हि सार्थक और सुंदर प्रस्तुती....
बेहतरीन
सादर
आधी रात
लगायें घात
चोर और प्रेमी ।
वाह क्या बात है
सभी जोरदार
आधी रात
लगायें घात
चोर और प्रेमी ।
वाह क्या बात है
सभी जोरदार
न नेता ,न नीति ,न नीयत, न जाने नियति को क्या मंजूर |
नेता और गुंडे
दोनो मुस्टंडे
दोनो लूटें ।
क्या बात. बहुत सुंदर...
सार्थक त्रिदल,
रेखांकित छल
बड़े मनोहारी !
प्रभावशाली सशक्त अभिव्यक्ति...आभार...
वाह .... सभी लाजवाब खास कर हवा का मन ...
आधी रात
लगायें घात
चोर और प्रेमी ।
...मजा आ गया आशा जी!...बहुत खूब!
jabardast tridal.
bahut khub:)
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