चांदनी झरने लगी झर झर झऱ
सुनहरे रुपहले प्यारे से पल
रात रानी, बेला और मल्लिका
इठलाने लगीं रूप यौवन पर ।
ये नदिया का जल, कल कल कल
बलखाती मछलियां चंचल चंचल
मदमाती सुगंध, सर सर सर
हवा की रुनझुनी बजती पायल
पेडों की घनी घनी डालों पर
लेटा है चाँद बांहे फैला कर
रजनी अलकों को संवांर रही
तारों से ले रही मांग भर ।
ताल मे खिलने लगी कुमुदिनि
मन पुलकित, आनंदित निर्भर
स्नेह का ये निमंत्रण मौन, पर
आवाहन कर रहा है प्रियवर ।
34 टिप्पणियां:
आज शरद पूर्णिमा को तो यह सचमुच चरितार्थ ही हो रहा है
बढ़िया प्रस्तुति |
हमारी बधाई स्वीकारें ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html
सब स्वागत में खड़े हुये हैं,
मानों इस हित बड़े हुये हैं।
बहुत सुन्दर मनभावन रचना .....आभार !
ताल मे खिलने लगी कुमुदिनि
मन पुलकित, आनंदित निर्भर
स्नेह का ये निमंत्रण मौन, पर
आवाहन कर रहा है प्रियवर ।भावपूर्ण रचना.....
पेडों की घनी घनी डालों पर
लेटा है चाँद बांहे फैला कर
रजनी अलकों को संवांर रही
तारों से ले रही मांग भर ।... यूँ लगता है , प्रकृति आपकी रगों में भर जाती है
क्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई
अति सुन्दर!..शरद पूर्णिमा का बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने आशा जी!..धन्यवाद!
ये दरिया किनारा
ये रुनझुन से पल
ये आज की बेला
ना मिल पायेगी कल
मौन रह कर आवाहन करता निमंत्रण
सुन्दर अभिव्यक्ति
वाह पूर्ण चन्द्र की शरद यामिनी साकार हो उठी ....
खिली चांदनी में कौन निमंत्रण देता मुझको मौन .. :) ?
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
bahot pyari kavita hai......
स्नेह का ये निमंत्रण मौन, पर
आवाहन कर रहा है प्रियवर !
शरद पूर्णिमा का सुंदर वर्णन किया है
बहुत बढ़िया रचना !
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! और शानदार प्रस्तुती!
मैं आपके ब्लॉग पे देरी से आने की वजह से माफ़ी चाहूँगा मैं वैष्णोदेवी और सालासर हनुमान के दर्शन को गया हुआ था और आप से मैं आशा करता हु की आप मेरे ब्लॉग पे आके मुझे आपने विचारो से अवगत करवाएंगे और मेरे ब्लॉग के मेम्बर बनकर मुझे अनुग्रहित करे
आपको एवं आपके परिवार को क्रवाचोथ की हार्दिक शुभकामनायें!
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
आशा जी,-मै पहली बार आपके ब्लॉग में आया,आपकी कुछ रचनाओ पढा,मुझे बेहद पसंद आयी
आपकी रचनाओ में शब्दों की सादगी शब्दों चयन शब्दों का संयोंजन आपने बहुत अच्छे ढंग किया है,...
समय निकाल सके तो कभी मेरे ब्लॉग आइये आपका स्वागत है,
मन मोह लेने वाली सुंदर-सरल-निर्मल कविता।
बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ये नदिया का जल, कल कल कल
बलखाती मछलियां चंचल चंचल
मदमाती सुगंध, सर सर सर
हवा की रुनझुनी बजती पायल
कौन ऐसा शक्श होगा जो ऐसा निमंत्रण स्वीकार नहीं करेगा...
प्रकृति का सुंदर वर्णन॥
भाव इतना प्रवाहमय है कि लगा,कविता अचानक ख़त्म हो गई।
प्रकृति और प्रेम का समन्वय शाश्वत है। आपने इन्हें स्वर देकर अपनी सहजता का परिचय दिया।
सुंदर प्रकृति चित्रण व् भाव संयोजन. बहुत बधाई.
ताल मे खिलने लगी कुमुदिनि
मन पुलकित, आनंदित निर्भर
स्नेह का ये निमंत्रण मौन, पर
आवाहन कर रहा है प्रियवर ।
Bahut bahut achchi lagi!
मनमोहक प्रस्तुति.
पेडों की घनी घनी डालों पर
लेटा है चाँद बांहे फैला कर
रजनी अलकों को संवांर रही
तारों से ले रही मांग भर ।
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! मनभावन रचना!
प्राकृति और प्रेम का सुन्दर चित्रण है इस लाजवाब रचना में ... भावमयी रचना ...
बेहतरीन रचना.....बधाई स्वीकारें ||
ताल मे खिलने लगी कुमुदिनि
मन पुलकित, आनंदित निर्भर
स्नेह का ये निमंत्रण मौन, पर
आवाहन कर रहा है प्रियवर ।
सुन्दर प्रस्तुति .दिवाली मुबारक .
बहुत ही मनमोहक शब्द चित्र ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
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In a Hindi saying, If people call you stupid, they will say, does not open your mouth and prove it. But several people who make extraordinary efforts to prove that he is stupid.Take a look here How True
चांदनी झरने लगी झर झर झऱ
सुनहरे रुपहले प्यारे से पल
रात रानी, बेला और मल्लिका
इठलाने लगीं रूप यौवन पर ।
मन भवन गीत .....!!
लगता है उतर आया हो पूर्णिमा का चांद।
बहुत सुन्दर कविता!
रजनी अलकों को संवांर रही
तारों से ले रही मांग भर ।
.........बहुत सुन्दर पंक्तियाँ!
जरूरी कार्यो के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
aise laga jaise chandani man par jhar rahi ho,awesome,simply awesome.
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