बुधवार, 3 अगस्त 2011

चलते रहिये चलते रहिये -8 वॉटर फ्रंट, टेबल माउन्टेन और वाइनरीज


एक दिन यानि 27 तारीख को हमने सिर्फ ग्रॉसरी की और हौट बे पर जाकर बैठ गये वहां से थोडी सीपियाँ इकठठा कीं लहरे गिनते बैठे रहे फिर घर आकर विश्राम किया 7from7b

सी दिन शाम को एडम और एमी आगये उन्होने कहा कि कल हम वॉटर फ्रंट पर खाना खायेंगे और टेबल माउन्टेन देखने जायेंगे । यह एक एकदम ऊपर से समतल टेबल सा दिखने वाला पहाड है इसीसे नाम पडा टेबल माउऩ्टेन । तो दूसरे दिन हम सब तैयार होकर वॉटर फ्रंट गये। वहीं जहां हम रॉबिन आयलैन्ड के लिये बोट लेने गये थे । (विडियो) 8..1

वहां एक मल्याली रेस्तराँ खाना खाया वहां वे लोग एक स्पेशल रोटी बनाते हैं वह खायी । ये होती तो मोटी है नान की तरह पर बहुत ही मुलायम । सब्जी भी अच्छी थी पर मैंगो लस्सी कुछ खास नही थी । खाना खाने के बाद एमी ने तो टेबल माउन्टेन जाने से मना कर दिया उसे जुकाम हो गया था. पर हम सब गये । ड्राइव कर के माउन्टेन तक गये पर थोडी देर वहीं घूमे फिरे पूरे कैप टाउन को चिडिया की आँख से देखा (Bird’s eye view ) हवा खूब तेज थी बाल कपडे टोपी सब उडे जा रहे थे । पर सारा परिसर बहुत ही सुंदर था । हमें लगा कि बस हो गया, पर एडम ने कहा यहां केबल कार है जो पहाड के ऊपर ले जाती है । हमने पता भी किया पर वह मौसम (विडियो) 8..2 3



की वजह से उस दिन बंद थी । हमारी तो नाक आंख सब बहे जा रही थी तो हमने तो चैन की सांस ली पर एडम को बडा बुरा लगा कि वह हमें टेबल माउन्टेन ऊपर से दिखा नही पाया । (विडियो) 8..4

हम एमी को लेने वापिस वॉटर फ्रंट पर आये और से लेकर फिर घर गये । एडम और एमी डिनर करने बाहर जाना चाहते थे पर वे बाहर से खाना ले आये सब के लिये ।
कल हमें जाना था वाइनरी और चीज फेक्टरी देखने तथा वाइन और चीज टेस्टिंग के लिये । हमने केलिफोर्निया की नापा वेली वाइनरीज देखी थीं कुछ कुछ वैसी ही लगीं । परिसर बहुत ही स्वच्छ और सुंदर था एक तालाब में रंगीन मछलियां थी सफेद गुलाब के फूल लगे थे । एक दाढीवाला बकरा भी था । (विडियो) 8..5

प्रसाधन गृहों पर ही गोट और शी गोट लिखा था खूब हसीं आई । तरह तरह की रेड और व्हाइट वाइन टेस्ट की । बहुत प्रकार के चीज़ थे उनमें स्वीट पेपर और एप्रिकॉट चीज़ पसंद आये । (विडियो) 889..1..

वापसी पर हमें उस इलाके के पूरे वाइनरीज दिखाते हुए एडम ले गया बीच में इम्पाला हिरण और शुतुरमुर्ग भी दिखे । फिर हम समंदर किनारे एक बोर्ड वॉक पर सील देखने गये । कितने सारे सील थे खूब तस्वीरें खींची । तैरते हुए अपनी कलाबाज़ियाँ दिखा रहे थे । एक तो अपने फिन से अपना बदन खुजा रही थी । आप भी देखें । दूसरी तरफ तो बहुत सारे सील थे पर ये दूर थे । घर आये और फ्रोझन पिझ्जा बेक किया । एडम और एमी बाहर गये और पास्ता तथा केक लेकर आये । बढिया डिनर हो गया ।

तीस ताऱीख को हमें वापिस जाना था हमारी फ्लाइट पांच बजे की थी इंटरनेशनल फ्लाइट थी तो रिपोर्टिंग 3 घंटे पहले था । हम एक बजे निकल रहे थे तो कमरे की दूसरी चाभी ही ना मिले । खूब ढूंढा पर चाभी नही मिली तो नही मिली । खैर हम ने अपार्टमेन्ट के मालिक से कहा कि हम सामान में देखेंगे और आपको डाक से भेज देंगे और नही मिली तो हम एडम को पैसे देकर जायेंगे । खैर आदमी शरीफ था मान गया । एडम और एमी को भी हमारे साथ ही जोहान्सबर्ग लौटना था । एयरपोर्ट पहुंचते ही खूब बारिश शुरु हो गई बारिश क्या तूफान कहना ज्यादा ठीक होगा । अनाउन्समेन्ट हो रहे थे सारी फ्लाइट्स समय से कहीं ज्यादा देरी से बता रहे थे । हमारी फ्लाइट भी डिलेड बता रहे थे । फिर तो डिलेड इनडेफिनेटली लिख कर आ गया । अब क्या करें, हमारी अगली फ्लाइट जोहान्सबर्ग से थी साढे नौ बजे की । एडम और सुरेश जाकर एयरपोर्ट एथॉरिटी से बात कर आये हमारी कनेक्टिंग फ्लाइट जोहान्सबर्ग से वॉशिंगटन डी.सी. की है ये भी बताया तब जाकर उन्होने हमें दूसरी फ्लाइट में एडजस्ट करने की बात मान ली । वह फ्लाइट आठ बजे की थी उससे पहले हमारी सिक्यूरिटी भी होनी थी खैर जल्दी जल्दी करते हुए हम केप टाउन से तो उड गये । पर हमें फ्लाइट पर ही पता चल गया था कि हमें कनेक्टिंग फ्लाइट तो नही मिलेगी । जो होगा देखा जायेगा कर के बैठे रहे चुप चाप । हमारे साथ का एक लडका जिसे न्यूयॉर्क जाना था खूब छटपटा रहा था । जैसे ही हम जोहान्स बर्ग उतरे वह दौडते हुए निकल गया हम तो साउथ एयर लाइन्स के काउंटर पर जाकर हमारी अगली फ्लाइट कब है और हमारा रुकने का इन्तजाम क्या हो सकता है यह पता करने में लग गये पता चला अगली फ्लाइट चौबीस घंटे बाद है पर रुकने का इन्तजाम उन्होने सदर्न-सन नाम के पांच सितारा होटल में किया है तो जान में जाऩ आई । (विडियो) 889..2Last

होटल में फिर उसी लडके को देखा जो तेजी से निकल गया था बोला मैं तो उडान से पहले पहुँच गया था पर विमान का दरवाजा ही बंद हो गया था और मेरे लाख कहने पर भी उन्होने नही खोला । होटल मैनेजमेन्ट ने हमें ब्रेकफास्ट लंच और डिनर के कूपन भी दे दिये ।
हमने एडम को कॉल करके बता दिया कि हम ठीक हैं और अब कल जायेंगे । भूख लगी थी तो रात को सैन्डविचेज मंगवा कर खाये । बढिया से कमरे में चैन से रात बिताई दूसरे दिन ब्रेकफास्ट किया फिर एयर पोर्ट गये फ्लाइट का पता करने अपने सामान का पता लगाने । वापिस आकर नहायेंगे सोचा था । होटल आये, तो पानी ही नही, पता चला कोई पाइप फूट गया है तो पानी तो शाम तक ही आयेगा । लो जी, रहो बिना नहाये अब, सुबह सुबह नहा लेते तो अच्छा होता पर आराम से नहायेंगे सोचना भारी पड गया ।
खैर थोडी देर बाद ऊब गये तो लंच किया और एयरपोर्ट ही चले आये । आज कोई समस्या नही हुई । उडान समय से गई और समय से 18 घंटे बाद डलेस हवाई अड्डे पहुंच गई । जिम महाशय को सुहास ने फोन कर के बता दिया ता कि हम लोग एक दिन लेट पहुँच रहे है तो वे समय से हमें लेने भी आ गये और हम सुहास के घर वहाँ चार पाँच दिन और मज़े किये फिर अमित के यहां । जब हम वॉशिंगटन के डलास एयर पोर्ट पर बैठे अपने उडान का इंतजार कर रहे थे तो हमने दुनिया के सबसे बडे हवाई जहाज़ एयर बस-३८० की उडान देखी । (विडियो) Clip taken ofFlight:A380 Courtesy:www.youtube.com

इसने अपनी पहली उडान इसी साल ३१ सार्च को भरी थी । इसका टेक ऑफ समय कुल १६ सेकंड है । यह एक डबल डेकर हवाई जहाज़ है जिसका सामान्य वज़न उडान के समय १.२ मिलियन पाउंड होता है । इसमें कोई ६०० यात्री सफर कर सकते हैं हमें इतना मज़ा आया कि आपसे बाँटने का लोभ संवरण ना कर पाई ।
फिर पहुँच गये डरहम, अपने पोते को, अमित-अर्चना के नये बेटे यश को देखने । फिल हाल यहीं हैं । आपको ये हमारे साथ घूमना कैसा लगा ? और हाँ वह अपार्टमेन्ट की चाभी भी मिल गई यहां आकर, कैमेरे के बैग में थी ।
(समाप्त)

10 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Bahut,bahut maza aa gaya!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोचक, डायरीनुमा यात्रावृत्तान्त।

P.N. Subramanian ने कहा…

एक घंटे से ज्यादा लग गया. ऐसा लगा कोई फिल्म देख कर उठे हों. दाढ़ीवाला बकरा भी दिखा. कुल मिलाकर स्वयं किये गए यात्रा के सदृश. आभार.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

मजा आ गया....

बेनामी ने कहा…

thanks for sharing...



http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

vijay kumar sappatti ने कहा…

दीदी ,
बहुत सुन्दर यात्रा का वृतान्त .. आनंद आ गया ..

आभार

विजय

कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

Dorothy ने कहा…

बेहद रोचक एवं जीवंत यात्रा संस्मरण साझा करने के लिए आभार.
सादर,
डोरोथी.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

आ ...हा....हा.....
आशा जी सच कहूँ .....
देख देख कर जलन सी होने लगी ......

Suman ने कहा…

ताई, बहुत बढ़िया रहा यात्रा वृत्तान्त
पढ़ते हुये काफी रोमांचक दृष्य भी विडिओ पर देख कर
सचमुच बहुत मजा आ गया ! पिछली पोस्ट मैंने मिस कि थी
वह भी पढ़ते हुये जा रही हूँ ! अरे हाँ फिर उस चावी का क्या किया :)
इतनी सुंदर जानकारी के लिये बहुत बहुत आभार !

आशा जोगळेकर ने कहा…

आप सब का अनेक आभार आप ने पोस्ट पढी और मेरा उत्साह बढाया । चाभी सुहास को दे दी वही अब डाक से भेज देगी साउथ अफ्रीका, केपटाउन विला हारग्रीव्ज।