बुधवार, 15 जून 2011

चलते रहिये चलते रहिये- घूमना दक्षिण अफ्रीका

इस बार जब सुहास दिल्ली आई थी तभी तय हो गया था कि अगली ट्रिप हमारी दक्षिण अफ्रीका की होगी । एडम, उनका एक शिष्य जिसे हम भी अच्छी तरह जानते हैं (दिल्ली में जो था वह दो साल ), आज कल प्रीटोरिया में पोस्टेड है । कोई अपना हो तो जाने की सुविधा तो रहती ही है ।
तो जब हमारा वार्षिक अमरीका प्रवास शुरू हुआ तो सुहास नें कहा कि तुम लोग यहां (मारटिन्सबर्ग वेस्ट वर्जीनिया) मई में ही आ जाओ क्यूं कि हमें १६ मई को ही चल देना है और ३१ मई की हमारी वापसी होगी । दिल्ली से चल कर हम २६ अप्रेल को पहुँचे एन्डरसन, साउथ केरोलाइना राजू के यहाँ । वहाँ राजू- रुचिका और मानसी- साक्षी के साथ १२-१३ दिन रहे और चल पडे अपने हमेशा के रूट पर । यानि पहले कुसुम ताई के घर और फिर सुहास के यहाँ । सुहास के यहां ६ दिन खूब मौज मस्ती की हमारे शादी की वर्षगांठ थी 12 को तो चायनीज रेस्तरॉँ मे खाना खाया । (विडियो)

सोला तारीख को हमारी उडान थी ५ बजकर 40 मिनिट पर, साउथ आफ्रीकन एयर वेज की । पूरे १७ घंटे की उडान थी एक घंटे का पडाव डकार, सेनेगल में था पर हमें उतरने की इजाज़त नही थी । साफ सफाई और इंधन लेने के लिये ही यहां रुकना था कुछ यात्री अवश्य उतरते और चढते हैं । हमारा गंतव्य था जोहान्सबर्ग जो प्रीटोरिया से एक घंटे की दूरी पर
है ।
हम घर से १२ बजे ही चल पडे सुहास के पडोसी जिम लवीन ने हमें एयरपोर्ट पर छोडा । सुहास के यहां ये अच्छी व्यवस्था है कहीं भी जाना हो जिम जी का ट्रक हाजिर है । ये ट्रक बडा वाला नही छोटा घरेलू ट्रक है पर हम लोगों का सामान और ६ व्यक्ती आराम से आ सकते हैं । इस बार प्रकाश और जयश्री हमारे साथ नही थे । किरण ( उनकी सबसे छोटी बेटी ) को मुंबई जाना था और वह मेडिकल के प्रथम वर्ष में यू एस में पढ रही है, फिर अगले चार साल तक मुंबई नही जा पायेगी इसी से वे लोग नही आये ।
हम चैक इन सिक्यूरिटी वगैरा सब कर करा के 2 बजे अपने गेट पर पहुँच गये । वहाँ पिझ्जा पास्ता का लंच किया । इस बार प्रकाश नही थे तो कोई पूरी भाजी वगैरा नही थी वरना नका हमेशा आग्रह रहता है कि जहां तक हो सके घर का खाना हो । तो हमारी यात्रा नियत समय पर आरंभ हुई । साउथ अफ्रीकन एयर लाइन का विमान अच्छा है सीटों के बीच थोडी ज्यादा जगह है इकोनोमी क्लास में भी । पर प्रवास बहुत लंबा था और मनोरंजन की व्यवस्था लचर । साउंड ठीक नही था, और टी वी स्क्रीन हमसे दूर टंगा था । खैर हम चार लोग थे तो बोरियत को कम तो कर ही लिया । आधा समय तो सोने में निकल गया बचा हुआ खाने पीने में बातें करने मे ।
सतरा घंटे प्रवास कर के हम पहुँचे जोहान्सबर्ग, 17 मई को शाम पाँच बजे । एडम, हमें लेने आ गया था । पहुँचते ही सबसे पहले रैंड लिये जो वहां की करंसी है । एक डॉलर सात रैंड के बराबर है पर बहुत से टैक्स काट कर हमें हजार डॉलर के ६८५८ रैंड मिले । एडम के साथ घर आये हमारे लिये उसने एक बडी गाडी किराये पर ले रखी थी । घर पर पहुँचे तो अंधेरा । भारत की याद गई । घर में सारे उपकरण बिजली के हैं तो खाना नही बन पाया था । तो हम सब गये नमस्कार रेस्टॉरेन्ट में खाना खाने और चाय भी तो पीनी थी । मसाला चाय तो बहुत ही बढिया थी और खाना भी अच्छा था । रेस्तरॉँ के मालिक गुजराती थे बडे मिलनसार । एडम तथा एमी को जानते भी थे तो बहुत सी बातें भी हुई । जब वापिस एडम के घर आये तो बिजली आ गई थी एडम ने हमें अपने अपने कमरे दिखाये । थके तो हम थे ही तो तुरंत ही निद्रा देवी के आधीन हो गये । (विडियो)

आज 18 तारीख थी मई क, एडम हमें प्रीटोरिया घुमाने वाला था । मेरी जब सात बजे आँख खुली तो बाकी सब लोग उठ कर चाय पी चुके थे । यू एस के हिसाब इस वक्त रात का डेढ बजा था । मैने चाय पी और बिस्किट खाया जिसे यहाँ और यूएस में भी कुकी कहते हैं । नाश्ते में एडम को पोहे खाने थे । हम खास यू एस से उसके लिये लेकर आये थे । तो सुहास नें पोहे बनाये, एमी ने ऑमलेट और चाय । मैने तथा बाकी लोगों ने तैयार होने और खाने का काम किया । साढे ग्यारह बजे हम लोग निकले प्रीटोरिया घूमने ।
सबसे पहले हम यूनियन बिल्डिंग देखने गये । ये यहाँ का राष्ट्रपती भवन है । यह भी उसी आर्किटेक्ट ने डिझाइन किया है जिसने हिंदुस्तान का राष्ट्रपती भवन किया है । क्यूं न हो दोनों के मालिक तो वही ते गोरे अंग्रेज़ साहब । इसके साथ ही एक सुंदर पार्क था और दोनों के बीच सडक के फुटपाथ पर ठेले टाइप दुकानें । मालाएं, इयर रिंग्ज और बहुत से शो पीस बिक रहे थे हमने भी की थोडी खरीदारी । रास्ते में हमने प्रीटोरिया यूनिवर्सिटी, इंडियन हाय कमिशन और दूसरे देशों के दूतावास देख सच मानो चाणक्यपुरी की याद आ गई ।
इसके बाद सौ साल पुराने एक कैफे में गये कैफे-रिचे नाम के । यह पूरे दक्षिण अफ्रीका का सबसे पुराना कैफे है । यहाँ कॉफी बोल में पेश की जाती है कप में नही । कॉफी बढिया थी । सैंडविचेज और मफिन्स भी खाये । यहाँ एडम ने हमें सावधान कर दिया था कि सडक पर कैमरा, पर्स आदि बाहर न निकालें, छिन सकता है । तो हमने कैफे में बैठ कर ही तस्वीरें खींची । (विडियो)

घर आये तो हमने खाना बनाया । एडम को भारतीय खाना खाना था और उसके एक दोस्त क्रिस जो भारतीय मूल के हैं पर यहीं पले बढे हैं अपनी दो बेटियों के साथ आने वाले थे । खाने से पहले एडम, सुहास और विजय को, थाइ मसाज करवाने ले गया । ऱात को क्रिस अपनी बेटियों के साथ आये उनके साथ खूब गप शप हुई । उन्होने ही हमें बताया कि कहा कहां जाना चाहिये । रात को जल्दी सोये सुबह जल्दी उठना था । कल हमें जाना था विक्टोरिया फॉल्स ।
(क्रमशः)

13 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

अगली कड़ी की प्रतीक्षा.

Suman ने कहा…

वीडियो मधे गुलाब खुपच सुंदर आहेत हो,
आणी मागुन आवाज.....इकडे बघ,,, वंडरफुल ...
सुंदर फुलांकरीता होता का .......... :)
मजाक करीत होते खुप चांगली पोस्ट ..........
लग्नाच्या वाढ़ दिवसाची शुभेच्छा !

BrijmohanShrivastava ने कहा…

संस्मरण पढा भी और घर बैठे देखा भी ।

kshama ने कहा…

Aapka prawas warnan ek alag duniya me le jata hai....lagta hai,padhte hee rahen....khatm na ho!
Kharach,pharach sundar!

Vaanbhatt ने कहा…

आपके सौजन्य से साऊथ अफ्रीका दर्शन हो जायेगा...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोमांचक होने वाली है आगामी यात्रा।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

@साउथ अफ्रीकन एयर लाइन का विमान अच्छा है सीटों के बीच थोडी ज्यादा जगह है इकोनोमी क्लास में भी ।

यहां तो मेरी टांगे सीधी नहीं होती,जकड़ जाती हैं। साउथ अफ़्रीकन एअरलाइंन यहां भी चलवाईए।भले ही मनोरंजन न हो। टांगे सिकंजे से तो बाहर निकलेंगे।:)

@ये यहाँ का राष्ट्रपती भवन है । यह भी उसी आर्किटेक्ट ने डिझाइन किया है जिसने हिंदुस्तान का राष्ट्रपती भवन किया है ।

गुलामी का एक प्रतीक वहाँ भी है।

@यहाँ एडम ने हमें सावधान कर दिया था कि सडक पर कैमरा, पर्स आदि बाहर न निकालें, छिन सकता है ।

भारत जैसे ही हालात हैं,अंग्रजों द्वारा राज किए गए देशो में।

बढिया यात्रा चल रही है। अगली कड़ी के इंतजार में।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत रोचक और अच्छी चल रही है यात्रा .....आगे का इंतजार ....

mridula pradhan ने कहा…

aapke sath chalna bahut achcha laga.

Asha Joglekar ने कहा…

सुमनताई, गुलाबाची फुलं राजू च्या घरी लागली होती .रुचिका ची मेहनत . आम्ही दोघंही इतके खूष झालो फुलं बघून कि फोटो काढल्या शिवाय राहवलं नाही. अन सर्वांना दाखवल्या शिवाय ही . शुभेच्छां बद्दल खूप आभार .

Asha Joglekar ने कहा…

ललित जी लगता है आपने सब अच्छे से पढा है धन्यवाद । काश आपकी इच्छा पूरी कर पाती ।

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर रोचक धाराप्रवाह यात्रा वर्णन 'विडियोंज '
के माध्यम से पढ़ना और देखना अच्छा लगा.
मन रम सा जाता है.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

P.N. Subramanian ने कहा…

अब लगता है वहां जाने की जरूरत ही नहीं है. इतना विस्तृत वर्णन.