रविवार, 13 मार्च 2011
चलते ही जाना- ३ - गणपतीपुळे
सुबह ५ बजे उठकर चाय पीकर नहा धो कर तैयार हुए । सात बजे ठीक निकलना जो था हमारे टीम लीडर प्रकाश समय के एकदम पाबंद सात मतलब पौने सात बजे वे दोनो तैयार होकर बाहर खडे मिलते विजय गाडी के साथ सामान लोड करने को तैयार, तो जो भी आता उसे यही लगता कि देर हो गई शायद । तो निकल पडे चाय भरवा ली थी २५ कपी थर्मास में । ब्रेकफास्ट रास्ते में करना था पोहे या वडा पाव । हम सेटल हुए और बस चल पडी तो मैने कहा चलो अंताक्षरी खेलते हैं पर सब ने मेरी बात काटने की ठान रखी थी ।
तो जवाब आया, नही।
मैने कहा हाँ ।
हाँ क्या हाँ, अभी नही खेलना ।
नही तो मत खेलो मेरी बला से ।
समझा करो अभी तो नाश्ता भी नही किया, कणकवली में नाश्ता करेंगे फिर खेलेंगे ।
गणपति बाप्पा देखना इनको ।
हमारे संवाद सुन कर लगा कि ये तो गद्य़ अंताक्षरी हो गई और हम खूब हंसें ।
फिर कणकवली में वडा पाव का नाश्ता किया और लतिका ने जोक सुनाया कि वट पौर्णिमा के दिन औरतें व्रत रखती हैं और दिन भार वडा पाव, वडा पाव करती रहती हैं । (वडा पाव माने “हे वट वृक्ष मुझे प्रसन्न हो ।“ ) तो हम हंसते हंसाते चलते जा रहे थे ।
पहले हमें जाना था गणपतिपुळे, यहां के गणपतिजी समुद्र के किनारे विराजे हैं । हमारा रास्ता रत्नागिरि होकर ही जाता था । रत्नागिरि ४ घंटे और फिर करीब एक घंटा गणपतिपुळे । हमारे एक रिश्तेदार मालगुंड में रहते थे उनसे हमने अच्छी खानावळ के बारे में पूछा था उन्होने बताया । उन्हें हमारी पसंद बता दी थी । उन्होने कहा कि आप एमटी डी सी कॉटेजेज में रुके हो तो वहां से पास ही भाऊ जोशी का रेस्टॉरेन्ट है वहां आपको अच्छा खाना मिलेगा । जो चाहिये उन्हें पहले ही बता दें तो वे तैयार रखेंगे तो हमने जोशी जी से सम्पर्क कर के उन्हे हमारा प्लान तथा पसंद बता दी थी । (विडियो देखें )
कोकण के सुंदर रास्ते पार करते हुए हम करीब दो बजे पहुंचे एम टी डी सी । वहां ऑफिस में बात कर के हमारे कॉटेजेज की चाबियाँ ले लीं, सामान रखा और चल पडे खाना खाने । भूख जो लगी थी बहुत । रेस्टराँ अच्छा था और वरायटी भी बहुत थी मराठी, पंजाबी गुजराती सब तरह का खाना था । मोदक भी थे और सोल कढी भी । खा पी कर बाहर आये तो वहीं रेस्तरॉं के बाहर मेंगो-शेक पाउडर मिल रहा था वह खरीदा । बाहर छोटा मोटा हाट था वहां घूमें चीजें देखीं फिर अपने ठिय्ये पर आराम करने चले गये । शाम को मंदिर गये । यह थोडे ही दूर थी पर रास्ता ऊबड खाबड था तो हम बस से ही गये ।
हरे भरे नारियल और ताड के पेडों के झुरमुट में यह करीब हजार साल पुराना मंदिर स्वयंभू है । स्वयंभू का अर्थ है कि यह मूर्ती गढी नही गये वरन ऐसी ही पाई गई है जिसे भक्तों नें स्थापित कर यहां मंदिर बनाया । (विडियो देखें )
यहां प्रति वर्ष लाखों की संख्या में यात्री यहां आते हैं और दर्शन कर अपने आप को धन्य मानते हैं । पुळे मतलब रेत के टीले (सैंड ड्यून्स ) रेतीले किनारे का गणपती इसी से गणपती पुळे । इन ड्यून्स के साथ खेलता समुद्र का नीला पानी, लहराती हवा और इसके साथ बलखाते नारियल और ताड के वृक्ष एक बहुत ही सुंदर दृष्य की सृष्टी करते हैं । यहां के समुद्र में तैरना मना है । यह काफी खतरनाक माना जाता है । मंदिर के अंदर गणपति के दर्शन कर के मन प्रसन्न हो गया ।
ओम नमस्ते गणपतये,
त्वमेव प्रत्यक्षम् तत्वमसी,
त्वमेव केवलं कर्ता सी
त्वमेव केवलं धर्ता सी
त्वमेव केवलें हर्ता सी
त्वमेव सर्वम् खल्विदम् ब्रम्हा सी
मन में गूंज उठा ।
मंदिर में घूम कर प्रदक्षिणा नही कर सकते प्रांगण के बाहर से करनी पडती है जिसमें एक से डेढ घंटा लग जाता है । हमने तो वह नही किया । थोडी देर समंदर को देखते रहे पर वहां भीड बहुत थी । फिर हम थोडा घूम घाम कर वापिस आये। हमें तो बापट जी के यहां, जो मेरे छोटे भाई मिलिंद के साडू साहब हैं, खाना खाने जाना था वे हमें एम टी डी सी के गेट पर लेने आ गये थे । बाकी लोग वापिस कमरों में गये ।
बापट जी मालगुंड में रहते हैं मिलिंद भी यहीं शिफ्ट हो रहा है एप्रिल में । यहां मराठी के प्रसिध्द कवि केशव सुत का स्मारक है । मिलिंद ने कहा था कि हम बापट जी के साथ जा कर उसका बना हुआ घर देख कर आयें, तो बापट जी ने पहले हमें मिलिंद का घर दिखाया फिर अपना दिखाने से पहले हमें समंदर पर ले गये एकदम अनछुआ किनारा । केकडों की ऐसी अद्भुत चित्रकारी देखी कैमरा हाथ में ना होना बहुत खला । वहां उस क्वांरे समुद्रतट को देख कर मन बहुत ही प्रसन्न हो गया फिर घर गये । बापट जी ने तो अच्छा खासा बगीचा बना लिया है उसमें नारियल, काजू, और कोकम के पेड दिखाये । एक बिल्ली घूम रही थी पता चला एक नही दो हैं । कोकण में सांप बहुत निकलते हैं और जहरीले भी होते हैं इसलिये बिल्लियां । बिल्ली सांपों को खाती है यह हमें यहीं पता चला । बापट जी ने बढिया खाना खिलाया । हमने उनसे कहा कि हमें कल सुबह ही निकलना है तो वे हमें रात में ही हमारे ठिकाने पर छोड दें । जाते हुए अलका ने मुझे दो बडी बडी कौडियां दीं जो उसने खुद समंदर के किनारे से पाईं थीं । रात को घर (आज के लिये घरj ) आये बापटजी के साथ , प्रकाश के कमरे में टी वी चल रहा था थोडी देर वहां बैठ कर फिर अपने कमरे में, और आनंद मंगल ।
कल ही हम यहां से निकलने वाले थे हेदवी होते हुए हरि-हरेश्वर के लिये । (क्रमशः)
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21 टिप्पणियां:
Can't see video due to problem with broadband. Please post some stills.
तुज़ मागतो मी आता, मज़ द्यावे एकदंता…"
ऐकून फ़ार बरं वाटलं…
कोंकण फ़िरायची, गणपती पुळे आणि अंबे ज़ोगाई बघायची खूच इच्छा आहे… पण
तुमच्या मुळे थोड़ं बघायला मिळालं… आभार।
गणपति पुळे मनोरम स्थान है,मैने दर्शन किए हैं और समुद्र में नहाया भी हूं। वहाँ एक बोर्ड पर समुद्र में डूबने वालों के आंकड़े लिखे हैं।
वीडियो देखकर याद ताजा हो गयी।
आभार
...गणपति पुळे बहुत ही सुंदर स्थान है...यहां के समुद्र स्नान का मजा कुछ और ही है!..यही से पास ही में -नागोठाणा बे- मेरा जन्मस्थान है इसलिए भी यह जगह मेरे लिए खास है!...धन्यवाद आशाजी.कि आप ने इस जगह के दर्शन करवाए!
कोकण का पूरा क्षेत्र ही सुन्दर है।
सुन्दर शब्द चित्रण.
अच्छा लगा गणपति पुले यात्रा वृत्तांत
केकड़ों की चित्रकारी एक मौलिक कान्ट्रीब्यूशन हो सकता है ! :)
itni sunder jankari dene ke liye aabhar....
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
....मै यहीं पर हूं आपने बुलाया और फिर हाजिर हो गई!....होली की ढेरों शुभकामनाएं!
रोचक संस्मरण ...आनंद आ गया जानकार .....आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें
मेरे गूगल ब्लॉग पर आपकी टिप्पणियों का अभिनंदन है | कृपया वहाँ पधारकर अनुगृहीत करें |
धन्यवाद |
रोचक संस्मरण है सुमन जी.
रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.
बढ़िया चल रहा है गणपति पुले यात्रा वृत्तांत। हैप्पी होली
नेह और अपनेपन के
इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
rochak sansmaran ,holi parv ki dhero badhai .
aasha tai,
holi ki hardik shubhkamanaye..............
गणपति पुले यात्रा वृत्तांत बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने.....आभार।
चित्र भी बहुत अच्छे हैं।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें .
bahut hi manoranjak tareeke se likhtin hain aap....har baat ko.behad sundar sansmaran.
आपकी मेहनत फलीभूत हुई है आनंद आ गया. मेरे लिए यह सब नया और मनोरम लगा ! सादर !
aaj sagali pravas varnan vachun aani pahun jhali,video pan khup chan aahet,sagali pravas gatha sunder aahe,pan ganpati pule khup khup aavadle.ajun me pratyaksha pahile nahi,pan vachun chan vatle.surekhhhhhhhhhhhh.
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