अपने आस पास के परिवेश में मौजूद विसंगतियों और कटु सच्चाईयों से रू-ब-रू कराती, भावपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति, जो किसी को भी सोचने के लिए विवश कर दे. आभार. सादर, डोरोथी.
आम आदमी के लिये ये देश एक प्याज है ।परत दर परत एक स्कैम आदर्श सोसायटीउसे हटाओ तो एक और स्कैम सी डब्लू जीउसके नीचे एक और स्कैम 2 जीउसके भी नीचे एक और एल आय सी परतें छीलते जाओ स्कैम पाते जाओशेष कुछ ना बचेगा बचने के लिये कुछ छोडेंगे तब ना .......
आशा जी, प्याज़ की परतों से स्कैम की अभिव्यक्ति को कितनी खूबसूरती से आपने निभाया है उसका जवाब नहीं ! कविता सच्चाई को प्रक्षेपित करती हुई नए बिम्ब के अलंकरण से निखरी हुई है ! छोटी,सुन्दर, और मारक रचना के लिए आप बधाई की पात्र हैं ! -ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आदरणीय आशा जी! व्यवस्था पर किया गया प्रस्तुत व्यंग्य अच्छा लगा। बहुत सटीक लिखा है आपने। बस आपकी एक बात मुझे खटक रही है...... आपने लिखा है कि कविता मुझ जैसे आलसियों के लिये ही है......ये बात ठीक नहीं है। कविता किसी साधारण हृदय, साधारण मानस का स्फुरण नहीं होती। आप लिखती हैं, रचती है, सृजन की क्षमता, शक्ति आपमें निहित है, तो इस बात को आप अवश्य जानती होंगी, अनुभव करती होंगी। काव्य-लेखन एवम् काव्यपाठन के लिये आवश्यक है कि रचनाकार के हृदय में रसात्मकता,भावनात्मकता हो तथा पाठक, श्रोता, भावक, सहृदय के हृदय में उसको समझने की, ग्रहण करने की, उस रसमयता के चर्वणा की क्षमता हो। काव्य का वास्तविक आनन्द तभी आता है, या यो कहें कि काव्य की पूर्णता तभी होती है, जब उसका पाठक उसमें निहित रस का आनन्द ले सके। इसलिये कविता आलसियों का कार्य नहीं अपितु एक प्रबुद्ध एवं रचनात्मक मस्तिष्क की सृष्टि है। आप अपने इस लेखन द्वारा अनगिनत व्यक्तियों उपकृत करती हैं।
इक दम सही कहा है. ये सब देख-सुन कर कभी तो ऐसा लगता है इनके खिलाफ इक़ युद्ध की ज़रूरत है फिर लगता है कि क़ानून और संविधान भी है! -- पंख, आबिदा और खुदा के लिए
bilkul sahi jagah sahi shabdon mein vaar kiya hai,gazab aur mast.asha ji. hum thik hai,asha ji ,aur aap ko bhi sunder swasthya ki kamna karte hai.jeevan kuch vaysta chaal raha hai so blog par aana bahut ho gaya hai,magar koshish jarur karenge ke phir kuch likhu. aaplyala xmas chya shubhechya aani navin yenarya varshachya suddha.sadar mehek.
37 टिप्पणियां:
सुन्दर व्यंगात्मक रचना.
प्याज रुलाता तो है ही...लेकिन आज कल महंगाई के आंसू रुला रहा है!....बहुत बढिया अंदाज!
sathya hai..........
अपने आस पास के परिवेश में मौजूद विसंगतियों और कटु सच्चाईयों से रू-ब-रू कराती, भावपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति, जो किसी को भी सोचने के लिए विवश कर दे. आभार.
सादर,
डोरोथी.
Parat parat dar parat pyaaz chheelte jayen...aur ant me nirwaan kee sthiti!!!Shesh kuchh nahee!
और जब इन सबसे प्याज का दाम बढ़ जाता है तो सरकारें गिर जाती हैं।
गरीब के लिये प्याज़ की एक गाँठ से बडी क्या चीज़ हो सकती है
bahut achchi lagi.
बहुत सुंदर ढंग से आपने व्यंग्य किया है।
ओह! प्याज आप पर मानहानि का दावा न कर दे! :)
अब तो प्याज से भी आंसू नहीं निकलते.. ऐसा बना दिया है इन नेताओं ने..
बेहतरीन प्रस्तुति ...प्याज येहा भी रुला रहा है. अच्छा व्यंग है स्कैम पर. वैसे भी प्याज हकीकत में भी रुला रही है ४०/- के रेट से
एकदम सटीक. सही बात है. देश आज इसी तरह के धंधों का पुलिंदा हो चला है...
प्याज़ को प्रतीक बनाकर कितना सुन्दर व्यंग्य किया है इन भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं पर.
परतें हटाते हुए आँख में आंसू तो आ ना रहे किसी के भी :)
सामयिक और संक्षिप्त , मगर सब कुछ कह दिया ! हार्दिक शुभकामनायें !
आशा जी,
बेहद सटीक अवलोकन । समाज के ठेकेदार , देश को पर्त दर पर्त छील रहे हैं।
आभार !
अच्छा व्यंग्य।...पर्त दर पर्त छीलने वालों को भी अंत में कुछ नहीं मिलेगा।
बहुत सुंदर ढंग से आपने व्यंग्य किया है
परतें छीलते जाओ स्कैम पाते जाओशेष कुछ ना बचेगा बचने के लिये कुछ छोडेंगे तब ना ।
bahut sahi bahut steek.... achha laga yeh vyang...
ये नेताओं का प्याज है .... अभी तो कितनी परतें बाकी हैं ...
आम आदमी के लिये ये देश एक प्याज है ।परत दर परत एक स्कैम आदर्श सोसायटीउसे हटाओ तो एक और स्कैम सी डब्लू जीउसके नीचे एक और स्कैम 2 जीउसके भी नीचे एक और एल आय सी परतें छीलते जाओ स्कैम पाते जाओशेष कुछ ना बचेगा बचने के लिये कुछ छोडेंगे तब ना .......
कौन सा देश आशा जी आपका या हमारा ......?
प्याज का बिम्ब भी खूब लिया .....
आशा माँ,
नमस्ते!
चोट कर रही हैं आप तो. आंसू भी जानता के आने हैं!
छीलते रहो...
आशीष
---
नौकरी इज़ नौकरी!
बहुत सुंदर रचना.हार्दिक शुभकामनायें !
आशा जी,
प्याज़ की परतों से स्कैम की अभिव्यक्ति को कितनी खूबसूरती से आपने निभाया है उसका जवाब नहीं ! कविता सच्चाई को प्रक्षेपित करती हुई नए बिम्ब के अलंकरण से निखरी हुई है !
छोटी,सुन्दर, और मारक रचना के लिए आप बधाई की पात्र हैं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आदरणीय आशा जी! व्यवस्था पर किया गया प्रस्तुत व्यंग्य अच्छा लगा। बहुत सटीक लिखा है आपने।
बस आपकी एक बात मुझे खटक रही है......
आपने लिखा है कि कविता मुझ जैसे आलसियों के लिये ही है......ये बात ठीक नहीं है। कविता किसी साधारण हृदय, साधारण मानस का स्फुरण नहीं होती। आप लिखती हैं, रचती है, सृजन की क्षमता, शक्ति आपमें निहित है, तो इस बात को आप अवश्य जानती होंगी, अनुभव करती होंगी। काव्य-लेखन एवम् काव्यपाठन के लिये आवश्यक है कि रचनाकार के हृदय में रसात्मकता,भावनात्मकता हो तथा पाठक, श्रोता, भावक, सहृदय के हृदय में उसको समझने की, ग्रहण करने की, उस रसमयता के चर्वणा की क्षमता हो। काव्य का वास्तविक आनन्द तभी आता है, या यो कहें कि काव्य की पूर्णता तभी होती है, जब उसका पाठक उसमें निहित रस का आनन्द ले सके।
इसलिये कविता आलसियों का कार्य नहीं अपितु एक प्रबुद्ध एवं रचनात्मक मस्तिष्क की सृष्टि है।
आप अपने इस लेखन द्वारा अनगिनत व्यक्तियों उपकृत करती हैं।
इक दम सही कहा है. ये सब देख-सुन कर कभी तो ऐसा लगता है इनके खिलाफ इक़ युद्ध की ज़रूरत है फिर लगता है कि क़ानून और संविधान भी है!
--
पंख, आबिदा और खुदा के लिए
सही कहा...एकदम सही...
सचमुच एक पर दूसरा परत चढ़ा हुआ यह प्याज भी है जो स्वाद तो क्या देगा,रुलाने पर ही आमदा है..
bilkul sahi jagah sahi shabdon mein vaar kiya hai,gazab aur mast.asha ji.
hum thik hai,asha ji ,aur aap ko bhi sunder swasthya ki kamna karte hai.jeevan kuch vaysta chaal raha hai so blog par aana bahut ho gaya hai,magar koshish jarur karenge ke phir kuch likhu.
aaplyala xmas chya shubhechya aani navin yenarya varshachya suddha.sadar mehek.
बढ़िया व्यंग्य ...शुभकामनायें आपको !
बहुत दिन से कुछ लिख क्यों नहीं रहीं ...?
प्याज तो आसमान का तारा बन गया है आशा जी!.....अपनी भारत-भूमि पर खडे हो कर आसमां की तरफ देखिए...
वाह सुन्दर कटाक्ष!!
आजकल तो बिना काटे ही प्याज रुला रहा है :)
"एक लम्हां" पढने ज़रूर आएं ब्लॉग पर..
आभार
मजा आ गया ।
जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
सिलसिला जारी रखें ।
आपको पुनः बधाई ।
साधुवाद । साधुवाद ।
Bahut Khubsurat Abhivyakti.
क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
आशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
वाह वाह आशा जी प्याज़ के बहाने सारी असलियत बतादी देश की ,गुड
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