कभी तो ये आंगन छिडकती है बारिश
कभी पेड-पौधे धुलाती है बारिश ।
कभी तो झमाझम बरसती है बारिश
और मोर छमाछम नचाती है बारिश ।
बादल के ढोलक बजाती है बारिश
कभी बिजली में नाचती है ये बारिश ।
पवन में कभी सनसनाती है बारिश
कभी घोर गर्जन सुनाती है बारिश ।
कहीं आँसुओं को छुपाती है बारिश
तो चेहरे पे खुशियाँ खिलाती है बारिश ।
घटा में कभी घिर के आती है बारिश
कभी धूप मे मुस्कुराती है बारिश ।
कहीं नन्हे मुन्ने रुदन में है बारिश
बाढ आये तो सबके सदन में है बारिश ।
रास्तों बाजारों में पानी है बारिश
इन्सां की मुश्किल बढाती, ये बारिश ।
कभी आंधियों सी उखडती, ये बारिश
गाँवों, घरों को उजडती ये बारिश ।
कभी खेत में लहलहाती है बारिश
कभी दूर प्रीतम सी रहती है बारिश ।
38 टिप्पणियां:
सुप्रभात आशा जी, लगता है बारिश में इस बार बहुत नहा लिये...बारिश से सराबोर खूबसूरत रचना के लिये बधाई ।
अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ....
मुस्कुराना चाहते है तो यहाँ आये :-
(क्या आपने भी कभी ऐसा प्रेमपत्र लिखा है ..)
(क्या आप के कंप्यूटर में भी ये खराबी है .... )
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
बहुत अच्छा लिखा है आपने। किसी के लिये ये बारिश वरदान है तो किसी के लिये अभिशाप।
on a lighter note, इस पोस्ट को ’आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है’ यह गाना सुनते हुये पढ़कर देखें, शायद एक अलग ही रंग उभरे = बूंद कभी मिलती नहीं, प्यास कभी बुझती नहीं, और कभी रिमझिम .......।
आभार।
घटा में कभी घिर के आती है बारिश
कभी धूप मे मुस्कुराती है बारिश ।
कितनी प्यारी-प्यारी है बारिश। इन पंक्तियों ने खास आकर्षित किया।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
शैशव, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की कविता पढिए!
...बारिश के सुहाने मौसम का सुंदर वर्णन!
!...बारिश में भीगने का मजा आ गया!
कभी शब्दों में ढल जाती है बारिश ..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...
बारिश के अनेकों रूप को लिखा है आपने ... बहुत खूब ....
कहीं आँसुओं को छुपाती है बारिश
तो चेहरे पे खुशियाँ खिलाती है बारिश ।
घटा में कभी घिर के आती है बारिश
कभी धूप मे मुस्कुराती है बारिश ।
वाह...बारिश के कितने रूप पेश कितने हैं आपने.
बहुत अच्छा प्रयास...बधाई.
फिलहाल तो मुश्किलें ही बढ़ा देती है. ठंढ हो जाती है :(
अच्छी प्रस्तुति.
कभी बारिश की पहली बूंद का इंतजार रहता था। अभी तो दिल्ली में बारिश उस अतिथि की तरह है जिसे लोग कहते हैं कि तुम कब जाओगे। बारिश को आपने शब्दों में बखूबी बांधा है।
कहा सच है
सुन्दर है बारिश
vah ji bahut sunder maja aa gaya padhkar
अच्छी पंक्तिया, बहुत अच्छा लिखा है आपने। ......
एक बार पढ़कर अपनी राय दे :-
(आप कभी सोचा है कि यंत्र क्या होता है ..... ?)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html
बारिश से सराबोर खूबसूरत रचना लिखी है आपने....
बेहतरीन भिगाया! :)
हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
वाह...हमें भी बारिश का आनंद आ गया !!
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कभी खेत में लहलहाती है बारिश
कभी दूर प्रीतम सी रहती है बारिश ।
खूबसूरत रचना के लिये बधाई ।
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घटा में कभी घिर के आती है बारिश
कभी धूप मे मुस्कुराती है बारिश ।
कमाल की रचना है बारिश पर आपकी...कितने ही रंग बिखेर दिए हैं आपने...वाह...आनंद आ गया..
नीरज
यहाँ भी भिगोये जा रही है .....
पर मन है की भीगता ही नहीं .....
मुबारक ......
ये भीगा मौसम .......!!
इन्सां की मुश्किल बढाती, ये बारिश ।
कभी आंधियों सी उखडती, ये बारिश
गाँवों, घरों को उजडती ये बारिश ।
कभी खेत में लहलहाती है बारिश
कभी दूर प्रीतम सी रहती है बारिश ।
बारिश की व्याख्या के क्या कहने...बहुत खूब लिखा है...
http://veenakesur.blogspot.com/
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...
आनंद आ गया बारिश का!!
बारिश पर अच्छी बौछार की भावनाओँ की ।
asha tai barish ka sunder varnan kiya hai..........
Kabhi man bhi to bhigoti hai barish....bheeg gaye :-)
वाह खूब बारिश करवाई आपने.
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
बहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
कभी खेत में लहलहाती है बारिश
कभी दूर प्रीतम सी रहती है बारिश ।
क्या बात है...बारिश पर बहुत ही प्यारी सी रचना लिख डाली...बहुत ही सुन्दर
बारिश की बूंदों में ख़ूबसूरती से भीगी हुई
आपकी ये रचना मन के कोनों को सराबोर कर गयी
शब्द-शब्द आपने बारिश से सम्बंधित
सभी पहलुओं को उजागर कर दिया है
आभार .
वाह बारिश के इतने आयाम , पढ़कर अच्छा लगा ।
कहीं आँसुओं को छुपाती है बारिश
तो चेहरे पे खुशियाँ खिलाती है बारिश ।
घटा में कभी घिर के आती है बारिश
कभी धूप मे मुस्कुराती है बारिश
पुनः पढ़ा...और भी अच्छी लगी...आभार
. ।
इस शब्दों की बारिश ने हमे भी भिगो दिया। बहुत सुन्दर। बधाई।
बारिश के अच्छे और बुरे दोनों पक्षों को बताती हुए अच्छी कविता .उत्तर भारत में तो आजकल बारिश कहर ढाए हुए है.
कहीं आँसुओं को छुपाती है बारिश
तो चेहरे पे खुशियाँ खिलाती है बारिश ....
बहोत खुब...जितनी बारिश पसंद है उतनीही यह कविता भी पसंद आयी...
-एक बारिश का दीवाना
hmm..boond boond shbd chamak rahe hain!
sbhi rang dikha diye aapne barish ke hmare bhi tan mn ko bhigo gai ye
"BARISH"
बारिश की तस्वीर के दोनों पहलू आपने दिखाए . बहुत अच्छा वर्णन किया है . बधाई और शुभकामनाएं इन पंक्तियों के साथ-
ये अनमोल अमृत है, भाई , इसे बचाना कब सीखेंगे .
कुदरत के तोहफे को नदियों -झीलों में सजाना कब सीखेंगे !
समझ न पाए मोल इसका , तभी कहर बन जाता है .
इसके सैलाबों में जीवन सच खंडहर बन जाता है !
खूबसूरत रचना के लिये बधाई ।
वाह! सुंदर वर्षा गीत।
..बधाई।
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