बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

जलते सवालात



दिल में ऐसे बसा रहा कोई
दिल को मंदिर बना गया कोई ।

किसने की आपसे कोई फरियाद,
कैसे शिकवा, गिला हुआ कोई ।

मैने माना कि कह के आना था,
(पर) आपसे क्यूँ मिला किया कोई ।

दाल महंगी है सब्जी जहरीली,
फिर तो फाँका किये रहा कोई ।

जो ये सरकार करे फिक्रे-अवाम
फिर तो जादू चला गया कोई ।

बदले हालात के न लेना तुम सपने,
उनको जालिम चुरा गया कोई ।

यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई ।

21 टिप्‍पणियां:

mehek ने कहा…

बदले हालात के न लेना तुम सपने,
उनको जालिम चुरा गया कोई ।

यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई
waah bahut khub kahi,sunder rachana

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

दाल महंगी है सब्जी जहरीली,
फिर तो फाँका किये रहा कोई ।

जो ये सरकार करे फिक्रे-अवाम
फिर तो जादू चला गया कोई ।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आज की सच्चाई !

seema gupta ने कहा…

यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई
" एक दम सच्चे हालात बयाँ करती पंक्तियाँ सुन्दर"
regards

Alpana Verma ने कहा…

दाल महंगी है सब्जी जहरीली,
फिर तो फाँका किये रहा कोई .

-बहुत सही..

खूब कही है ग़ज़ल आशा जी आप ने.

आभार .

P.N. Subramanian ने कहा…

आजकल के हालात! समझ में नहीं आ रहा की यह कहाँ पहुंचेगा. सुन्दर रचना. आभार

संगीता पुरी ने कहा…

शीर्षक के अनुरूप रचना .. सचमुच जलते सवालात हैं ये !!

अजय कुमार ने कहा…

ye jalte sawalat bahut jayaj hain

अनिल कान्त ने कहा…

बहुत अच्छी रचना लिखी है आपने

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई ....
bilkul sahi.....

bahut hi sunder rachna...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत अच्छी रचना लिखी है आपने,एक दम सच्चे हालात बयाँ करती पंक्तियाँ, सुन्दर !!

गौतम राजऋषि ने कहा…

एक बेहतरीन रचना मैम..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई ......
isi me dahakte hue umra bit jati hai,bahut alag se ehsaas

शरद कोकास ने कहा…

शुरू के दो शेर पढकर तो लगा प्रेम की कोई रचना है लेकिन दाल महंगी है सब्जी जहरीली,
फिर तो फाँका किये रहा कोई ।
यह तो खतरनाक रचना है ।

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

"यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई ।"

वाह वाह, और मेरे ब्लाग पर पहले कमेन्ट के लिये शुक्रिया... :)

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

अच्छे भाव...... साधुवाद..

शोभना चौरे ने कहा…

ashaji
sshkt rchna .jvalnt prshn liye .
fir bhi vo subh kbhi to aayegi
abhar

Asha Joglekar ने कहा…

निर्मला कपिला जी ने लिखा है
बहुत सुन्दर कविता है आखिरी चार पँक्तियाँ तो दिल को छू गयी हैं बहुत बहुत शुभकामनायें।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

दाल महंगी है सब्जी जहरीली,
फिर तो फाँका किये रहा कोई .
...bahut sahi

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बदले हालात के न लेना तुम सपने,
उनको जालिम चुरा गया कोई ।

बहुत सुन्दर रचना.

M VERMA ने कहा…

यही जीवन है तो, ऐसा ही क्यूँ है
जलते सवालात दे गया कोई ।
अक्सर ये सवाल आते है कि क्या यही जिन्दगी है
बहुत सुन्दर रचना