बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

फॉल



जीवन बदलाव का नाम है यहां नित्यप्रति सब कुछ बदलता रहता है । चाहे हम इसे रोज़ के रोज़ महसूस ना करें । सब कुछ एक चक्र की भांति चलता रहता है । ऋतु बदलते हैं ऋतु के अनुसार ही हम और हमारे आसपास का वातावरण भी बदलता रहता है । गरमी पडती है, फिर थोडी ज्यादा, फिर बहुत ज्यादा जब मोगरा और रात की रानी शाम से महकते हैं । जब लगने लगता है कि ये गर्मी कभी खत्म भी होगी या नही तभी काले काले बादल आते हैं और होती है झमाझम बारिश, जो तन और मन को प्रसन्न कर देती है । गरमी में लकीर सी लगने वाली नदियां बरसात में पूरे उफान पर आ जाती हैं । चारों और हरियाली छा जाती है । जब गीले कपडे और सीलन से तंग आ जाते हैं तो आती है मन भावन शरद ऋतु, जब गुलाब और गुलदावरी और डेलिया अपनी सुषमा बिखेरने लगतीं हैं । कहते हैं चाँद सबसे सुहाना शरद पूर्णिमा पर ही लगता है ।
इसी शरद ऋतू को यहां अमेरीका और शायद और भी ठंडे (टेम्परेट) प्रदशों में कहते हैं फॉल यानि कि पतझड, पर पतझड हमारे यहाँ विरह का प्रतीक है ।
यहां फॉल में पेडों के पत्ते अपने रंग बदलने लगते हैं हरे हरे पत्तों के रंग में यकायक बदलाव आने लगता है । ये लाल ,पीले, नारंगी या गहरे जामुनी या मरून हो जाते हैं । और विभिन्न पेडों के ये अलग अलग रंग एक अभूतपूर्व दृष्य की सृष्टी करते हैं । यह सब देख कर ही अनुभव किया जा सकता है । वैसे तो घर के आस पास भी ये सब देखने को मिल जाता है पर कहते हैं वरमॉन्ट का फॉल अदभुत होता है । इस बार हमें भी मौका मिल ही गया ये नजारे देखने का । मेरी प्रिय सहेली ,सुशिला जिसकी मेरी दोस्ती तब की है जब हम दोनों महज़ 21 साल की थीं । तो सुशीला इस बार अमेरिका आई हुई थी । उसका बेटा तो 13-14 साल से अमेरिका मे है पर वो अभी पहली बार आई है । बेटे का हाल ये कि माँ बाप के लिये क्या करूं और क्या न करूं, तो वह उन्हें सब दूर घुमा रहा है । वह क्यूं कि बोस्टन में ही है जो डरहम ( अमित का गांव ) से एक डेढ घंटे के रास्ते पर है तो मैने चाहा कि वे सब यहां आयें तो बच्चों की भी जान पहचान पक्की हो जाये पर अमित और समीत (सुशीला का बेटा) ने तय किया कि हम सब वरमाँट में मिलते हैं साथ साथ घूमना और मिलना दोनो ही हो जायेगा
तो वही किया हम पहले गये बर्लिंगटन (वरमाँट) जहां लेक है शेंपलेन । सारे रास्ते बारिश होती रही पर फिर भी रंगों के नजारे तो दिख ही रहे थे । लेक के किनारे हम मिलें वे हम से पहले पहुँच कर एक क्रूज में चले गये थे पर हमारे पहुँचने के 10-15 मिनिट बाद ही हमें मिल गये ।
लेक के किनारे बैठे घूमें गपशप लगायी और रात को वहीं एक इंडियन रेस्तरां में खाना खाया । अमित की छोटी श्रेया को भी सबसे मिल कर खूब मजा आया।
। vdo start (विडिओ देखें)

रात को हम पहुँचे माँन्ट-पेलियर वहां रात को हॉल्ट किया और सुबह नाश्ते के बाद चल पडे अपने सैर पर ।
vdo 1 (विडिओ देखें)

क्या खूबसूरत रंग थे ईश्वर नें खुद ही चित्रकारी की थी तो सुंदर कैसे ना होते । होली के रंग गुलाल की तरह जैसे हल्दी कुंकुम किसी ने मुठ्ठियां भरभर कर उडाये हों । आप भी देखें और आनंद लें । vdo 2 (विडिओ देखें)

बीच में एक जगह एक कवर्ड ब्रिज भी देखा और देखे खूब सारे झरने जो इन रंगीन पहाडों की सुंदरता को चार चांद लगा रहे थे । vdo 3 (विडिओ देखें)

प्रकृती भी हमें नित नये पाठ पढा जाती है, इन सुंदर पत्तों को देख कर पता लगा कि मृत्यू के सानिध्य में भी जीवन की सुंदरता को कैसे अक्षुण्ण रखा जा सकता है । चाहे इसके बाद पत्तों को झडना ही क्यूं न पडे ।

13 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा वृतांत...घूमते रहें..घुमाते रहें और बस यूँ ही आनन्द लुटाते रहें.

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर ...ज़िन्दगी वाकई यही सच्ची है ..आप के साथ घूमते हैं हम भी आपके लफ्जों में शुक्रिया

mehek ने कहा…

fall ke ye bahut hi khubsurat lage.

sandhyagupta ने कहा…

Net connection dheema hone ke karan videos to nahin dekh payi par vivran zeevant hai.

Vipin Behari Goyal ने कहा…

आलेख एवं प्रस्तुतीकरण आकर्षक है

निर्मला कपिला ने कहा…

आaपकी इस फाल के साथ हम भी बह गये। बहुत सुन्दरता से आप वृताँत लिखती हैं+। वीडिओ नहीं देख पा रही । धन्यवाद और शुभकामनायें अगली यात्रा के लिये।

राज भाटिय़ा ने कहा…

हमारे यहां भी पतझड शुरु हो गया है, मै भी सोच रहा थ कुछ चित्र डालू, फ़िर सर्दी होगी ओर फ़िर बर्फ़ बस यह चक्कर युही चलता रहेगा..
आप ने बहुत सुंदर लेख लिखा है, चित्रभी एक से बढ कर एक, विदियो बाद मे देखेगे.
धन्यवाद

सर्वत एम० ने कहा…

मज़ा आ गया, घर बीते लेखन और विजुअल्स ने विदेश-यात्रा करा दी. आप लेखन में निपुण हैं और पाठक को बाँध लेती हैं. अगली यात्रा की अभी से प्रतीक्षा है.मज़ा आ गया, घर बीते लेखन और विजुअल्स ने विदेश-यात्रा करा दी. आप लेखन में निपुण हैं और पाठक को बाँध लेती हैं. अगली यात्रा की अभी से प्रतीक्षा है.मज़ा आ गया, घर baithe खन और विजुअल्स ने विदेश-यात्रा करा दी. आप लेखन में निपुण हैं और पाठक को बाँध लेती हैं. अगली यात्रा की अभी से प्रतीक्षा है.

Pawan Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर ...
प्रकृति के सहारे तो अपने जीवन के सत्य का सन्देश भी दे दिया...."प्रकृती भी हमें नित नये पाठ पढा जाती है, इन सुंदर पत्तों को देख कर पता लगा कि मृत्यू के सानिध्य में भी जीवन की सुंदरता को कैसे अक्षुण्ण रखा जा सकता है । चाहे इसके बाद पत्तों को झडना ही क्यूं न पडे ।"
eXCELLENT TRAVELOUGE

शरद कोकास ने कहा…

यही है जीवन का आनन्द ।

शोभना चौरे ने कहा…

आशाजी
आपके साथ हमने खूब सैर कि सचमुच बहुत ही मजा आया और ये पतझड़ का मौसम और उसका विवरण मन को छु गया |
आपके यात्रा संस्मरण और व्रतान्त बहुत प्रभावशाली है और इसका श्रेय जाता है आपकी लेखन क्षमता को |
बधाई धन्यवाद \

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

" इन सुंदर पत्तों को देख कर पता लगा कि मृत्यू के सानिध्य में भी जीवन की सुंदरता को कैसे अक्षुण्ण रखा जा सकता है । चाहे इसके बाद पत्तों को झडना ही क्यूं न पडे |"

waah ekdam sahi kaha aapne lekin hummein se kitne is dar se bach pate hain..hum sabko pata hai ek din jhadna hai bas us baat ko jhuthlate rahte hain aur sab yahi sonchte hain ki shayad wo ek 'exception' hain.. :)

rajeev joshi ने कहा…

veey good