शनिवार, 12 सितंबर 2009
घुमक्कडी-6 - सिडनी
यहाँ पर इमिग्रेशन वगैरा बिना किसी झंझट के हो गया सामान लिया और बाहर आये । टैक्सी का कोई पहले से बुकिंग नही था तो टैक्सी ली और चल पडे । यहां और ऑकलैन्ड में भी टैक्सी में तो हम छै आ नही सकते थे तो हम सुपर शटल लेते थे जिसमें 8 लोग बैठ सकते हैं और सामान एक अलग ट्रैलर में रखा जाता है । हमें जाना था Waldorff apartments, Wahroonga. ऑकलैन्ड में तो हम बिलकुल डाउन-टाउन में थे तो बसें वगैरा आसानी से मिल जाती थीं । पर ये तो सिडनी से वाहरुंगा तक डेढ घंटे की ड्राइव थी तो शहर के सारे लैन्डमार्क्स देखते हुए हम चले जा रहे थे अब अगले चार दिनों तक हमें इन्ही राहों पर चलना था । थकान तो हो रही थी पर अपार्टमेन्ट पहुंचे तो परिसर देख कर ही थकान दूर हो गई । हमारी लैन्ड-लेडी बहुत ही अच्छी थी । वह हमें लिफ्ट से हमारे अपार्टमेन्ट तक ले गईं सारा अपार्टमेन्ट दिखाया । अपार्ट मेन्ट सुंदर था सजावट इंग्लिश थी । मसलन शो केस छोटे छोटे टेबल्स राइटिंग टेबल और चेयर अलग से । सोफा सेट और बेड तो थे ही । बाहर का कॉमन एरिआ तो और भी ज्यादा खूबसूरत था । (विडिओ देखें)
किचन तो दिखा ही नही । तो लैन्ड-लेडी ने दिखा दिया । एक क्लॉजेट में था किचनेट । वहाँ क्रॉकरी ,कटलरी के अलावा एक सॉस पैन और एक बिजली की आयताकार खूब गहरी निर्लेप (नॉन स्टिक) कढाई थी, कढाई इसलिये कह रही हूँ कि दोनो तरफ पकडने के लिये कान थे । एक बिजली की केतली भी थी जो खूब काम की सिध्द हुई, सब के सब पक्के चायबाज़ जो ठहरे ।
हमारी मकान मालकिन (चार दिन के लिये ही सही पर थी तो मकान मालकिन ) ने फ्रिज़ में 10-15 छोटे पैकेट दूध के रख दिये थे और साइड बोर्ड पर चाय कॉफी चीनी भी । मन ही मन उसका शुक्रिया अदा करते हुए चाय बऩाई और पी कर राहत महसूस की । वही (मकान मालकिन) फिर हमें अपनी गाडी से इंडियन ग्रॉसरी स्टोर भी ले गईं । मै और विजय हमारे घुटनों के दर्द की वज़ह से और गाडी मे सिर्फ चार ही जा सकते थे इसलिये मै और विजय घर पर रहे और चार लोग उनके साथ हो लिये । हमने टी.वी. खोला तो देखा भारतीय विद्यार्थियों के ऊपर हो रहे हमलों के बारे में एक ग्रूप डिस्कशन हो रहा था (सामुहिक चर्चा सत्र ) । उसमे भारतीय विद्यार्थी, ऑस्ट्रेलियन पोलिस, वहां के सामाजिक कार्यकर्ता आदि थे । वहीं पता चला कि कुछ घटिया कॉलेजेस् कैसे एडवर्टाइजमेन्टस को खूबसूरत बना कर भारतीय विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं और कैसे उन्हे यहाँ आने पर सचाई का पता चलता है तो भी वे किसी और कॉलेज में दाखिला नही ले सकते क्यूंकि ये कॉलेज उन्हें दूसरी जगह जाने नही देते बंधुआ मजदूरों की तरह । वैसे ही यह भी कि अधिकतर भारतीय विद्यार्थी यहाँ परमनेन्ट रेसिडेन्सी पाने के लिये ही आते हैं और इस तरह वे ऑस्ट्रेलियाई स्टूडेन्स् के साथ नौकरियों के लिये दावेदार बन जाते हैं जिसको लोकल स्टूडेन्ट्स पसंद नही करते ( यह अंडरस्टेटमेन्ट है ) । कुकरी और सोशल वर्क फील्ड में आसानी से जॉब मिल जाते हैं ये भी पता चला ।
हम तो उस कार्यक्रम में ऐसे खो गये कि ये लोग ग्रोसरी सब्जी वगैरा ले कर आये तभी समय का पता चला । इन लोगों ने ग्रोसरी क्या खरीदी, पूरी दूकान लूट लाये थे जैसे 15 दिन यहीं रहना हो । अचार, नमकीन, बने बनाये खाने, जैसे उपमा, रोटियां, ब्रेड, पीनट बटर, चीज़, सब्जियां, दाल, चांवल, तेल, घी, चाय, चीनी, मसाले सब, चाय के लिये अद्रक भी । इन लोगों को वापस आते आते 6 बज गये थे और नींद खूब जोरों की आ रही थी । फिर भी मैने रेडी टु मेक उपमा बना कर रख दिया कि किसी को भूक लगे तो खा लेगा । और थके हुए सारे के सारे जो सोये तो साढे तीन चार बजे तक ही उठे । सुहास और प्रकाश सबसे जल्दी उठते तो चाय भी वही बनाते ।
चाय पी कर हमने तय किया कि ट्रेन लेकर डाउन टाउन जायेंगे और आज सिडनी ब्रिज और ऑपेरा हाउस देखेंगे । रात को कोई उठा नही था तो उपमा वैसा का वैसा ही था । ब्रेकफास्ट मे उपमा ही गरम कर के खाया उपमा कमाल का टेस्टी था । जयश्री ने रास्ते के लिये सैन्डविचेज़ बनाये और मैने रात के लिये सब्जी और दाल ।
फिर निकल पडी हमारी टोली। पहले नीचे ऑफिस में जाकर जानकारी ली । पता चला कि वायतारा स्टेशन हम पैदल चल कर जा सकते हैं वहीं से हमें डाउन टाउन के लिये ट्रेन मिल सकती है । तो चल पडे 1-2 1-2 करते हुए । स्टेशन वैसे तो पास ही था पर वहां जाकर पता चला कि ट्रेक रिपेयर के लिये गाडियां बंद है इस लाइन की और हमें बस से ही जाना पडेगा । तो वापिस चल कर बस स्टैन्ड तक आये । हमने पता किया कि हमें वायनार्ड जाने वाली बस लेनी चाहिये वहां से ऑपेरा हाउस सिडनी हार्बर ब्रिज पास ही है । (विडिओ देखें)
तो बस के लिये खडे रहे । जल्दी ही बस आ गई और हम सब चढ गये । टिकिट लेने लगे तो पता चला रेल यात्रियों के लिये यह मुफ्त बस सेवा थी । बोनस मिल गया जी हमें तो । करीब 1 घंटे बाद वायनार्ड पर उतरे और पैदल पैदल चलते हुए सर्क्युलर क्वे पर पहुँचे जहाँ से फेरी भी जाती थीं झू के लिये, बॉटेनिकल गार्डन के लिये और बीचेज़ के लिये भी ।
वह पता करके आगे चलते चले गये बीच में एक जगह भारत के सपेरे की तरह और साधू जैसी वेशभूषा वाल एक आदमी मजमा लगाये बैठा दिखा तो हम भी पहुँच गये देखने तो वह एक मोटे बांस की तरह का कोई बाजा सा बजा रहा था उसकी भी तस्वीरें लीं आप भी देखिये । (विडिओ देखें)
फिर एक जगह थोडा बैठ कर सुस्ता लिये और कॉफी और सैन्डविचेज़ खाये । (विडिओ देखें)
वहीं एक जगह कुछ जापानी या इन्डोनेशियन नन्स अपने केरोल्स गा रहीं थीं बहुत खुश दिख रहीं थीं सब की सब, उनकी भी तस्वीरें लीं । (विडिओ देखें)
आगे चलते चले गये तो किसी सपने सा खूबसूरत ऑपेरा हाउस नज़र आया । हम नें इसे सब तरफ से घूम घूम कर देखा पास से दूर से खूब तस्वीरें लीं । सीढियां, जो ढेर सी थीं, चढ कर ऊपर गये, रेस्टॉरेन्ट भी देखा । पर अंदर से थियेटर न देख पाये वहाँ कोई कार्यक्रम चल रहा था । (विडिओ देखें)
बहाई टेम्पल के मुकाबले यह काफी बडा लगा और है भी, कोई 1000 कमरे हैं यहाँ।
यह सिडनी की ही नही पूरे ऑस्ट्रेलिया की पहचान है । सबसे अनोखी इमारत, इंजीनियरिंग का नायाब नमूना । पर हमें तो बहाई टेम्पल ही याद आता रहा । जहां बहाई टेम्पल एक शांत प्रार्थना स्थल है, ऑपेरा हाउस अपने डांस, ड्रामा, और म्यूजिकल कार्यक्रमों के लिया जाना जाता है जो कि सारे साल चलते रहते हैं । अपनी पूरी भव्यता के साथ सिडनी हार्बर के बेनेलॉन्ग पॉइंट पर खडे इस ऑपेरा हाउस का प्लान 1950 में John ultzon द्वारा डिज़ाइन किया गया । पर इसको बन कर तैयार होने के लिये 1973 तक इंतज़ार करना पडा ।
वहीं से सिडनी हार्बर ब्रिज का खूबसूरत नज़ारा भी देखा । पर सोचा कि ब्रिज को पास से देखने के लिये एक क्रूज़ लेकर पानी में से नज़दीक से देखते हैं तो फेरी के लिये वापस सर्कूलर क्वे आये औऱ मैनली बीच के लिये एक क्रूज़ ली । (विडिओ देखें)
क्रूज़ सिर्फ एक तरफ की ली कि मैनली से आगे बस से वायतारा चले जायेंगे और फिर घर पर बाद में पता चला कि डिसीजन सही नही था । बोट राइड में बहुत मज़ा आया खूब एन्जॉय किया खूब सारी सेल बोट्स के फोटो लिये और किनारे के भी । (विडिओ देखें)
सिडनी ब्रिज भी नजदीक से देखा खूब से चित्र भी लिये और विडियो भी । यह स्टील का खूबसूरत पुल जिसकी कमान इंद्रधनुष की याद दिलाती है रात में रोशनी से जगमगाता वैसे ही लगता होगा, पर यहां के अरसिक लोग उसे कोट-हैंगर कहते हैं । दुनिया के सबसे चौडे स्पैन वाले और सबसे ऊँचे कमान वाले इस पुल पर रेल, बस, कार पैदल सब तरह का ट्राफिक दिन रात चलता रहता है । कई साहसी लोग इसके ऊपर भी चढ जाते हैं । बोट में वैसे भी हमने खूब मज़े लिये आप भी देखें विडियो ।मैनली का बीच भी बहुत अच्छा हैऔर बाज़ार भी पर हम तो थक के चूर हो रहे थे । फिर भी हमने काफी शूटिंग की एक कौवा बिलकुल ऊँचे बैठ कर इतरा रहा था से भी फोटो में कैद कर लिया । (विडिओ देखें)
मैनली से हमें वापिस वायतारा जाने में बस में डेढ घंटा लग गया खूब थक गये इतने कि वायतारा स्टॉप से घर तक पैदल जाना भारी पड रहा था । (क्रमश:)
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10 टिप्पणियां:
आप् की यात्रा का आनन्द घर बैठे ले रहे हैं और लिखा इतने अच्छे ढंग से है लगता है जैसे आपके साथ ही होम बहुत अच्छे वीडिओ और तस्वीरें हैं बहुत बहुत धन्यवाद और शुभकामनायें बस दुनिआ की सै हमे करवाते रहिये
हम ने भी एक सप्ताह का प्रोगराम बनाया है एक बार अस्ट्रेलिया घुमने जाने का, आप के इस लेख से बहुत मदद मिलेगी, अब बेठ कर ध्यान से देखेगे, ओर सारी विडियो देखेगे.
आप का धन्यवाद
वाह ताई।आनंद आ गया आपकी यात्रा तो हमे भी घूमने का मज़ा दे रही है।
विडियो का आनन्द उठा रहे हैं, शुभकामनाएँ
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
आपके यात्रा संस्मरण से काफी कुछ जानने का मौका मिला......
विश्व में ९ बहाई मंदिरों में से एक लोटस टेम्पल दिल्ली में है. सिडनी की सैर तो अच्छी रही. हम भी घूम आये आपके साथ :)
आशाजी
आपकी पोस्ट पढ़कर हमेशा ये लाइनें गूंजने लगती हैं
दुनिया की सैर कर लो
kharach itaka detail chan lihile aahe ke ghari basun newzland anni sydney chi yatra jhali amchi.video surekh aahet.
Wah bhai ghar baithe humne bhi Sydney ghum liya.
this is excellent I am following this series right from the beginning It is a free tour of Newzeland and Australia..thanks a lot Asha
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