सोमवार, 7 सितंबर 2009

घुमक्कडी-5 – टाकापूना बीच



आज पक्का कोई न कोई बीच देखना था । हमेशा की तरह तैयार होकर नाश्ता कर के 9 बजे ही हम सब निकल पडे । विजय, सुहास के हज़बन्ड, एक गाना गुनगुना रहे थे । सुना तो पता चला कि गा रहे है,“ ALL LINE CLEAR.. छोटी सी ये अलटन पलटन फौज़ है मेरे घर की, साथ हमारे तोप का गोला बात नही है डर की .....“ मेरी तो हंसी छूट गई । सुहास ने पूछा भी क्या हुआ पर मेरी क्या मति मारी गई थी जो बताती, तो चुप ही रही, नही तो विजय की खैर न होती ।
मुल्ला की दौड मस्जिद तक तो यूनिवर्सिटी स्टॉप पहुंचे, और फ्री बस लेकर स्काय टॉवर । वहीं टूरिस्ट ऑफिस से पता चला कि यहां नजदीक के बस स्टॉप से ही टाकापूना नामक जगह के लिये बस जाती है और वहां जैसा हम चाहते हैं वैसा बीच है और वह हार्बर ब्रिज से होकर जाती है तो हम वह भी देख लेंगे।
तो वहां से निकले और दो ब्लॉक चल कर पहुंचे विक्टोरिया स्ट्रीट। बस का नंबर भी बताया गया था 86 और 83 तो जैसे ही बस आई हम सवार होकर चल पडे । दोनो तरफ दिखने वाली खूबसूरत बिल्डिंग्ज और पार्क वगैरा देखते रहे । यह करीब 30-40 मिनिट का सफर रहा ।
फिर आया हार्बर ब्रिज जिसे हम मुंबई-वरळी लिंक ब्रिज़ का छोटा वर्शन मान सकते हैं। सुंदर है ब्रिज़ आप भी देख लीजिये ।
फिर हम पहुँच गये टाकापूना । छोटी सी पर सुंदर जगह है । बस से उतर कर पहले ही बर्गर किंग देख लिया ताकि बर्गर लेकर बीच पर जायें और भूक लगने पर इधर उधर न भागना पडे । फिर बीच जाने का रास्ता पता किया जो कि एक छोटे से मार्केट होकर जाता था । तो वहां इधर उधर नजरें दौडा कर मुआयना कर लिया कि क्या कुछ लिया जा सकता है पर खास कुछ इंटरेस्टिंग चीजें दिखीं नही । सो चलते चलते बीच पर पहुंच गये सुंदर बीच था सुनहरे और काले रेत वाला । कुछ बच्चे खेल रहे थे पूछा तो बताया कि बांध बना रहे हैं । (विडियो)

तीनो चारों अपने छोटी छोटी मुठ्ठीयां भर कर रेत लाते और डालते ।
फिर हमने एक बार घूम कर बीच का मुआयना किया और रेत छान कर कुछ सीपीयाँ इकट्ठी कीं। पानी तो ठंडा था फिर भी एक बार जूते उतार कर पांव भिगो लिये । प्रकाश और जयश्री का स्टेमिना हम सब में अच्छा था वे दूर तक बीच पर घूमें फिर थोडी देर बाद सब एक जगह बैठ कर लहरें देखते रहे । (विडियो)

अब तक भूक लग आई थी तो बीच पर ही थोडे आगे एक बैन्च पर सब बैठ कर बर्गर खाने लगे । हमें देख कर वहां कुछ कबूतर और सी-गल इकट्ठा हो गये जब तक हमने उन्हें चारा नही डाला तब तक तो सब शांत थे पर फिर जयश्री ने अपने बर्गर में से कुछ टुकडे उन्हें डाले तब तो जैसे वे टूट पडे और जिसे न मिलता वो खूब जोरों से चिल्लाकर दूसरों को हटाने की कोशिश करता ।(विडियो )

फिर तो जैसे हम सबको ही जोश आगया और सबने छोटो छोटे टुकडे उन्हें डालने शुरू किये और ये पक्षियों की चिल्लपों हम खूब देर तक एन्जॉय करते रहे जब ब्रेड ही खतम होगई तो थोडे नमकीन के दाने डालें जो सिर्फ चिडिया ही उठा पाईं । प्रकाश के पास हमेशा सबके लिये मीठी सुपारी रहती थी जो वे सबको खाने के बाद हमेशा पूछते, उससे खाने का मज़ा दुगना हो जाता ।
थोडी देर और बीच पर बिता कर हमने वापसी की राह पकडी । जिस पार्क में से आये थे वहाँ एक जगह बहुत से खूबसूरत हल्के जामुनि और सफेद फूल थे, डेज़ी जैसे, उनकी फोटो खींची (विडियो) फिर आगे मेन रोड पर आये और मार्केट में जाकर विंडो शॉपिंग की ।
एक जगह एक खूबसूरत गोभी का फूल दिखा तो ले लिया कि सब्जी बना लेंगे । फिर उलटी तरफ के बस स्टॉप पर आकर वापसी की बस पकडी । आते आते एक जगह एक दूकान की सजावट में गुडिया और उसका छोटा सा घर था । पूरा का पूरा अपने घर की तरह लिविंग रूम, बेडरूम, किचन, बाथरूम समेत । उसका एक छोटासा क्लिप लिया आप भी देखें । बस से उतरे विक्टोरिया स्ट्रीट फिर पैदल स्काय टॉवर और फिर टैक्सी से सिन्ट्रालेन, अपने अपार्टमेन्ट।
अब परसों हमें जाना था सिडनी । हमारी उडान सुबह 9 बजे की थी, पर हमें तीन घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना ही था (इंटरनेशनल उडानों के नियमानुसार )। इसीसे हमने सोचा कि हम कल ही विक्टोरिया मार्केट जो थोडा सस्ता मार्केट था वहाँ घूम आयेंगे और कुछ टोकन गिफ्ट वगैरा ले लेंगे ।
विक्टोरिया मार्केट से हमने कुछ कांच के किवि (पक्षी) खरीदे ताकि अपनों को कुछ तो दें ऑकलैन्ड की यादगार ।वहां पर एक जगह कॉफी पी । बाकी सामान तो वहाँ कुछ खास नही था । (विडियो )

प्रकाश हमारे ग्रूप के खजांची थे और अकाउंटंट भी, तो हिसाब किताब वही रखते थे । अलास्का में उन्होने ये काम खुशी खुशी निपटाया था कितु इस बार बिचारे कनवर्शन और हिसाब के मारे परेशान हो जाते । पर एक्यूरेसी में उनका जवाब नही ।
यह हमारी आखरी रात थी सिंट्रा लेन की तो रेड वाइन से सेलिब्रेट किया । इस बीच हमने उस टैक्सी वाले से भी बात कर ली थी तो वह 24 की सुबह ठीक 5 बजे हमें एयरपोर्ट छोडने के लिये भी आ गया । पैसे हमारे उसके पास जमा थे ही । एयर पोर्ट आकर हमने बढिया सी कॉफी पी और हमारे पास के सैन्डविचेज खाये । और सिक्यूरिटी वगैरा करवा के उडान के लिये पहुँचे । सौभाग्य से उडान एकदम टाइम पर थी और हमारे टिकिट नंबर भी पास पास के ही थे । (विडियो )

ऑकलैन्ड से सिडनी का हवाई रास्ता 3-31/2 घंटे का है । और टाइम डिफरन्स 2 घंटे का तो हम ऑकलैन्ड से 9 बजे निकल कर 10:30 बजे पहुंचने वाले थे । Flight पर अच्छा सा ब्रेकफास्ट मिला, रेड-वाइन मिली, मुझे सुहास को तथा जयश्री को बताया गया था कि जूस वूस ले लेना पर रेड वाइन जरूर मांगना और हमे पकडा देना । हम ठीक साढे दस बजे सिडनी पहुंच गये ।
(क्रमश:)

15 टिप्‍पणियां:

Khushdeep Sehgal ने कहा…

क्या अपनी ब्लॉगर्स बिरादरी भी अलटन-पलटन फौज नहीं है..रही तोप के गोलों की बात तो हम सब तोप नहीं, शब्दों के गोले चलाने में तो माहिर हैं..बुज़ुर्गों वाली बहस पर आपकी टिप्पणी बड़ी सारगर्भित थी...

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

यात्रा विवरण अच्छा लगा। वीडियो फुरसत में देखेंगे।

डॉ .अनुराग ने कहा…

इसे कहते है लाइव टेलीकास्ट .....

Abhishek Ojha ने कहा…

लाइव टेलीकास्ट वाली बात बिलकुल सही है :)

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

वाह वाह - सीगल की आवाज पहली बार सुनी!

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

हमेशा की तरह सचित्र और रोचक शैली का अनोखा, अद्वितीय यात्रा वृतांत.
हार्दिक आभार.

"रेड-वाइन मिली, मुझे सुहास को तथा जयश्री को बताया गया था कि जूस वूस ले लेना पर रेड वाइन जरूर मांगना और हमे पकडा देना"

आप सब ने बात मानी या नहीं...................

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

yatra vivran pehli bar blog pe padhne ko mili..... video bhi achche hain.....

Unknown ने कहा…

अच्छी रचना है।

सिर्फ़ 10 साल मे बना लेगा मानव मस्तिष्क!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

Nice Travelogue with Video clippings makes it come alive
I enjoyed the Series asha ji
Thanx
warm rgds,
- Lavanya

शरद कोकास ने कहा…

मुझे तो यह टाकापूना शब्द बहुत अच्छा लगा ऐसा लगता है मराठी का कोई शब्द है वैसे इसका अर्थ क्या है हाँ आपका विवरण तो ऐसा लगता है जैसे अपने घर का कोई अनुभवी व्यक्ति सब बताता चल रहा हो ।

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

wahhh...bas aapne '100 things before I die' mein ek aur cheez add kerwa di hai...

Ab NZ to jana hi hai..wasie bhi kaafi suna hai iske baare mein :) aur aapne jaisa dikhaya, josh double ho gaya hai.. :P

Take care

शोभना चौरे ने कहा…

takapuna ki yatra bhut achi rhi . apke shre ham bhi suhana safar tay kar rhe hai bahut hi shj aur rochak varnan .
abhar

सर्वत एम० ने कहा…

आपने इतनी तफसील और विडियो के सौजन्य से हमें खुद पर्यटक बना दिया. आपका लेखन-प्रवाह भी गजब का है. आप और आपकी पूरी टीम को बधाई.

Sushil Kumar ने कहा…

टापुकाना द्वीप पर आपका वृतान्त अच्छा लगा।-अक्षर जब शब्द बनते हैं

Unknown ने कहा…

Oh wooow, It was like a motion picture. I loved your way of short and very sweet description of your trip(s) You people are great. keep up with the travel and writing blogs. Thanks.
Vandana Gupte.