शनिवार, 21 मार्च 2009
अजन्मी संतान हूँ
माँ मुझे तू जान ले पहचान ले
मैं तुम्हारी अजन्मी संतान हूँ ।
हूँ तुम्हारी तरह मैं भी एक नारी
एक अनुपम ईश्वरी वरदान हूँ । माँ मुझे तू जान ले
किसने बनाया ये नियम तुम कुछ तो बोलो
सोच क्या अब भी यहीं तक है तुम्हारी
कि मैं हूँ कमतर एक पुरुष संतान से
इसलिये अभिशाप हूँ अपमान हूँ । माँ मुझे तू जान ले
खोल आँखे देख ले चहूँ और अपने
नारियों नें भी हैं देखे कितने सपने
सिर्फ देखे ही नही सच किया उनको
उनकी तरह मैं भी तो प्रतिभावान हूँ । माँ मुझे तू जान ले
हिम्मत दिखा माँ जन्म लेने दे तू मुझको
मैं ही बँधाऊँगी हमेशा धैर्य तुझको
तेरे लिये भिड़ जाऊँगी संसार से भी
मै कोई लानत नही सम्मान हूँ । माँ मुझे तू जान ले
आज का विचार
नारी पल की पत्नी तथा अनंत काल की माता है ।
स्वास्थ्य सुझाव
कच्चे केले और कच्चे पपीते की सब्जी खायें इससे आपके फेफडों को मजबूती मिलती है ।
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15 टिप्पणियां:
बहुत मार्मिक रचना ... अच्छा लिखा है।
हिम्मत दिखा माँ जन्म लेने दे तू मुझको
मैं ही बँधाऊँगी हमेशा धैर्य तुझको
तेरे लिये भिड़ जाऊँगी संसार से भी
मै कोई लानत नही सम्मान हूँ
bahut marmik,sahi satik sunder rachana badhai
बहुत बढ़िया आपके चिठ्ठे की चर्चा समयचक्र में आज
मुझे इस अजन्मी के प्रति बर्बरता का क्षोभ सालता है। इससे बेहतर तो असभ्य जंगली रहे होते हम लोग।
satik kah rahi hain aap magar kitni aurtein himmat karti hain ya karne di jati hain.
हृस्व होते हुए भी बहुत सशक्त रचना!!
इस विषय पर मैं ने एवं मेरी पत्नी ने काफी कुछ लिखा है, अत: एक और अलेख देख कर मन को एक सुखद अनुभूति हुई.
अलख जगाये रहिये. असर जरूर होगा!!
सस्नेह -- शास्त्री
महिला-मुक्ति आन्दोलन का समाज पे इतना प्रभाव है।
कि जन्म से पहले ही "मुक्ति" का प्रस्ताव है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
एक बेटी के मन में दबी सारी बातें उकेरती है आपकी कविता!
खोल आँखे देख ले चहूँ और अपने
नारियों नें भी हैं देखे कितने सपने
सिर्फ देखे ही नही सच किया उनको
उनकी तरह मैं भी तो प्रतिभावान हूँ .....
aakhe phaadkar padhane wali rachna...
dil me jhankar dekhnewali rachna...
thanks for post
हिम्मत दिखा माँ जन्म लेने दे तू मुझको
मैं ही बँधाऊँगी हमेशा धैर्य तुझको
तेरे लिये भिड़ जाऊँगी संसार से भी
मै कोई लानत नही सम्मान हूँ । माँ मुझे तू जान
-दिल को छू गयी यह कविता.
अजन्मी कन्या की यह पुकार दिल को छू जाती है.
-बेहद सशक्त रचना
सटीक रचना के लिये बधाई स्वीकारें
नव वर्षाच्या हार्दिक शुभेच्छा !
Atyant sundar,sanvedansheel aur prabhavi rachna.Badhai.
nari par aapki soch achchhi lagi . kuchh vichar mere bhi hain,kripya merasamast.blogspot.com par dekhe,phir bataaye kya main sahi hoon?
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