गुरुवार, 2 जून 2016

इंतजार में

मुद्दत हुई कि बैठे हैं बस इंतज़ार में,
काटीं हैं सुबहें,रातें कितनी,इंतज़ार में।















करके गये थे वादा,जल्द लौट आयेंगे,
अब भी सहन में बैठे हैं हम इंतज़ार में।

ये कुछ ही दिन फुरकत के हैं,कहके गये थे,
आयेंगे लेके अच्छे दिन, कुछ इंतज़ार में।

आँसूं भी गये सूख, हँसी फीकी हो गई,
गुज़रा हमारे साथ क्या,इस इंतज़ार में।

हम ख़ुद को भुला बैठे हैं,याद में तेरी,
तू है कि हमें रखता है बस,इंतजार में।

सोचा था आयेंगे गर उम्दा ख़याल तो,
हम भी तो कुछ लिखें, हैं बस इंतज़ार में।

कर लेंगे दिन ये पार,रख के हौसला सनम,
न सोचना कि मर जायेंगे हम इंतजारमें।




चित्र गूगल से साभार।

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