रविवार, 24 अगस्त 2014

चलते चलो रे 1-पोर्टलैन्ड







इस जून में हमारा प्रोग्राम बना पोर्टलैन्ड (ओरेगन) और सैनहोजे ( केलिफोरनिया) घूमने का.
असल में प्रोग्राम तो पिछले साल ही बन गया था पर हमारे साथियों ने ऐन वक्त पर पीछेहाट कर ली।
 इस बार सुहास विजय को पनामा जाना पडा एडम एमी के पास, उनके बेटे की देख भाल के लिये और प्रकाश और जयश्री को मुंबई जाना जरूरी था। हमारा कार्यक्रम पहले से ही सैनहोजे जाने का था।
कुसुमताई इनकी बडी बहन जो पहले ब्लैक्सबर्ग, वर्जिनिया में रहत थीं पिछले नवंबर में पोर्टलैन्ड मं रहने चली गईं थीं। इस उम्र मे अब सब अपनों के करीब रहना चाहते हैं। बेटा अजित वहां है तो इन्होने भी वहीं एक घर ले लिया। जाते ही उनका हाथ फ्रेक्चर हो गया जिसे ठीक होते होते कोई २ महीने लग गये। उनसे मिलना भी था और उनका नया घर भी देखना था। तो वेस्ट कोस्ट जाते हुए उनसे मिलने का भी तय किया।
सैनहोजे में मेरे बडे भाई की बेटी, शाश्वती और मझले भाई का बेटा मकरंद रहता है। दोनों भाभियां भी वहां आईं हुईं हैं तो वहां का भी प्रोग्राम तो पिछले साल से ही बन गया था। सोचा कि वहीं से ग्रेंड कैनियन और लासवेगास की सैर भी कर लेंगे। प्रोग्राम तो सबके साथ ही बना था पर हो नही पाया, तो इस बार हम दोनों ने ही जाने का फैसला किया।
उस हिसाब से हम लोग १८ जून को चल दिये । हमारी उडान शार्लट एयरपोर्ट से थी तो राजू हमें वहां छोड आया। तूफान की वजह से हमारी उडान करीब एक घंटा देर से उडी पर हमने समय रहते अजित को बता दिया था। सिवा देरी के बाकी उडान ठीक ठाक रही और हम पोर्टलैन्ड पहुंच गये। अजित और उसकी पत्नी सांड्रा में लेने आये थे और उन्होनें हमें रात के करीब दस बजे कुसुमताई के घर पहुंचा दिया। शार्लट में खाया तो था पर  घर जाते ही  फिर भूक लग आई। खाना खाया और सो गये।
दूसरे दिन सुबह उठे और चाय लेकर बाहर पीछे के यार्ड में टेबल लगा था वहीं बैठ गये।  कुसुम ताई के घर का यह सबसे सुंदर स्थान है। हरा भरा लॉन गुलाब के पौधे जिसमे फूल ज्यादा नही थे, पर सबसे सुंदर था एक नन्हासा तालाब और झरना ।  इस तालाब मे खिले थे सुंदर लाल रंग के कमल। देख कर तबियत खुश हो गई। फिर तो हम जितने दिन वहां रहे चाय से लेकर नाश्ते तक वहीं जमे रहते। आप भी उठाइये इसका आनंद। (विडियो water spring lotuses)
कुसुम ताई ने अपने हाथ की चोट की वजह से यहां ज्यादा गाडी नही चली थी और जीजाजी अरुण काम से मैडिसन, विस्कॉन्सिन में थे तो हम बस एक बार रेस्टॉरेन्ट में खाना खाने गये एक बार अजित के घर खाने पर गये, और गये रोज गार्डन। अजित की पत्नी सांड्रा अमेरिकन है पर उसने एकदम भारतीय खाना खिलाकर हमें चौंका दिया। रोटी, आलू मटर की सब्जी, सलाद, मुठिया और हलवा। हलवा कुसुम ताई के यहां से हम ले गये थे।
पोर्टलैंड को गुलाबों का शहर कहते हैं यहां की रोज गार्डन बहुत प्रसिध्द है। पोर्टलैन्ड ओरेगन प्रांत का सबसे बडा शहर है, यह कोलंबिया और वेलमाट्टा नामक नदियों के संगम पर बसा है। कुसुमताई का घर विल्सनविल रोड पर है। यहां से आते जाते वेलमाट्टा नदी पडती है। पुल तो बढिया बने हुए हैं। हम पोर्टलैंड पहले भी आये थे जब अलास्का गये थे। घूमना तो हमारा तब हो ही गया था तो इस बार कुसुम ताई के साथ समय बिताने का प्लान
था। पर अरुणराव के आने से दो दिन पहले हम गये रोज गार्डन। यह स्टेट पार्क का ही हिस्सा है। इसे इंटरनेशनल रोज़ टेस्टिंग गार्डन कहते हैं। वैसे और बहुत से गुलाबों के बाग हैं यहाँ। ताई बता रहीं थीं कि महीना पहले वे किसी और को लेकर रोज गार्डन गईं थीं तब वहां बिलकुल फूल नही थे। लेकिन हमारे पहुंचते ही हमने देखा कि वहां हजारों गुलाब के फूल खिल ही नही रहे थे बल्कि खिलखिला रहे हैं। इतनी गाडियां थीं कि पार्किंग की जगह ही नही मिली। कुसुम ताई ने कहा कि तुम लोग तो घूम आओ मै देखती हूँ चक्कर लगाती हूँ यदि पार्किंग मिल गई तो आ जाऊँगी। तो हम दोनो तो सीढियाँ उतर के गार्डन में दाखिल हो गये। लाल, पीले, नारंगी, सफेद, मैजेन्टा, जामुनी, हर रंग के गुलाब वहां मौजूद थे। जहां तक नज़र जाये गुलाब ही गुलाब। हमने बहुत सी तस्वीरें खींची फूलों की, देखिये आप भी।  ( विडियो रोज गार्डन)।
कुसुम ताई को अन्त तक पार्किंग मिली ही नही। ज्यादा विस्तृत वर्णन के लिये हमारी अलास्का ट्रिप पर देख सकते हैं क्यूं कि अलास्का जाते हुए हम रुके थे पोर्टलैन्ड। वहां हमेशा कुछ ना कुछ चलता ही  रहता है हमने देखा कि गुब्बारों से की बडी ही सुंदर कमान सी बनी थी। बच्चों के लिये खासा आकर्षण। ( विडियो )
दो दिन बाद ही जब अरुण राव आ गये तो उन्होने हम से पूछा कि कहाँ चलोगे मल्टिनोमा फॉल्स या पैसिफिक,तो हमने पैसिफिक कोस्ट जाने के लिये कहा। वह हमने देखा नही था। हमने फिर एस्टोरिया और कैनन बीच जाने का तय किया।पहले हम गये कैनन बीच। यह पोर्टलैन्ड शहर से कोई ९० मील की दूरी पर है। कोई डेढ घंटा कार का सफर कर के हम पहुंचे कैनन बीच। यहां इकोला स्टेट पार्क में हमने पहले पेट पूजा की फिर घूमें। इकोला स्टेट पार्क और हे-स्टैक रॉक इस जगह के मुख्य आकर्षण हैं। इकोला का अर्थ यहां के मूल निवासियों की भाषा में है व्हेल। इसी से इकोला पार्क। यहां से आप व्हेल वॉचिंग के लिये क्रूज़ ले सकते हैं।( Video)
यहां से हमने हैस्टेक रॉक की तस्वीरें लीं।  है-स्टैक यानि चारे का ढेर। वैसा सा ही दिखने वाला यह पत्थर समुद्री सतह से कोई २३५ मील ऊंचा है और अपने आप में ओरेगन किनारे का लैंडमार्क है। यहां का किनारा चौडा और रेतीला है और करने के लिये यहाँ बहुत कुछ किया जा सकता है। पर वैसे ओरेगन का यह ३६३ मील लंबा समुद्र किनारा काफी पहाडी और सख्त है। (विडियो 1405-1443)

यहां हमने एक पुराना लाइट हाउस देखा जो अब बंद है। वहां कुछ लोग एक झाडी में किसी जानवर की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहे थे। उत्सुकता वश हम भी रुक गये । पता चला कि चिपमंक है । गिलहरी की तरह दिखने वाला यह प्राणी जमीन के अंदर बिल बना कर रहता है।
आगे हम गये एस्टोरिया। यह एक मछुआरों का गांव है और अमेरिका के पश्चिमी तट का सबसे पुराना भी। इसका ऐतिहासिक महत्व इसलिये है कि यह लुइस और क्लार्क जो मिसिसिपि के पश्चिम में जाने वाले सबसे पहले प्रवासी थे  उनका अंतिम पडाव था।


माउंट हुड

वापसी में हमने माउंट हुड, ओरेगन का सब से ऊँचा शिखर और माउंट बेसिन के दर्शन किये जो एयरपोर्ट जाते हुए भी दिखे। सब समय बर्फ से ढके रहने वाले इन पहाडों में माउंट बेसिन इसके ज्वालामुखीय होने से शिखर पर पतीलेनुमा हो गया है। ये दोनो पोर्टलैन्ड के खास चिन्ह है और पर्यटकों के लिये खास आकर्षण भी। (फोटो Mount Hood) कुसुम ताई के यहां काफी बढिया समय बिता कर हम २ जुलै को चल दिये अपने अगले पडाव पर यानि कि सैन होज़े।

(क्रमशः)

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