गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के


फरवरी महीना इस २०१४ साल का हमेशा याद रहेगा। २ फरवरी को मेरी जरा सी तबियत खराब हुई। पता चला वाइरल फीवर है फ्लू जैसा ही कुछ । दो तीन दिन क्रोसीन और विटामिन खा कर मै तो ठीक हो गई पर सुरेश, मेरे पति, बीमार हो गये । मेरी ही तरह मै इन्हे क्रोसीन और विटामिन देती रही पर बुखार था कि हटने का नाम ही नही ले रहा था फिर मैने शशांक (मेरा भतीजा जो ए.आय़.आय एम एस में न्यूरो सर्जन है) को फोन किया, वह तो था नही तो सरिता को ( शशांक की पत्नी, ये भी सफदरजंग हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट है) इनका हाल बताया, कि ३-४ दिन हो गये पर बुखार नही कम हो रहा और खाँसी भी बहुत है। उसने लिवोफ्लॉक्सिसीन देने के लिये बताया। १-२ दिन वह भी दिया पर कोई फायदा नही।  फिर से फोन किया तो उसने कहा कि हम शाम को आ रहे हैं। यह ९ तारीख की बात है। बाद में शशांक का फोन आया कि आपको दोनों के कपडे एक बैग में डाल कर ३-४ दिन की तैयारी से यहां आना है, यानि कि उनके घर। कल फिर मैं काका की सारी जांच करवा दूँगा। शाम को वे दोनों आये और हमें लिवा ले गये। दो तीन दिनों से ये खांसी के मारे रात को सो नही पा रहे थे तो मैने शशांक से पूछा कि इनको नींद की गोली दूं क्या। उसने कहा दे सकती हो। मैने यह नही बताया कि इसके पहले इन्होने कभी नींद की गोली ली नही है। झोल फ्रेश नाम की एक गोली पूरी मैने इनको दे दी और ये सो गये। सो क्या गये जैसे बेहोश से हो गये साँस भी तेज तेज और मुश्किल से आने लगी ।  कोई ढाई बजे मैने शशांक और सरिता को आवाज़ दी। सरिता ने कहा चलो अभी, जल्दी से इनको केजुअल्टी में ले चलते हैं । उसी वक्त गाडी निकाल कर आनन फानन में केजुअल्टी में ले गये । सारे टेस्ट हुए शुगर बहुत बढी हुई थी ३७०। ब्ल़डप्रेशर भी हाइ था। शशांक ने कहा मै बेड की व्यवस्था करता हूँ तुम लोग घर चलो। 
एक घंटे में शशांक भी वापस आ गये कहा, मैने उन्हे आइ सी यू में एडमिट करा दिया है आक्सीजन की जरूरत थी और  सारी चीजें भी वहां ठीक से कंट्रोल हो जायेंगी। आइ सी यू सुन कर ही डर सा लगा। तीन दिन ये आइ सी यू में रहे। रोग निदान था अपर रेस्पिरेटरी ट्रेक इनफेक्शन ( हमें बाद में बताया गया कि इसका मतलब था निमोनिया)।इस बीच मैने दोनों बेटों को फोन करके जानकारी दे दी। तय हुआ कि राजीव पहले आयेगा और फिर अमित आयेगा। इस तरह पंधरा दिन रह कर वे दोनों जब तक वापिस जायेंगे इनकी तबियत काफी सम्हल जायेगी। वहां तो मै भी केवल पांच मिनिट मिल सकती थी।  इतने से देर में ये यही कहते कि मुझे यहां से निकालो मै यहां नही रहूँगा। मै समझाती कि आपके थोडा ठीक होते ही आपको प्रायवेट वॉर्ड के कमरे में ले जायेंगे। आय सी यू में खाना पीना सब आय वी से ही था तो तीन दिन बाद जब ये प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट हुए तब ऐसे लग रहे थे जैसे महीनों से बीमार हों । कमरे में आते ही पहला सवाल ये, कि क्या तुम्हारे पास मेरे लिये कुछ खाने को है। उस वक्त तो कुछ नही था, क्यूंकि हम तो इन्हें कमरे में शिफ्ट करवाने आये थे। मैने कहा मैं भाभी को फोन करती हूँ  वह शाम तक कुछ ले आयेगी। हस्पताल में पूछा तो पता चला कि सुबह ही खाने के बारे में बताना होता है और हम तो कमरे में कोई तीन बजे पहुंचे थे।  शाम के ८ बजे जब शशांक और सरिता खिचडी लेकर आये तो पहला निवाला मुंह में जाते ही इनके आँखों में जो चमक आई मै उसे भुला नही सकती। कमजोरी बहुत थी, अपने आप उठ कर बाथरूम तक जाने की भी ताकत नही। फिर इनके लिये हमने रात और दिन के दो अटेन्डन्ट रखे। मै तो थी ही वहां। दो तीन दिन बाद इनको हम थोडा थोडा कॉरिडॉर में टहलाने ले जाते। हम कोई हफ्ता रहे वहां उस कमरे में। यह भी जाना कि हस्पताल में रहना कितना मुश्किल है । हर आधे घंटे बाद कोई ना कोई नर्स आकर कभी ब्लड शुगर तो कभी ब्लड प्रेशर लेने तो कभी दवाइयां देने आ जातीं। यह रात के तीन बजे तक चलता रहता। लेकिन सब लोग बहुत तत्परता से और अच्छी तरह अपना काम कर रहे थे। उनके बिना हमारा क्या होता।
अस्पताल में जब कोई मिलने आता तो इन्हे बहुत अच्छा लगता। मेरी ननद का बेटा अजय यहां टूर पर आया था वह भी हम से मिल के गया। धनंजय मेरा भतीजा भी अपनी पत्नी के साथ मिल कर गया।  जिस दिन हमें अस्पताल से छुट्टी मिली उसी दिन राजीव पहुंच गया। मेरे कंधे से जैसे बोझ़ सा हट गया। कमजोरी तो इनको बहुत थी। राजू ने घर आते ही इनकी दवाइयां डायेट वगैरे सब ठीक कर दिया वहां अस्पताल में जो डाएटिशियन ने चार्ट दिया था उसी में तीनों मील्स मे नॉन वेज डाल कर। थोडा पार्क में टहलना, एक्सरसाइज भी बताईं। उसके सात दिन रहने के बाद ये काफी कुछ सम्हल गये। कमजोरी तो थी ही साथ में खांसी थी कि इन्हें छोड ही नही रही थी। राजीव के जाने के बाद दूसरे दिन ही अमित आया। उसने कहा कि बाबा मेरे अनुमान से कहीं बेहतर लग रहे हैं । सुनकर मुझे और इनको भी तसल्ली हुई। अमित ने भी एक बहुत लंबा एक्सरसाइझ प्रोग्राम इन्हें बना कर दिया और जब तक वह रहा, करवाता भी रहा। नॉनवेज खाना और व्यायाम इनसे मसल-मास वापिस बनने में मदद मिली। अमित के जाते जाते ये थोडे और बेहतर हो गये पर खांसी और कमजोरी अभी भी थी। अमित के जाने के एक दिन बाद मेरी सहेली सुशीला आ गई। उसका आने का तो पहले से ही था पर समय एकदम सही बैठ गया और उसकी भी बहुत मदद हुई। उसके आने से घर में भी रौनक सी रही। मेरा धीरज भी बंधा रहा। घर का माहौल भी बदल सा गया, गप्पें, कविताएं, पुरानी यादें इन सब में समय बहुत बढिया गया। वह भी हमारे साथ व्यायाम करती। जब तक वह गई ये करीब करीब करीब सामान्य हो चले थे। दो महीने हो गये इस बात को शुरू हुए। ये मुश्किल दिन अपनों के साथ और मदद से आसान हो गये। मेरे मनमें जागृती फिल्म के गाने की, हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के, यही पंक्ति गूंज रही है। पर हम यानि हम सब, शशांक सरिता, भाभी, डॉक्टर्स, नर्सेज अटेन्डेन्टस् सभी, सिर्फ मै नही। अब ब्लॉग पर भी आना जाना चलने लगेगा।


16 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

चलिये सब कुछ ठीक ठाक हो गया अब ख्याल रखियेगा । शुगर कंट्रोल में रहे जो लाईफ स्टाइल बदल कर कम की जा सकती है और खाने में कुछ चीजें जैसे चावल आलू मीठा बहुत कम :)

Vaanbhatt ने कहा…

घर का कोई भी सदस्य अस्पताल में पूरे घर की स्थिति का अंदाज़ लगाया जा सकता है...आप सबने मिल कर इस विपदा का सामना किया...सुरेश जी की हिम्मत की भी दाद देनी पड़ेगी...बीमारी में सिर्फ डॉक्टर की ही बात माननी चाहिये...सभी को ढेरों बधाइयाँ...

Suman ने कहा…

कठिन समय सच में ताई, जिन्दगी में किसी तूफान से कम नहीं होता,चलिए गुजर गया, तभी बहुत दिनों से सोच रही थी आजकल ताई को क्या हो गया ब्लॉग पर नहीं है ?? तो यह सब हुआ अब सब ठीक है न ख्याल रखिये उनका भी खुद का भी :) और लिखते रहिये !

Satish Saxena ने कहा…

ईश्वर से आप दोनों के स्वास्थ्य के लिए मंगलकामनाएं !!

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन दिखावे पे ना जाओ अपनी अक्ल लगाओ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

आशीष अवस्थी ने कहा…

आ. बढ़िया जो आप ने हम सब के साथ शेयर किया , धन्यवाद !
और अपना ध्यान रखे ! ताकि हमसब पर आपका आशीर्वाद बना रहे ! || जय श्री हरिः ||
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ईश्वर से प्रार्थना है कि आप सब सदा स्वस्थ रहें।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

थोड़ी बहुत मौसमी चीज़ें तो ठीक ,पर ईश्वर करे अब ऐसे अस्वस्थ कभी न हों -आप दोनों ही स्वस्थ रहें .
एक बात और पता लगी- आप भी मेरी तरह'इनके'लिये 'ये' 'वो'से काम चलाती हैं.

Anamikaghatak ने कहा…

Swasthya ki kamna......god bless

Asha Joglekar ने कहा…

आप सब का बहुत धन्यवाद। आप मेरे साथ इस कठिन समय को बांटा। किसी को कहते हैं दोस्ती।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

स्वस्थ रहें, और खुश रहें......... मेरी शुभकामनायें !!

राजीव कुमार झा ने कहा…

स्वस्थ रहें ! शुभकामनाएँ !

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

kabhi kabhi achanak ham bina soche pareshani men phans jate hain. jo bhi ant bhala to sab bhala . aap usa kathin vaqt se nikal aayin hain . aap log sadaiv khush aur svasth rahen.

वाणी गीत ने कहा…

जिंदगी सपाट चलती हुई कभी यूँ भी हलचल मचाती है !
स्वस्थ है अब ख़ुशी हुई ! शुभकामनायें !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आप और फिर आपके वो .. इस स्थिति से उबर आये ये इश्वर की कृपा और सब कि मेहनत का फल है .. अच्छा लगा जान कर कि स्वस्थ हैं सब .. खुशियाँ लौट आई हैं .. बहुत शुभकामनायें ..

संजय भास्‍कर ने कहा…

आप दोनों के स्वास्थ्य के लिए मंगलकामनाएं !!