हम भी तो चाहते हैं कि छू लें आसमान
हासिल करें जहां में अपना कोई मकाम .
इस जमीं सा खूबसूरत
बनायें अपना आप
इसमे कहीं नही है कोई
खराब बात
इन शोख हवाओं सा लहरायें और गायें
संतूर हो या पंछी मुस्काये गुनगुनायें
तालीम पाये खुद और
औरों को भी दिलायें
अलग अलग से हासिल, करें इल्म नाम पायें
इस साफ सी बरफ सा सुथरा बनें समाज
सपनों को अपने पूरा
होना ही होगा आज
हव्वा खातून की जमीं पर हम कैद ना रहेंगे
बचायेंगे कश्मीरियत और आगे को ही बढेंगे .
17 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर ...लाजवाब प्रस्तुति आशा जी ....अनेक शुभकामनायें ....
इस साफ सी बरफ सा सुथरा बनें समाज
सपनों को अपने पूरा होना ही होगा आज ...
आमीन ... ये तो सभी का सपना है ... सभी का स्वर एक साथ मिलेगा तो जरूर सुथरा समाज होगा ...
अति सुन्दर रचना...
:-)
ऊर्ध्व बढ़ें, हम सूर्य बनें।
इस साफ सी बरफ सा सुथरा बनें समाज
सपनों को अपने पूरा होना ही होगा आज
सब यही ठान ले तो कोई मुश्किल नहीं
सुन्दर रचना !
देखिये क्या हो..
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति आशा जी,,बहुत२ शुभकामनायें,
RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
तालीम पाये खुद और औरों को भी दिलायें
अलग अलग से हासिल करें इल्म नाम पायें
--आशा का संचार करती हुई एक अच्छी रचना !
..बहुत सुन्दर देश-भक्ति की भावना भर दी है आपने इस रचना में आशा जी!...आभार!
bahot achche......
जीवन में परेशानिया कई रूप धर के सामने आती है लेकिन विजयी वही होता है जो इन परेशानियों से नहीं घबड़ाता ,लक्ष की तरफ ध्यान होना चाहिए बाधाये एक -एक कर धीरे -धीरे ख़त्म हो जायेगी ,आपके स्वपन पूरे हो इन्ही शुभाकमानो के साथ बहुत बहुत साधुवाद
अच्छे सकारात्मक भाव लिए प्रेरणापूर्ण कविता !
अभिनव शब्दों का सुन्दर संयोजन ...!!
बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ
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♥बसंत-पंचमी की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं !♥
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हम भी तो चाहते हैं कि छू लें आसमान
हासिल करें जहां में अपना कोई मकाम
क्यों नहीं ... अवश्य !
:)
अच्छी नज़्म लिखी है आपने
आदरणीया आशा जोगळेकर जी !
हव्वा खातून की जमीं पर हम कैद ना रहेंगे
बचायेंगे कश्मीरियत और आगे को ही बढेंगे
# कश्मीरियत ?
कृपया अर्थ स्पष्ट करें ...
संपूर्ण बसंत ऋतु सहित
सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीय राजेंन्द्र जी पहले तो बहुत धन्यवाद कि आपने मेरे ब्लॉग पर आकर कविता पढी । अब
आपका सवाल ।
यह कविता उन कश्मीरी लडकियों की आवाज को उठाना चाहती है जो अपना संगीत का हुनर दुनिया के सामने पेश करना चाहती थीं ।
कश्मीरी लडकियां कब बुरके में कैद रही हैं । यह तो आतंक वादियों की मनमानी है जो आधी आबादी को अपना गुलाम बनाना चाहते हैं । इन लटकियों का अपना एक संगीत बैन्ड था और उन्होने कुछ प्रोग्राम भी किये पर बादमें उनमें ऐसा डर बैठा दिया गया कि उन्होने अपना बैन्ड ही खत्म कर दिया । एक तो प्रदेश से ही पलायन कर गई ।
कश्मीरियत से मेरा मतलब कश्मीर की तहजीब से है ।
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