सोमवार, 31 दिसंबर 2012

पुरुष के नाम




पुरुष के नाम ......

आज झूल रही हूँ जिंदगी और मौत के बीच
जीना था मुझे, उनको और उन जैसों को देनी थी सीख और समझ
इस दिशा में करना था काम ।
मेरे आहत और टूटे शरीर के भीतर थी एक ज्वलंत जीजीविषा और दबंग मन
कि कुछ ऐसा करूं कि आगे ऐसा ना हो किसी के साथ, ना बनें हमारी छोटी छोटी खुशियां दुखभरी दास्तान ।
बताऊं उनको जो बनते हैं हमारे पिता, नेता, मार्गदर्शक, पथ प्रदर्शक
कि जब तुम ही अपना आचरण स्वच्छ न रखो, तुम ही स्त्री की इज्जत ना करो तो तुम्हारे बच्चे, और ये आम आदमी क्या सीखेंगे, किस राह पर चलेंगे ।
गलत करोगे गलत को आश्रय दोगे तो यही समाज मिलेगा और कल को तुम्हारी बहु बेटियां यही भुगतेंगी ।
माँओं को भी विनती है सिखायें बेटों को करें नारी का सम्मान ।
मेरी ये टूटी फूटी देह साथ नही दे रही मेरा, इसलिये अलविदा............ पर
जारी रखना ये संघर्ष ताकि औरत पा सके इस समाज में अपना सही स्थान और सम्मान और फिर ना हो किसी की ऐसी हिम्मत ।

20 टिप्‍पणियां:

Aruna Kapoor ने कहा…

....एक यथार्थ संदेश दिया है आपने आशा जी!

Alpana Verma ने कहा…

माँओं से भी विनती है सिखायें बेटों को करें नारी का सम्मान '
एक सही सन्देश देती है यह कविता
दामिनी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि!

Rajput ने कहा…

माँओं से भी विनती है सिखायें बेटों को करें नारी का सम्मान .....
सार्थक पोस्ट

Suman ने कहा…

जो क्षति हुई है लौटाई तो नहीं जा सकती
लेकिन परिवर्तन की क्रांति शुरू की जा सकती है पहल घर से हो !

Arvind Mishra ने कहा…

पुरुष नारी दोनों के नाम!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

चिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
जाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,

recent post : नववर्ष की बधाई

Vinay ने कहा…

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।

ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...

mridula pradhan ने कहा…

prabhawpoorn sandesh......

संध्या शर्मा ने कहा…

प्रतीक्षा है सूर्योदय की... नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ....

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सार्थक सन्देश...
यह वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो इसी कामना के साथ..आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
:-)

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

नववर्ष की ढेरों शुभकामना!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 01-01-2013 को मंगलवारीय चर्चामंच- 1111 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

संजय भास्‍कर ने कहा…

सार्थक सन्देश...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि

ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।

दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।

Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

मन के - मनके ने कहा…

’हरपल,छले जाने की अनुभूति होती है—’
सत्य कथन,हम कितने विवश हैं,हमारी ही गढी व्यवस्था ने
हमें पंगु बना दिया है.यह भी सत्य है,हमे ही इस व्यवस्था पर
वज्र प्रहार करना होगा,आशा है इन स्याह बादलों के उस पार सूरज
उगने को है.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आँखें नम हो जाती हैं ...
नारी का सम्मान करना अगर ये एक संकल्प नायर साल का ले लें तो समाज में परिवर्तन आ जायेगा ..

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

तुम हारी नहीं दामिनी,देख खड़ी हैं यहाँ कई दमिनियाँ
लडेंगी ये तुम्हारी खातिर न बनने देंगी और कहानियाँ

Swapnil Shukla ने कहा…

बहुत उम्दा ........ उत्कृष्ट प्रस्तुति..........आप को नव वर्ष की ढेर सारी बधाईयाँ व शुभकामायें .......
- स्वप्निल शुक्ल
http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/blog-post.html

मेरे ब्लॉग्स पर आपका हार्दिक स्वागत है :
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महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

‘जारी रखना ये संघर्ष ताकि औरत पा सके इस समाज में अपना सही स्थान और सम्मान और फिर ना हो किसी की ऐसी हिम्मत ।‘

संघर्ष जारी रखना होगा, संघर्ष जारी रहेगा, आधी दुनिया के सम्मान की खातिर !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबको अपना और औरों का समुचित स्थान समझना होगा।

RC Mishra ने कहा…

बिल्कुल सही लिखा है आपने!


Aaj kal aap Anderson me hain kya?
Kabhi us taraf aana hua to aapse milne ki koshish rahegi,

--
Ram Chandra Mishra